पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्धकर्म की महिमा।
हमारे हिन्दू धर्म में पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष की महिमा विशेष मानी जाती है, और इसे पितरों की पूजा और श्राद्ध का महत्वपूर्ण समय माना जाता है। हिदू धर्म के अनुसार माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र की अनिवार्यता मानी गई हैं। जन्मदाता माता-पिता को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन 16 दिनों के पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष में पितृ देवता अर्थात पंचतत्व में विलीन हो चुके परिजनों की मृतात्माओं को भोजन और जल अर्पित किया जाता है, जिसे तर्पण और श्राध्द कर्म कहा गया है। मान्यता यह है कि पितृपक्ष के 16 दिनों में मृत्यु तिथि अनुसार किये गए तर्पण एवं श्राद्धकर्म से पितृदेवताओं को भोजन और जल प्राप्त होता है।
पितृदेवताओं के लिए मनाये जाने वाले 16 दिवसीय पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष का वर्णन हमारे वेद-पुराणों ओर धर्मग्रंथों में भी मिलता है। हिन्दुओं के प्रमुख धर्मग्रंथ श्रीराम चरित मानस से प्राप्त वर्णन के अनुसार स्वयं भगवान श्री राम चन्द्र जी ने भी अपने पिता महाराज दशरथ जी की मृत्यु के बाद उचित समय पर पितृदेवताओं के लिए श्राद्धकर्म एवं तर्पण किया था। इसके साथ ही गरुण पुराण और महाभारत आदि में भी तर्पण और श्राद्धपक्ष का वर्णन मिलता है इसकी महिमा कुछ मुख्य तत्वों पर आधारित होती है। जिसमें से कुछ विशेष कारणों से आपको अवगत कराते हैं। इन कारणों से, पितृपक्ष को हिन्दू समुदाय में एक महत्वपूर्ण और समर्पित त्योहार माना जाता है, जिसके कारण प्रत्येक हिन्दू परिवार में इन 16 दिनों को पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष को धर्म, और पितरों के स्मरण में बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और सभी को अपने पितृदेवताओं की आत्मतृप्ति के लिए पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्धकर्म अवश्य करना चाहिए।
पितरों की आत्मा की शांति
पितृपक्ष के दौरान, परिवार के पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। यह विश्वास किया जाता है कि श्राद्ध के द्वारा पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है और वे स्वर्ग में आनंद से रहते हैं।
पितृऋण
हिन्दू धर्म में, पुत्र या पुत्री का धर्म है कि वे अपने पितरों के ऋण को चुकाएं। पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करके, यह ऋण चुकाया जाता है।
परिवार के महत्व
पितृपक्ष एक परिवारी त्योहार होता है जिसमें परिवार के सभी सदस्य एक साथ आते हैं और अपने पितरों के स्मरण में एकत्र होते हैं। इसके माध्यम से परिवार के बंधन मजबूत होते हैं।
धार्मिक महत्व
पितृपक्ष का पालन करने से व्यक्ति अपने धर्म के मान्यता और तात्पर्य को दिखाता है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है और आत्मा के मोक्ष की दिशा में मदद करता है।