राहुल गांधी ने क्या आख़िरी पलों में अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने की रणनीति बदल ली?
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भारतीय मीडिया में यह ख़बर पिछले दो दिनों से सुर्खियों में थी कि राहुल गांधी ही चर्चा की शुरुआत करेंगे.
मंगलवार को राहुल गांधी का नाम भी लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के पास पहले वक़्ता के तौर पर भेजा गया था. मीडिया में इस बात की चर्चा ज़ोरों पर थी कि राहुल गांधी सांसदी बहाल होने के बाद लोकसभा में किस तेवर में बोलेंगे.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आख़िरी मिनटों में राहुल गांधी ने चर्चा की शुरुआत करने से इनकार कर दिया. अभी तक यह रहस्य बना हुआ है कि राहुल गांधी ने ऐसा क्यों किया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ राहुल के इनकार के बाद कांग्रेस के फ्लोर मैनेजरों ने ओम बिड़ला को सूचित किया कि असम से पार्टी के सांसद गौरव गोगोई चर्चा की शुरुआत करेंगे. गौरव गोगोई ने ही अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था.
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कांग्रेस नेता चर्चा की शुरुआत राहुल गांधी की ओर से नहीं होने पर कोई ठोस कारण नहीं बता रहे हैं लेकिन सत्ताधारी बीजेपी इससे ज़रूर हरकत में आ गई.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में चर्चा शुरू होने के दौरान ही पूछा कि राहुल गांधी का नाम स्पीकर के पास भेजा गया था लेकिन उनका नाम वापस क्यों लिया गया?
इस पर गोगोई ने जवाब दिया कि “स्पीकर के चैंबर में हुई बातों को सार्वजनिक करना ठीक नहीं है, क्या ये भी बता जाएगा कि प्रधानमंत्री और स्पीकर के बीच क्या बात हुई.”
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इस बयान पर ट्रेज़री बेंच, अमित शाह सहित केंद्रीय मंत्रियों ने कड़ी आपत्ति जताई.
अमित शाह ने कहा, “ ये गंभीर आरोप है. आपको बताना चाहिए पीएम और स्पीकर के बीच क्या बात हुई.”
प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस की ओर से कौन बहस शुरू करेगा इसे लेकर पैदा हुए कंफ्यूजन पर कहा, “ये सबको पता था कि बहस की शुरुआत कौन करेगा.”
मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में बोलने वाले दूसरे नेता थे निशिकांत दुबे. उन्होंने तंज़ वाली भाषा में कहा, “हमें उम्मीद थी की राहुल गांधी विपक्ष की ओर से पहले वक्ता होंगे लेकिन लगता है वो तैयारी करके नहीं आए और देर से सोकर उठे.”
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कांग्रेस में भी कंफ्यूज़न
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ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस के सांसदों को भी इसका अंदाज़ा नहीं था कि राहुल गांधी प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत नहीं करेंगे, सभी अपने-अपने कारण बता रहे थे.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक कांग्रेस के सांसद ने कहा, “शायद उन्हें लगा कि गोगोई को बहस शुरू करनी चाहिए क्योंकि वह पूर्वोत्तर से हैं और उन्होंने मणिपुर का दौरा किया था. गोगोई ने ही सदन को नोटिस दिया था और वही चर्चा शुरू करने वाले थे. राहुल गांधी की लोकसभा में वापसी ही एक दिन पहले हुई है.”
एक अन्य सांसद ने अख़बार से दावा किया कि गांधी ने पहले नहीं बोलने का फ़ैसला किया क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी सदन में मौजूद नहीं थे.
वहीं तीसरे सांसद ने कहा कि राहुल गांधी “असहज” महसूस कर रहे थे इसलिए नहीं बोला.
कांग्रेस के कुछ सांसद ये भी कह रहे थे कि वो सरकार को सरप्राइज़ करना चाहते थे.
एक सांसद ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमने उनका (राहुल गांधी) नाम एक चाल के तहत दिया था. हमें पता था जैसे ही सरकार को पता चलेगा कि राहुल गांधी बोल रहे हैं, ट्रेज़री बेंच अपनी पूरी तैयारी के साथ आएगा और उनकी बहस को मुद्दे से भटकाना चाहेगा. लेकिन जब हमने ऐन मौक़े पर तय किया कि गोगोई बोलेंगे तो वो लोग हैरान परेशान हो गए, वो (सत्ता पक्ष के सांसद) लोग इसके लिए तैयार
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राहुल गांधी के भाषण ना देने पर बीजेपी की आपत्ति
मोदी सरकार के खिलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जब राहुल गांधी ने मंगलवार को भाषण नहीं दिया तो उस पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई.
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस ने सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर एक पत्र दिया, जिसमें कहा गया कि राहुल गांधी बोलेंगे, बहस दोपहर में शुरू हुई, मुझे आश्चर्य है कि पाँच मिनट में ऐसी क्या समस्या आ गई कि उन्होंने भाषण ना देने का फ़ैसला ले लिया.
इसके जवाब में कांग्रेस सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि “सत्ता पार्टी के मंत्रियों को लोकसभा स्पीकर के चेंबर में हुई बातों को सार्वजनिक रूप से सामने नहीं लाना चाहिए.”
चेतावनी वाले लहजे में उन्होंने कहा कि “अगर इस तरह स्पीकर से हुई हमारी बात को सामने लाया जा रहा है तो फिर चेंबर में प्रधानमंत्री और स्पीकर के बीच क्या बात हुई है ये भी आपको बताना होगा.”
गोगोई के इस बयान पर गृहमंत्री अमित शाह ग़ुस्से मे अपनी सीट से उठ गए और
गोगोई से कहा, “ ये गंभीर आरोप है, आपको बताना चाहिए कि पीएम ने क्या कहा है.”
प्रह्लाद जोशी ने स्पीकर से कहा, “आप स्पीकर और प्रधानमंत्री को लेकर ऐसे बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकते. यह एक गंभीर मामला है.”
इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने गौरव गोगोई से कहा मेरा चेंबर भी लोकसभा का हिस्सा है इसलिए ऐसे कोई बयान मत दीजिए जिसके पीछे सच्चाई ना हो.
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निशिकांत दुबे का ‘बेटे और दामाद’ वाला बयान
सत्ताधारी पक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करते हुए झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने अपने पूरे भाषण में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के विरोधाभासों पर ज़ोर दिया.
उन्होंने टीएमसी, डीएमके, जेडीयू और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों के कांग्रेस के साथ अतीत के टकराव का विस्तार से ज़िक्र किया, उन्होंने तंज़ करते हुए कहा कि इस गठबंधन के ज़्यादातर लोग गठबंधन ‘इंडिया’ का “फुल फॉर्म नहीं बता पाएँगे”.
निशिकांत दुबे ने अविश्वास प्रस्ताव को ‘ग़रीब के बेटे’ और ‘लोगों के लिए घर बनाने वाले’ व्यक्ति पर हमला बताया.
दुबे ने सोनिया गांधी का नाम लेकर उनके बेटे और दामाद का ज़िक्र किया, उन्होंने अपने भाषण में कई बार ‘दामाद’ शब्द का प्रयोग किया जिस पर विपक्ष ने कई बार विरोध किया, उन्होंने कहा कि किसी का भी दामाद हो सकता है, मैं किसी का नाम नहीं ले रहा हूँ.
संसद में मणिपुर पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है. ये चर्चा 8 अगस्त से शुरू हुई है और 10 अगस्त तक चलेगी.
हालांकि इस प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई ख़तरा नहीं है. लोकसभा में बहुमत के लिए 272 सांसदों की ज़रूरत है. एनडीए के पास 331 सांसद हैं.
अकेले बीजेपी के पास 303 सांसद हैं. इसका मतलब यह है कि भले ही सभी ग़ैर-एनडीए दल एक साथ आ जाएं फिर भी बीजेपी के पास अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए पर्याप्त संख्या है.
ये प्रस्ताव इस इरादे से लाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर के हालात पर सदन में बयान दें.