February 23, 2025

जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर बकाया राशि 100 करोड़ रुपये प्रतिदिन से अधिक की गति से बढ़ी.

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Debt

Outstanding amount on intentionally unpaid loans has been increasing at a rate of more than 100 crore rupees per day.

दिल्ली, द वायर हिंदी की एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2019 से जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर बकाया राशि 100 करोड़ रुपये प्रतिदिन से अधिक की गति से बढ़ी है. इसका तात्पर्य यह है कि तब से विलफुल डिफॉल्टर्स पर बकाया राशि कम से कम 1.2 ट्रिलियन या 1.2 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. बिजनेस स्टेंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी है.

द हिंदू के मुताबिक, मार्च 2019 के बाद से प्रति दिन 100 करोड़ रुपये की यह भारी वृद्धि 22 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए उस दावे को पूरी तरह खारिज करती है कि पिछली यूपीए सरकार ने ‘घोटालों’ से बैंकिंग क्षेत्र को ‘बर्बाद’ कर दिया था, जबकि उनकी सरकार ने इसके ‘अच्छे वित्तीय स्वास्थ्य’ की बहाली की है.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट ट्रांसयूनियन सिबिल के आंकड़ों पर आधारित है. अखबार ने लिखा है कि डेटा को वित्तीय संस्थानों द्वारा अपडेट किया जाता है. आंकड़े नवीनतम उपलब्ध संख्याओं को दर्शाते हैं.

आगे कहा गया है, ‘यह राशि और भी अधिक हो सकती है क्योंकि कम से कम एक राष्ट्रीयकृत बैंक और एक निजी क्षेत्र के बैंक ने अभी तक जून के आंकड़े नहीं दिए हैं. कम से कम चार तिमाहियों से लगातार कुल राशि 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक बनी हुई है.’

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में प्रस्ताव दिया है कि ऋण के गैर-निष्पादित संपत्ति बनने के छह माह के भीतर जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों को विलफुल डिफॉल्टर्स घोषित किया जाना चाहिए. केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर के अंत तक प्रस्ताव पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं.

निजी क्षेत्र के बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने ऐसे ऋणों (जो वापस नहीं किए जा रहे हैं) में उनकी हिस्सेदारी में थोड़ी वृद्धि देखी है, लेकिन चिंता की बात यह है कि सार्वजनिक बैंकों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है.

जून 2023 में विलफुल डिफॉल्टर्स द्वारा न चुकाए गए कर्ज में उनकी हिस्सेदारी 77.5 फीसदी थी.

जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर दस राष्ट्रीयकृत बैंकों का 1.5 लाख करोड़ रुपये और बकाया है, जिसमें से भारतीय स्टेट बैंक के 80,000 करोड़ रुपये (जून माह तक) शामिल हैं. निजी क्षेत्र के बैंकों का बकाया कुल मिलाकर 53,500 करोड़ रुपये है.

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