February 7, 2025

स्वतंत्र SIT करेगी तिरुपति लड्डू प्रसाद मामले की जांच

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Independent SIT will investigate Tirupati Laddu Prasad case

Tirupati Laddu Row Hearing in Supreme Court: तिरुपति लड्डू प्रसाद मामले की जांच अब एक स्वतंत्र SIT करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से गठित SIT को लेकर उठ रहे सवालों के मद्देनजर नई जांची टीम का गठन किया है. इस जांच दल में 2 सीबीआई अधिकारी होंगे, 2 अधिकारी आंध्र प्रदेश पुलिस के होंगे और एक अधिकारी फूड स्टैंडर्ड एंड सेफ्टी अथॉरिटी यानी FSSAI का होगा. जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक करेंगे.

दुनिया भर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र तिरुपति बालाजी मंदिर में आंध्र प्रदेश की पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार के दौरान चढ़ाए जा रहे प्रसाद में मिलावट का आरोप लगा था. यह आरोप आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लगाया था. उन्होंने कहा था कि प्रसाद में इस्तेमाल किए जा रहे घी में एनिमल फैट यानी पशुओं की चर्बी की मिलावट पाई गई है. इस बात के सामने आते ही लोगो में गहरी नाराजगी फैल गई थी. बाद में इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई.

सुनवाई के दौरान सीएम पर लगाया ये आरोप

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के करीबी रिश्तेदार वाई.वी. सुब्बा रेड्डी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका में इस बात पर सवाल उठाया गया कि चंद्रबाबू नायडू ने जांच पूरी होने से पहले ही राजनीतिक लाभ के लिए बयान दिया. उन्होंने कहा कि घी के जो 4 टैंकर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के पास जांच के लिए भेजे गए थे, उन्हें प्रसाद बनाने में इस्तेमाल नहीं किया गया था.

सॉलिसिटर जनरल ने राज्य सरकार की SIT को बताया उपयुक्त

राज्य सरकार के निष्पक्षता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई SIT को जांच करने दिया जाए या किसी दूसरी संस्था को यह ज़िम्मा दिया जाए. इसका जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार के SIT में सभी बेदाग और अच्छे अधिकारी हैं. उन्हें जांच करने देना चाहिए. बेहतर जांच के लिए उनकी निगरानी का काम एक केंद्रीय वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को सौंप देना चाहिए.

कपिल सिब्बल ने किया सॉलिसिटर जनरल के सुझाव का विरोध

वाई.वी. सुब्बा रेड्डी के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस सुझाव का विरोध किया. उनकी मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट अपनी तरफ से SIT का गठन करे. आखिरकार जस्टिस बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि वह एक SIT बना रहे हैं. इसमें 2 अधिकारी सीबीआई के होंगे, दो आंध्र प्रदेश पुलिस के होंगे और एक अधिकारी FSSAI का होगा. कोर्ट ने कहा कि SIT में आंध्र प्रदेश पुलिस के जो अधिकारी होंगे, उनका नाम आंध्र प्रदेश सरकार तय करेगी, FSSAI के अधिकारी का चयन FSSAI के अध्यक्ष करेंगे. कोर्ट का कहना था कि FSSAI खाद्य मिलावट के मामलों में विशेषज्ञ संस्था है. ऐसे में उसके एक अधिकारी की मौजूदगी से जांच बेहतर हो सकेगी.

भविष्य में इस जांच से किसी को दिक्कत हो तो यहां वापस आ सकते हैं – सुप्रीम कोर्ट

इस आदेश के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले का निपटारा कर दिया है. यानी भविष्य में सुप्रीम कोर्ट या राज्य सरकार के पास कोई रिपोर्ट नहीं आएगी. SIT स्वतंत्र जांच करेगी और जांच के आधार पर अगर किसी पर मुकदमा चलाने की जरूरत हुई, तो वह निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर भविष्य में इस जांच को लेकर किसी को कोई समस्या होती है, तो वह वापस उसका दरवाजा खटखटा सकता है.

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