भाजपा ने पांचवीं लिस्ट में रखा जातिगत समीकरणों का ध्यान
निमाड़ की बड़वाह सीट पर गुर्जर और ठाकुर समाज निर्णायक भूमिका में रहते हैै। भाजपा ने इस सीट पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए विधायक सचिन बिरला को फिर टिकट दिया है। सचिन गुर्जर समाज से आते है और सनावद क्षेत्र के रहवासी है।

इंदौर की तीन नंबर विधानसभा सीट में जिले की 9 सीटों मेें सबसे कम वोटर है। पौने दो लाख वोटरों की इस विधानसभा में 15 हजार ब्राम्हण मतदाता भी है। जूनी इंदौर क्षेत्र में सबसे ज्यादा ब्राम्हण मतदाता है। भाजपा ने इस वोटबैंक को ध्यान में रखकर गोलू शुक्ला का नाम पर मुहर लगाई,क्योकि कांग्रेस के उम्मीदवार पिंटू जोशी भी ब्राम्हण समाज से है। इस विधानसभा में सबसे तगड़ा मुस्लिम वोटबैैंक है। जिसका फायदा ज्यादातर चुनाव में कांग्रेस को होता हैै।
इंदौर की देपालपुर सीट के उम्मीवार का चयन में जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर किया गया। भाजपा उम्मीदवार मनोज पटेल धाकड़ समाज से आते हैै। कांग्रेस प्रत्याशी भी उसी समाज से है।
गुर्जर वोटबैैंक के कारण बिरला को टिकट
निमाड़ की बड़वाह सीट पर गुर्जर और ठाकुर समाज निर्णायक भूमिका में रहते हैै। भाजपा ने इस सीट पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए विधायक सचिन बिरला को फिर टिकट दिया है। सचिन गुर्जर समाज से आते है और सनावद क्षेत्र के रहवासी है। इस सीट पर जातिगत के अलावा क्षेत्रीय समीकरण का भी संतुलन बैठाने की कोशिश की गई।
मालवा की कालापीपल विधानसभा सीट पर दोनो उम्मीदवार खाती समाज से है। इस सीट पर खाती समाज का वोटबैंक निर्णायक स्थिति में रहता है। कांग्रेस उम्मीदवार कुणाल चौधरी और भाजपा उम्मीदवार घनश्याम चंद्रवंसी दोनो एक समाज से हैै। खरगोन सीट पर भी जातिगत समीकरण के कारण पूर्व विधायक बालकृष्ण पाटीदार भारी रहे। इस सीट पर पाटीदार समाज के वोट ज्यादा है।
दोनो टिकट कोरकू समाज से
देवास जिले की बागली सीट पर दोनो उम्मीदवारों कोरकू समाज के उम्मीदवार को टिकट दिया है। कोरकू वोटबैंक इस सीट में हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। खातेगांव सीट पर भाजपा ने आशीष शर्मा को टिकट दिया है। वे ब्राम्हण समाज से आते है, जबकि कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर आए दीपक जोशी को उम्मीदवार बनाया। वे भी ब्राम्हण समाज से है। झाबुआ में भाजपा और कांग्रेस ने भूरिया उपनाम के उम्मीदवार उतारे है।