February 23, 2025

सिंधिया समर्थकों के पैरों तले खिसकती जमीन।

0

#image_title

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ अन्य छोटे बड़े दलों के नेता अपनी अपनी दावेदारी पेश करने में जुटे हुए हैं इस चुनाव को लेकर शहर में चर्चाओं का बाजार भी गर्म है। यदि इन चर्चाओं पर गौर किया जाए तो शहर के उन बड़े नेताओं के पैरों तले से जमीन खिसकती नजर आ रही है। जो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं और अपने महाराज का साथ निभाने के लिए न सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि अपनी-अपनी विधायकी भी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इनमें से कुछ नेता तो उपचुनाव में ही अपनी सीट हारने के बाद कहीं के नहीं रहे। और जो चुनाव जीत भी गए उनका वर्तमान चुनाव से पहले ही बुरा हाल है।

सबसे पहले बात करते हैं ग्वालियर पूर्व विधानसभा की, जो की सबसे हॉट सीट मानी जाती है क्योंकि दोनों केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया इसी विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं। यहां से दो बार हारने के बाद वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे मुन्नालाल गोयल की। जो सिंधिया समर्थक होने के चलते उनके पीछे-पीछे कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए और 2020 के उपचुनाव में भाजपा छोड़ कांग्रेस में पहुंचे सतीश सिंह सिकरवार से चुनाव हारकर विधायकी भी गवां बैठे। मुन्नालाल गोयल वैश्य वर्ग से आते हैं और इनके विधानसभा क्षेत्र में वैश्य समाज का वोट बड़ी तादाद में है लेकिन चर्चा तो यह भी है कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर पार्टी से भितरघात करने के कारण अपने समाज का भी पूर्ण समर्थन नहीं मिला। सिंधिया समर्थक होने के चलते राज्यमंत्री दर्जा मिला तो सोचा चलो अगला चुनाव लड़ेंगे। जिसके लिए लगातार क्षेत्र की जनता से जुड़ने का प्रयास करते रहे लेकिन आगामी चुनाव से पहले ही चर्चा जोरों पर है कि इसबार टिकिट मिलना मुश्किल है। यदि महाराज के प्रयासों से टिकिट मिल भी गया तो क्या इन्हें जनता स्वीकार करेगी या फिर एक बार कांग्रेस पर विस्वास जताएगी। अब देखना यह है कि यदि टिकिट नहीं मिला तो नेताजी क्या करेंगे। किसी दूसरी पार्टी का दामन थाम कर चुनाव मैदान में उतरेंगे या फिर घर बैठकर अपनी गलती पर पछताएंगे। यहां पार्टी बदलने की बात कहना इसलिए जरूरी है क्योंकि मुन्नालाल गोयल अपना पहला चुनाव जनतादल के झंडे के नीचे लड़कर पार्षद बने। जिसके बाद समाजवादी पार्टी का झण्डा उठाया और फिर कांग्रेस में पहुंचे बाद में कांग्रेस की सरकार गिराकर भाजपा में शामिल हो गए। इनके लिए पार्टी बदलना कोई नई बात नहीं है।

अब बात करते हैं ग्वालियर विधानसभा की जहां से वर्तमान में सिंधिया खेमे के ही प्रधुमन सिंह तोमर विधायक हैं और शिवराज सरकार में मंत्री हैं। कुछ महीने की कमलनाथ सरकार को गिराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अहम भूमिका निभाने वाले प्रधुमन सिंह तोमर कट्टर सिंधिया समर्थक बताये जाते हैं। भाजपा में आने के बाद प्रधुमन सिंह तोमर उपचुनाव में अपनी सीट बचाने में सफल रहे और शिवराज सरकार में मंत्री भी बने लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में इनके क्षेत्र की जनता में इनके प्रति बहुत ज्यादा नाराजगी नजर आ रही है। जिसकी एक बड़ी वजह है क्षेत्र में विकास के नाम पर हुई बेतहाशा तोड़-फोड़ और हजीरा चौराहे की वर्षों पुरानी सब्जीमंडी को प्रसाशन द्वारा जबरन खाली कराकर मंडी को दूसरी जगह स्थानांतरित करना। यहां गौरतलब है कि इस विधानसभा क्षेत्र में गरीब वर्ग का वोटर बड़ी तादाद में है जो सब्जी, फल या खान-पान का कारोबार मंडी परिसर में ओर सड़कों के किनारे हाँथठेलो पर करता है। अब प्रशासन इनके ठेले जबरन इंटक मैदान में लगवाता है। जहां इनका कारोबार ठीक से नहीं चलता जिसके चलते यह वर्ग आर्थिक रूप से परेशान है। जबकि मंत्री जी जब 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे तब ठेला कारोबारियों से वादा किया था कि सब्जीमंडी नहीं हटेगी। इलाके में बेबजह तोड़फोड़ नहीं होगी लेकिन कांग्रेस छोड़ने और 2020 के उपचुनाव में जीतकर भाजपा सरकार में मंत्री बनने के बाद जनता से किया वादा भूल गए। अब जनता तो नाराज होगी ना और जनता तो चुनाव में ही नेता का हिसाब बराबर करती है।

इसके साथ ही इस विधानसभा क्षेत्र में दूसरा बड़ा वर्ग क्षत्रीय (राजपूत) समाज का है और प्रधुमन सिंह तोमर खुद इसी वर्ग से हैं। कुछ सामाजिक और कुछ राजनीतिक व विकास कार्यों को लेकर मंत्री जी से अपने ही समाज की नाराजगी भी बड़े नुकसान की वजह बनती दिखाई दे रही है। जिस तरीके से क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है उसके हिसाब से तो मंत्री जी मामला खटाई में नजर आ रहा है।

जब चर्चा ग्वालियर में सिंधिया गुट की हो और डबरा विधानसभा की बात न कि जाए तो बहुत नाइंसाफी होगी। चलो आपको यहां की चर्चाओं से भी अवगत कराते हैं। यहां से यह विधानसभा सीट भी जिले की हॉट सीट मानी जाती है क्योंकि यह प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का गृह नगर है लेकिन कांग्रेस के अभेद्य किले के रूप में इस विधानसभा को देखा जाता है। 2008 में अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व होने के बाद से यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है।

डबरा विधानसभा सीट से 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में इमरती देवी ने चुनाव जीता था। इमरती देवी जो ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक हैं, 2020 में सिधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद इमरती भी भाजपा में शामिल हो गईं थी। 2020 में डबरा सीट पर कराए गए उपचुनाव में इमरती देवी को कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे के हाथों हार का सामना करना पड़ा लेकिन महाराज की कृपापात्र होने के चलते चुनाव हारने के बाद भी मंत्री दर्जा प्राप्त हो गया। ऐसे में इस बार भी विधानसभा चुनाव में इमरती देवी और सुरेश राजे के बीच ही चुनावी मुकाबला होने के आसार हैं। सिंधिया की करीबी होने के चलते इमरती देवी का टिकट लगभग तय माना जा रहा है लेकिन क्या इमारती देवी अपने क्षेत्र के वोटरों को अपने पक्ष में ला पाएंगी या फिर यहां पूर्व की तरह कांग्रेस का ही झंडा बुलंद होगा।

खैर जो भी चर्चायें हैं वह तो टिकिट बंटने ओर चुनाव होने तक चलती रहेंगी। राजनीति में कुछ भी पहले से तय नहीं होता। सभी नेता टिकिट मिलने और बड़े बहुमत से चुनाव जीतने का दम भरते हैं लेकिन यह तो चुनाव परिणाम ही बताते हैं कौन जीता और कौन हारा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़

slot server thailand super gacor

spaceman slot gacor

slot gacor 777

slot gacor

Nexus Slot Engine

bonus new member

olympus

situs slot bet 200

slot gacor

slot qris

link alternatif ceriabet

slot kamboja

slot 10 ribu

https://mediatamanews.com/

slot88 resmi

slot777

https://sandcastlefunco.com/

slot bet 100

situs judi bola

slot depo 10k

slot88

slot 777

spaceman slot pragmatic

slot bonus

slot gacor deposit pulsa

rtp slot pragmatic tertinggi hari ini

slot mahjong gacor

slot deposit 5000 tanpa potongan