February 21, 2025

बिज़नेसमैन बाबा: एक सफल उद्यमी से संत बनने की प्रेरणादायक यात्रा

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महाकुंभ 2025 में इस बार कई साधु-संतों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन एक संत ऐसे भी हैं, जो अपनी अनोखी कहानी की वजह से लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन्हें लोग ‘बिज़नेसमैन बाबा’ के नाम से जानते हैं। बिज़नेसमैन बाबा का असली नाम राधेश्याम है और वे कभी एक बड़े व्यवसायी हुआ करते थे। लेकिन अब उन्होंने सांसारिक सुख-सुविधाओं को त्यागकर आध्यात्मिक जीवन अपना लिया है।

यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति के जीवन का बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक गहरी सीख देती है कि सफलता सिर्फ धन से नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और आत्मिक संतोष से भी मापी जाती है। आइए जानते हैं कि बिज़नेसमैन बाबा की यात्रा कैसे शुरू हुई और उन्होंने अपने जीवन को अध्यात्म की ओर कैसे मोड़ा।

बिज़नेसमैन बाबा का उदय: व्यवसाय से सफलता तक

बिज़नेसमैन बाबा कभी ‘फ्यूचर मेकर लाइफ केयर ग्लोबल मार्केटिंग’ नामक कंपनी के चेयरमैन थे। यह एक नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी थी, जिसने बहुत ही कम समय में 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति बना ली थी। इस कंपनी के जरिए लाखों लोग जुड़े और यह एक बड़ी कंपनी बन गई।

राधेश्याम एक साधारण पृष्ठभूमि से आए थे, लेकिन उनकी मेहनत, लगन और दूरदृष्टि ने उन्हें एक सफल उद्यमी बना दिया। बिज़नेसमैन बाबा की कंपनी तेजी से आगे बढ़ रही थी और वे एक अमीर और प्रसिद्ध व्यवसायी बन चुके थे।

बिज़नेसमैन बाबा के जीवन में नया मोड़

व्यापार की दुनिया में तेज़ी से आगे बढ़ते हुए, बिज़नेसमैन बाबा को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी कंपनी से जुड़े विवाद सामने आए, और परिस्थितियों ने उन्हें आत्ममंथन करने का अवसर दिया। इस कठिन समय ने उन्हें गहराई से सोचने पर मजबूर किया और उन्होंने आध्यात्म की ओर रुख किया।

यही वह समय था जब उन्होंने भगवद गीता का अध्ययन किया और आत्मचिंतन में समय बिताया। उन्होंने महसूस किया कि सच्चा सुख सिर्फ धन-संपत्ति में नहीं, बल्कि आत्मिक शांति में है। इस अनुभव ने बिज़नेसमैन बाबा के जीवन को पूरी तरह बदल दिया।

बिज़नेसमैन बाबा का आध्यात्म की ओर पहला कदम

जेल में रहने के दौरान, बिज़नेसमैन बाबा ने 500 बार भगवद गीता पढ़ी। उन्होंने गीता के ज्ञान को अपने जीवन में अपनाना शुरू किया और ध्यान तथा योग का अभ्यास किया। इस समय में उन्होंने एक 700 पन्नों की किताब ‘परम रहस्यम’ भी लिखी, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों और आध्यात्मिक बदलाव के बारे में बताया।

धीरे-धीरे बिज़नेसमैन बाबा का झुकाव आध्यात्म की ओर बढ़ता गया। उन्होंने यह तय कर लिया कि जब वह जेल से बाहर आएंगे, तो वे सांसारिक मोह को त्याग देंगे और अपना जीवन ईश्वर की सेवा में लगा देंगे।

‘परमधाम’ संस्था की स्थापना

जनवरी 2022 में जब बिज़नेसमैन बाबा जेल से बाहर आए, तो उन्होंने अपने पुराने जीवन को पूरी तरह छोड़ दिया। उन्होंने न तो अपनी संपत्ति वापस लेने की कोशिश की और न ही फिर से व्यवसाय शुरू किया। इसके बजाय, उन्होंने एक आध्यात्मिक संस्था ‘परमधाम’ की स्थापना की।

यह संस्था लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान और योग सिखाने के लिए बनाई गई है। इस संस्था के माध्यम से बिज़नेसमैन बाबा लोगों को सिखाते हैं कि धन और सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण है आत्मिक शांति।

आज बिज़नेसमैन बाबा पूरे भारत में आध्यात्म का प्रचार कर रहे हैं। वे लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि पैसा जरूरी है, लेकिन जीवन का असली उद्देश्य आध्यात्मिक शांति और मानव सेवा है।

महाकुंभ 2025 में ‘बिज़नेसमैन बाबा’

महाकुंभ 2025 में, बिज़नेसमैन बाबा अपने शिविर में प्रवचन दे रहे हैं। वे श्रद्धालुओं को अपने जीवन की कहानी सुनाकर यह संदेश दे रहे हैं कि पैसा और सफलता स्थायी नहीं होते, लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान और सेवा से सच्ची खुशी प्राप्त की जा सकती है।

उनके प्रवचनों में हजारों लोग शामिल हो रहे हैं। वे लोगों को बता रहे हैं कि सच्चा व्यापार वही है, जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए।

उन्होंने महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मुफ्त भंडारे और ध्यान शिविरों का भी आयोजन किया है, जहां लोग ध्यान और योग सीख सकते हैं।

आज, बिज़नेसमैन बाबा केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक विचार बन चुके हैं। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो भौतिक सुख-सुविधाओं से परे जीवन के सच्चे अर्थ को खोजना चाहता है।

बिज़नेसमैन बाबा की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता सिर्फ पैसे में नहीं, बल्कि शांति और संतोष में भी होती है। उन्होंने अपने जीवन में बड़े उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन अंत में उन्होंने आध्यात्मिकता को अपनाकर खुद को नया जीवन दिया।

महाकुंभ 2025 में वे अपने संदेश के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं। वे हमें सिखाते हैं कि धर्म और व्यापार को सही तरीके से जोड़ा जाए, तो दोनों ही समाज के लिए लाभदायक हो सकते हैं।

“संपत्ति का त्याग करके नहीं, बल्कि सही उपयोग करके सच्चा संत बना जाता है।”

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