33 प्रतिशत महिला आरक्षण पर मोदी केबिनेट की मौहर।
ग्वालियर/ नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा बुलाये गए विशेष सत्र के दौरान मोदी केबिनेट ने देश की महिलाओं को लोकसभा, राज्यसभा ओर सभी राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण बिल को मंजूरी देकर देश की राजनीती में बड़ा फेरबदल कर दिया। वैसे तो महिला आरक्षण का मुददा 1947 में देश आजाद होने के बाद ही उठा था लेकिन सबसे अधिक जोर इसपर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने दिया। स्व.अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने अपने कार्यकाल में चार बार महिला आरक्षण बिल पेश किया लेकिन तब विपक्ष लगातार इस बिल के रास्ते का रोड़ा बनता रहा।
संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट की अहम बैठक हुई। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है। इस बिल को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने आखिरकार इस बिल को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद बुधवार को महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इसके साथ ही यह नए संसद भवन में पेश होने वाला पहला बिल बन जाएगा हालांकि अभी सरकार की ओर से इस मामले में आधिकारिक बयान आना बाकी है।
कांग्रेस पार्टी ने फैसले का स्वागत किया
हालांकि कांग्रेस पार्टी ने इससे पहले ही महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत कर दिया है। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहा, “कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग कर रही है। हम कथित तौर पर सामने आ रहे केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के पीछे वाली राजनीति के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी।
इस बिल में क्या है?
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए. आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं।
सदनों में महिलाओं की वर्तमान स्थिति
यहाँ आपको ये भी जानना जरूरी है कि वर्तमान लोकसभा में, 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 का 15 प्रतिशत से भी कम है। वहीं राज्यसभा में मात्र 32 महिला सांसद हैं, जोकि कुल राज्यसभा सांसदों का 11 प्रतिशत है। इसके अलावा अगर राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना सहित कई राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है। दिसंबर 2022 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 10-12 प्रतिशत महिला विधायक थीं।