मप्र के 50 जिला अस्पतालों में जन-औषधि केंद्रों का शुभारंभ, सीएम मोहन यादव ने की घोषणा
Inauguration of Jan Aushadhi Centers in 50 district hospitals of Madhya Pradesh, CM Mohan Yadav announced
भोपाल। प्रदेश के 50 जिला चिकित्सालयों में प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्रो । इन केंद्रों पर लोगों को गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां बेहद सस्ती कीमतों में उपलब्ध होंगी। भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इन जन-औषधि केंद्रों का शुभारंभ किया। जन-औषधि केंद्रों का संचालन रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा किया जाएगा।
इसी कार्यक्रम के दौरान सीएम डॉ. यादव ने स्वच्छता से सेवा पखवाड़े का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि कचरा मुक्त शहर के आधार पर सफाई कर्मियों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। राज्यपाल मंगुभाई पटेल और सीएम ने सिंगल क्लिक से राशि खातों में ट्रांसफर की। कार्यक्रम में भोपाल को स्वच्छता सर्वेक्षण में 5 स्टार रेटिंग मिलने पर नगर निगम के 8,117 सफाई मित्रों को 5-5 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई।
स्टार रेटिंग के हिसाब से मिलेगी प्रोत्साहन राशि
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कचरा मुक्त शहर स्टार प्रमाणीकरण के आधार पर सफाई मित्रों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। जिस निकाय को जितने स्टार मिलेंगे, उसमें कार्यरत उतने हजार रुपए की राशि दी जाएगी यानी एक स्टार हासिल करने वाले निकाय को एक-एक हजार, दो, तीन स्टार से लेकर 5 स्तर और 7 स्टार तक प्राप्त कर सकते हैं। 7 स्टार वालों को 7 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल, नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्रीमती राधा सिंह, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, भोपाल सांसद आलोक शर्मा, विधायक रामेश्वर शर्मा, भगवान दास सबनानी समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।
स्वच्छता के साथ स्वास्थ्य को भी तरजीह
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम डॉ. यादव ने कहा कि हमारे 33 करोड देवी-देवताओं में एक देवी स्वच्छता की हैं शीतला माता। चेचक की बीमारी से बचाने टीकाकरण की शुरुआत हुई। चेचक का जिसे फोड़ा हुआ था, उसके मवाद से चेचक का टीका बनाया। ये हमारे प्राचीन चिकित्सा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुजुर्गों को पांच लाख तक का मुफ्त इलाज दिया। अब सस्ती दरों पर जेनेरिक दवा भी उपलब्ध होगी। सफाई मित्रों की स्वच्छता और स्वास्थ्य में बड़ी भूमिका है मैं आपको प्रणाम करता हूं।
हेत्थ पैरामीटर्स में छुएंगे शिखर
इससे पहले उप मुख्यमंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसा वातावरण तैयार किया कि आमजन स्वच्छता के प्रति जागरूक हुए है। सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से 50 जिला अस्पतालों में जन-औषधि केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग हेल्थ के पैरामीटर के मामले में उच्च शिखर को प्रात करेगा।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र परियोजना का शुभारंभ वर्ष 2008 में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया था। वर्ष 2015 के बाद से इस योजना में और गति आयी। इसका उद्देश्य पूरे देश में सस्ती दवाइयों की पहुंच को व्यापक बनाना था। वर्तमान में इस परियोजना में देश में प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग सस्ती जेनेरिक दवाओं का लाभ उठा सकें।
500 से अधिक जन-औषधि केंद्र खुले
वर्तमान में मध्य प्रदेश में 500 से अधिक जन औषधि केंद्र कार्यरत हैं, जो प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित हैं। ये केंद्र शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों के माध्यम से प्रतिदिन हजारों लोग सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयां खरीद रहे हैं। उनके मासिक चिकित्सा खर्चों में बड़ी बचत हो रही है। अब सभी जिला चिकित्सालयों में भी प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं।
जन-औषधि केंद्र खुलने से ये फायदे
सभी को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध होंगी। मरीजों को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50% से 90% तक कम दाम पर दवाइयां मिलेंगी।
इससे लोगों के मासिक चिकित्सा खर्चों में बड़ी बचत होगी। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगी।
सस्ती और सुलभ दवाओं के माध्यम से लोग अपने उपचार को निरंतर जारी रख सकेंगे, जिससे स्वास्थ्य परिणामों में सुधार आएगा। खासकर मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों के प्रबंधन में जन-औषधि केंद्र अहम भूमिका निभाएगा।
जन-औषधि केंद्र के माध्यम से जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को लेकर जागरूकता बढ़ेगी, जिससे लोग ब्रांडेड दवाओं पर निर्भरता कम करेंगे और सस्ती जेनेरिक दवाओं को अपनाएंगे।
स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। प्रत्येक केंद्र के चालन के लिए फार्मासिस्ट और अन्य कर्मचारी आवश्यक होंगे, जिससे राज्य में नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।