*मंत्रिमंडल विस्तार या संतुष्टिकरण*

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मध्यप्रदेश में सब कुछ अजब और गजब ही होता है। आचार संहिता लगने के एक महीने पहले मंत्रिमंडल का विस्तार करना कान्हा तक न्याय संगत है।
एक महीने के ये मंत्री जनता का कौन सा हित करेंगे ये तो किसी को नहीं मालूम लेकिन एक महीने में अपनी स्थित जरूर मजबूत करेंगे।
ये मंत्री भी लाड़ली बहना वाली श्रेणी में ही आयेंगे…मतलब महीने दो महीने जनता की आँखों में धूल झोंको और काम निकालो।
*यदि बीजेपी के ये नेता इतने योग्य थे की इनका मंत्री बनना बेहद जरूरी है, तो मुख्यमंत्री शिवराज ने इतने योग्य लोगों को अभी तक मंत्री नहीं बनाकर जनता का कितना नुक्सान कर दिया, और यदि इन्हें मंत्री बनाकर शिवराज इन्हें या इनके माध्यम से कोई जातिगत समीकरण साधने की कोशिश कर रहे हैं
मध्यप्रदेश की जनता अब परिवर्तन जरूर चाहती है *
जब से मध्य प्रदेश में कांग्रेस मय भाजपा हुई तो भाजपा की छवि जरूर खराब हुई।
जनता जुड़ी योजनाएं जनता तक पहुंचने का काम सरकार का होता है जिसे स्वार्थ बस सही हाथों न पहुंचना सरकार की विफलता ही कही जाएगी।कांग्रेस से भाजपा में आए मंत्रियों के कारण भ्रटाचार में कई गुना वृद्धि हुई है जिससे भाजपा की छवि खराब हुई है ।
भाजपा के कई बड़े मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह न देना भाजपा की भूल ही कही जाएगी शायद उसी सुधारने और विरोध काम करने के लिए यह साहसी कदम भाजपा अब ले रही है।
सूत्रों के हवाले से खबर है राजेंद्र शुक्ला,गौरी शंकर विसेन,राहुल लोधी ,जालिम पटेल को मंत्री मंडल में शामिल किया जा सकता है।
अब देखना यह है की भाजपा यह कदम कितना सार्थक सिद्ध होता है