कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी पर गुरुवार, 24 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र का संयोग रहेगा
रोशनी का पर्व यानी कि दिवाली आने में अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं और इसकी तैयारी बाजारों में दिखाई देने लगी है. वहीं लोगों ने भी खरीददारी की तैयारी शुरू कर दी है. इसकी शुरुआत तो नवरात्रि से ही हो गई थी, लेकिन सबसे बड़ा और शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को बनने जा रहा है. इस दिन गुरु पुष्य योग रहेगा. आपको बता दें कि, गुरु पुष्य योग में आभूषण, भूमि, घर और वाहनों से लेकर इलेक्ट्रिक सामानों की खरीददारी करना बेहद ही शुभ माना जाता है. हालांकि, इसके अलावा भी कई सारे मुहूर्त दिवाली से पहले आएंगे. आइए जानते हैं इनके बारे में.
शुभ मुहूर्त
अक्टूबर के इस महीने में दिवाली से पहले 15 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि एवं सूर्य योग बन रहा है. वहीं 16 अक्टूबर को रवि योग का निर्माण होगा. इसी प्रकार 17 और 18 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और 21 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत सिद्धि योग बनेगा. वहीं 22 अक्टूबर को त्रिपुष्कर योग, 24 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि बनेगा. इसी दिन सबसे बड़ा मुहूर्त यानि कि गुरु पुष्य योग बन रहा है. इसके बाद 29 अक्टूबर को त्रिपुष्कर योग और 30 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग के अलावा 2 नवंबर को त्रिपुष्कर योग बनेगा.
'दीपावली के पहले आने वाले पुष्य नक्षत्र को 27 नक्षत्र के समूह में नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र की गणना से देखें तो पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि और उप स्वामी बृहस्पति है। शनि को काल पुरुष की ऊर्जा और पुरुषार्थ की प्रेरणा का कारक माना जाता है। बृहस्पति को ज्ञान, त्याग, शिक्षा और आध्यात्मिक का कारक बताया जाता है।'
'यही कारण है कि भौतिक समृद्धि को प्राप्त करने के लिए सुख – सुविधा की दृष्टि से खरीदारी करने की मान्यता है। इसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, सोने-चांदी के आभूषण, चांदी की मूर्तियां, दोपहिया वाहन, चारपहिया वाहन, वस्त्र, जमीन, प्लॉट, मकान, कारखाने आदि क्षेत्र में लोग निवेश करते हैं और समृद्धि का कारण इस नक्षत्र की शुभता को मानते हैं।'
नए कार्यों का श्री गणेश भी कर सकते हैं
पुष्य नक्षत्र के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इस दिन सभी प्रकार के कार्य को सिद्ध माना जाता है। अपने ग्रह नक्षत्र के आधार पर यदि कोई कार्य योजना बना रखी है, तो इस योजना का शुभारंभ इस दिन कर सकते हैं या कोई नया व्यापार या व्यवसाय या प्रतिष्ठान के प्रमुख स्थापना है तो इस दिन का लाभ लिया जा सकता है।
शनि गुरु के केंद्र त्रिकोण का मिलेगा लाभ
ग्रह गोचर की गणना के अनुसार, वर्तमान में शनि कुंभ राशि पर, बृहस्पति वृषभ राशि पर गोचर कर रहे हैं। इस दिन पुष्य नक्षत्र का प्रभाव दिनभर विद्यमान रहेगा। शनि का केंद्र योग और गुरु का त्रिकोण योग आदि की स्थिति बनेगी, जो समृद्धि को स्थायित्व प्रदान करेगा।
इस दृष्टि से भी स्वर्ण का आभूषण, लोहे के उत्पाद या वाहनों का संचय कर सकते हैं। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि होने से स्थाई संपत्ति की खरीदी की योजना भी बनाई जा सकती है, जिसमें भूमि, भवन, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, टेक्सटाइल मिल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केटिंग से जुड़े सभी प्रकार के विभिन्न क्षेत्रों में अपने स्थायित्व को आगे बढ़ाने के लिए इस दिन विशेष का लाभ लिया जा सकता है।
भारतीय विदेश नीति का प्रभाव बढ़ेगा
ग्रहों की स्थिति और नक्षत्र की गणना के अनुसार शनि विदेश नीति और कूटनीति का कारक हैं। वहीं गुरु ज्ञान, श्रेष्ठता और वरिष्ठता के साथ परम पद का भी कारक माना जाता है। दोनों के संयोजन से यह नक्षत्र आने वाले 3 महीने में भारत की विदेश नीति और कूटनीति को प्रबल बनाएगा। पश्चिमोत्तर दिशा और एशिया मध्य में अपने विशिष्ट प्रभाव की छाप छोड़ते हुए भारतीय बाजार को विश्व में आगे की पंक्तियों में खड़ा कर देगा।