जंगल महकमे में एपीसीसीएफ के कई पद खाली, धीमान, बिभाष और कृष्णमूर्ति की हो सकती है मुख्यालय में वापसी

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भोपाल. जंगल महकमे में एपीसीसीएफ के आधा दर्जन से अधिक पद रिक्त हैं. विभाग के पास एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारियों का टोटा है. यही वजह है कि मुख्यालय में प्रत्युक्ति पर विभाग से बाहर पदस्थ आयुक्त मत्स्य महासंघ पीएल धीमान, फेडरेशन में पदस्थ बिभास ठाकुर और सतपुड़ा टाइगर के फील्ड डायरेक्टर एवं अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एल कृष्णमूर्ति की मुख्यालय में वापसी होने के संकेत मिले हैं.
एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारियों की कमी के कारण एक-एक अफसरों के पास के पास एक से अधिक शाखाओं का प्रभार है. इनमें से अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक यूके सुबुद्धि ऐसे आईएफएस अधिकारी हैं, जिनके पास सबसे अधिक महत्वपूर्ण शाखाओं का प्रभार है. मसलन, विकास शाखा के साथ-साथ वित्त एवं बजट, जेएफएम और बंबू मिशन का प्रभार है. इसी प्रकार एपीसीसीएफ बीएस अन्नागिरी के पास सबसे अधिक शाखों का प्रभाव है. यानी अन्नागिरी के पास आईटी के अलावा भू अभिलेख, ग्रीन इंडिया मिशन, सामाजिक वानिकी और उत्पादन शाखा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. एपीसीसीएफ क्षेत्रीय वर्किंग प्लान कोमोलिका मोहंता को शिकायत एवं सतर्कता का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. प्रभार का खेल रेवाड़ी की तरह बांटे गए हैं. एपीसीसीएफ शशि मलिक और मोहन मीणा ऐसे अफसर हैं, जिन्हें कोई भी अतिरिक्त प्रभार नहीं दिया गया है. वैसे दोनों अफसर विभाग के मुख्य धारा के हाशिए पर धकेल दिए गए हैं.
पीसीसीएफ के पद भी प्रभार में
प्रधान मुख्य वन संरक्षक कैम्पा के सुनील अग्रवाल इस माह के अंत में सेवानिवृत होने जा रहे हैं. उनके रिटायरमेंट के पश्चात प्रधान मुख्य वन संरक्षण कैंपा का प्रभार अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कैम्पा एमएस धाकड़ को सौंपे पर जाने का आदेश जारी कर दिया गया है. वैसे धाकड़ पीसीसीएफ पद पर प्रमोट हो चुके हैं. संभावना जताई जा रही है कि कैंपा पीसीएफ के पद पर उनकी रेगुलर पोस्टिंग की जा रही है. वैसे सीनियरिटी के नजरिये से इस पद के प्रमुख दावेदार पीसीसीएफ डॉ अतुल श्रीवास्तव वर्किंग प्लान की है. लेकिन धाकड़ के राजनीतिक रसूख के चलते कैंपा शाखा में उनकी पदस्थापना का प्रस्ताव भेजा गया है. 1989 बैच के सबसे सीनियर आईएफएस अफसर एचयू खान भी पीसीएफएफ के पद पर प्रमोट हो चुके हैं किंतु उन्हें विभाग बदर किया जा रहा है. यानी कि वन मंत्री विजय शाह उन्हें राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर में प्रतिस्थापन करना चाह रहे हैं. इसी बैच के डॉ दिलीप कुमार के पीसीएफएफ पद पर प्रमोट होने के बाद संरक्षण शाखा का मुखिया बनाए जाने की संभावना है. पीसीसीएफ संरक्षण अजीत श्रीवास्तव इसी माह के अंत में रिटायर हो रहे हैं
महकमे में टूट रही है परंपराएं
जंगल महकमे में वर्षों स्थापित परंपराएं टूटने जा रही है. विभाग में परंपरा रही है कि सीनियर पीसीसीएफ स्तर के अधिकारी को कैंपा पीसीसीएफ के पद पर पदस्थापनाएं होती रही हैं. इस परंपरा के अनुसार 1988 बैच के आईएफएस अफसर एवं पीसीसीएफ वर्किंग प्लान डॉ अतुल श्रीवास्तव की पोस्टिंग कैंपा शाखा में होनी चाहिए, किंतु अब वह टूटने जा रही है. कांग्रेस और बीजेपी में दखल रखने वाले महेंद्र सिंह धाकड़ जूनियर मोस्ट पीसीसीएफ होने के बाद भी विभाग उन्हें कैंपा पीसीसीएफ के पद पर नवाजने जा रहा है. तबादला बोर्ड इस पर आपत्ति भी उठा सकता है. पीसीसीएफ पद पर प्रमोट होने वाले आईएफएस अफसर को सीनियरिटी के हिसाब से वर्किंग प्लान पोस्टिंग होनी चाहिए. इस परंपरा के अनुसार महेंद्र सिंह धाकड़ को वर्किंग प्लान पीसीसीएफ, एचयू खान को संरक्षण और डॉ दिलीप कुमार को जैव विविधता बोर्ड में सदस्य सचिव के पद पर पदस्थ किया जाना चाहिए. एक सेवानिवृत वरिष्ठतम आईएफएस अधिकारी का मानना है कि परंपरा को कायम रखने की जवाबदारी वन बल प्रमुख की होती है.
इनकी वापसी के पहले पोस्टिंग का प्रस्ताव
प्रतिनियुक्ति पर मत्स्य महासंघ में पदस्थ पीएल धीमान की मूल विभाग में वापसी के बाद उन्हें अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक भू-प्रबंधन मैं पदस्थ किए जाने की चर्चा है. इसी प्रकार लघु वनोपज संघ से वापस आ रहे विभाग ठाकुर को एपीसीसीएफ सामाजिक वानिकी में पदस्थ किए जाने का प्रस्ताव लंबित है. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री सचिवालय की नाराजगी की वजह से ठाकुर की सेवाएं मूल विभाग में वापस की जा रही हैं. फील्ड डायरेक्टर सतपुड़ा टाइगर एवं एपीसीसीएफ एलके कृष्णमूर्ति के मुख्यालय में लौटने पर उन्हें एपीसीसीएफ कैंपा के पद पर पदस्थ किया जा सकता है. सतपुड़ा टाइगर के फील्ड डायरेक्टर का प्रभार पीएन मिश्रा को दिए जाने का प्रस्ताव है. वर्तमान में मिश्रा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफर जोन का वर्किंग प्लान तैयार कर रहे हैं.
आधा दर्जन डिवीजन भी खाली, प्रभार का खेल
वन विभाग मे फील्ड में भी डीएफओ और एसडीओ के कई पद रिक्त पड़े हैं. टीकमगढ़, राजगढ़, होशंगाबाद, जबलपुर, रतलाम, धार और बैतूल उत्पादन डिवीजन में डीएफओ के पद रिक्त है. इन रिक्त पदों पर पदस्थापन का प्रस्ताव मंत्री और मंत्रालय के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण पिछले दो महीने से लंबित है. डीएफओ की पोस्टिंग नहीं होने के कारण डिवीजन भी प्रभार में चल रहे हैं. मसलन, अनुपम सहाय की पदस्थापना वन संरक्षक शिवपुरी सर्कल में किए जाने के बाद भी राजगढ़ डीएफओ का प्रभाव उनके पास है. इसी प्रकार वन संरक्षक वर्किंग प्लान इंदौर आदर्श श्रीवास्तव को रतलाम डिवीजन का प्रभाव दिया गया है. डिंडोरी उत्पादन डिवीजन में पदस्थ कमल सिंह मसराम को जबलपुर जैसा बड़ा डिवीजन का प्रभाव दिया गया है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के उपसंचालक संदीप फेलोज को होशंगाबाद डिवीजन का प्रभार है.