मदरसों को राहत: सुप्रीम कोर्ट ने फंडिंग बंद करने और ट्रांसफर आदेश पर लगाई रोक
Relief to Madrassas: Supreme Court bans stop funding and transfer order
नई दिल्ली ! सुप्रीम कोर्ट का आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की उन सिफारिशों पर रोक लगा दी, जिनमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act 2009) का पालन न करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने, उनकी सरकारी फंडिंग रोकने और सभी मदरसों का निरीक्षण करने की बात कही गई थी। इसके साथ ही, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने के आदेश पर भी रोक लगा दी है।
NCPCR की सिफारिश क्या थी?
NCPCR ने सिफारिश की थी कि जो मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करते, उनकी सरकारी मदद बंद कर दी जानी चाहिए। आयोग ने सभी मदरसों का निरीक्षण करने की भी सिफारिश की थी, ताकि यह देखा जा सके कि वे शिक्षा के मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं। सुप्रीम कोर्ट में इस सिफारिश के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दायर की थी, जिस पर चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाने की अनुमति भी दी है, ताकि व्यापक रूप से सभी मदरसों की स्थिति पर विचार हो सके।
पूरा मामला क्या है?
एनसीपीसीआर ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार को पत्र लिखकर सभी मदरसों का निरीक्षण करने और उनकी जांच करने का निर्देश दिया था। यूपी के मुख्य सचिव ने इस पत्र के जवाब में सभी जिलाधिकारियों को मदरसों की विस्तृत जांच का आदेश दिया था। इसी तरह त्रिपुरा सरकार ने भी अगस्त में मदरसों की जांच के निर्देश दिए थे।
उत्तर प्रदेश सरकार को दूसरा झटका:
यह उत्तर प्रदेश सरकार को मदरसों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से मिला दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा अधिनियम, 2004 को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई थी। उस मामले की याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश से स्पष्ट है कि मदरसों की फंडिंग फिलहाल जारी रहेगी और गैर-मुस्लिम विद्यार्थियों को जबरन सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई तक, मदरसे अपनी वर्तमान स्थिति में कार्यरत रहेंगे।