जिम्मेदारों का उदासीन रवैया नगर में जर्जर भवन के चलते कभी भी हो सकता है हादसा
कटनी। नगर निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत कई जर्जर मकान है जो की मौत को आमंत्रण दे रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती इस विषय में नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों में बताया कि कई बार नगर निगम को अवगत करा चुके हैं लेकिन मामला ठंडा बस्ते में ही चला जाता है जब कोई हादसा होता है तब प्रशासन जागता है सूत्र बताते हैं कि कई ऐसे मकान हैं जो तोड़ना अति आवश्यक है लेकिन सुविधा शुल्क के चलते कुछ तोड़े जाते हैं और कुछ मकानों को बचाया जाता है हर पल हादसे की आशंका और मौत का खौफ पता नहीं कब कौनसी इमारत गिरकर जिंदगी को दफन कर दे, लेकिन न तो नगर निगम के जिम्मेदारों को परवाह और न ही इमारत के रखवालों को। शहर में जर्जर भवनों को लेकर प्रशासन भी बेखबर है। बरसात शुरू हो चुकी है और ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
जिले में लगातार बारिश के कारण जर्जर मकानों के लिए खतरा बढ़ गया है। हर साल ऐसी बारिश होने पर मकानों के गिरने का सिलसिला शुरू हो जाता है। कहीं मकानों के छज्जे गिर जाते हैं तो कहीं पूरा का पूरा मकान ही ढह जाता है। अक्सर ऐसे मकानों के मलवे तले दब कर लोगों की मृत्यु होने का खतरा बना रहता है लेकिन हादसों को रोकने के लिए अधिकारी गंभीर नहीं हैं। निगम अमला 60 से70 जर्जर मकानों की लिस्ट बनाकर कुंडली मारकर बैठा है। अधिकांश जर्जर मकानों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
नगर में वर्तमान में काफी संख्या में ऐसे मकान हैं, जो कभी भी धराशायी हो सकते हैं। कुछ मकान तो ऐसे भी हैं जहां काफी संख्या में लोग निवास कर रहे हैं। यदि ये भवन धराशायी हुए तो कई लोगों की जान भी जा सकती है। ऐसे भवनों के मालिकों को नोटिस देना या उन्हें गिराना तो दूर अभी तक उनके सर्वे का काम भी ठीक से पूरा नहीं हुआ। कई माह पहले तत्कालीन नगर निगम आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि शहर के जर्जर भवन चिन्हित किए जाएं और उनके ढहाने की कार्रवाई की जाए, ताकि बारिश में कोई हादसा न हो। इसके बाद भी इस निर्देश पर कोई अमल नहीं हुआ। नगर के अधिकारी सिर्फ कागजों में प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर जर्जर भवनों के ऊपर नगर निगम का बुलडोजर कब चलेगा