दिल्ली के सभी बॉर्डर पर किसानों का डेरा, बोले – देश में सभी कानून कॉरपोरेट के लिए बन रहे हैं
नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान जमे हुए हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में मौजूद निरंकारी ग्राउंड में प्रदर्शन करने की इजाजत दी गई है. लेकिन किसानों का एक गुट सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर ही डेरा डाले हुआ है और सरकार से बिना शर्त बातचीत की मांग कर रहा है.किसान नेता गुरनाम सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस आंदोलन को कुचलने के लिए 30 से ज्यादा मुकदमा दर्ज हो चुके हैं. आज जगह जगह से और लोग आ रहे हैं. हरियाणा से किसान कुच कर रहा है. ये लड़ाई सिर्फ किसान की नहीं है, सबकी है. पैदावार करने वाले किसानों को कम भाव मिलेगा. ये सभी का आंदोलन है. उन्होंने कहा, “ब्राह्मण समाज ने हमें समर्थन दिया . हरियाणा में सब मंडियां बंद रहेंगी. जो भी देश में कानून बन रहे हैं, वो सिर्फ कॉरपोरेट के लिए बन रहे हैं. पूरी जनता का शोषण कारपोरेट कर रही है. पूरे देश के नागरिक इस लड़ाई में शामिल हों. अपील करता हूं. जब तक बाते नहीं मानी जाएंगी, आंदोलन जारी रहेगा. कहीं इससे भी कड़ा कदम ना उठाना पड़े. उससे पहले बातचीत के लिए आ जाएं.”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव ने कहा, ”देश और दुनिया मे आज सब तरफ उत्सव मनाया जा रहा है, उसकी बधाई. किसान आज देश में अपनी छाप छोड़ने के लिए खड़े हैं. इस आंदोलन ने 5 झूठ का पर्दाफाश किया . पहला- ये आंदोलन किसानों का नहीं है. आप खुद चेक करें. दूसरा- किसानों को बरगलाने का काम किया जा रहा है. किसानों को सब पता है . तीसरा- सिर्फ पंजाब का आंदोलन है. यहां सब बैठे हैं. देश के कोने कोने से. उत्तराखंड से आए हैं. पंजाब के किसानों ने शुरुआत सभी किसानों के लिए की है. चौथा- इसकी कोई लीडरशिप नहीं है. 30 संगठनों का समहू है. इतनी अच्छी लीडरशिप मैंने कभी नहीं देखी. 30 किसान संगठन हर रोज मिल रहे हैं. क्लियर लीडरशिप है. पांचवां- पॉलिटिकल पार्टी ने करवाया. हरियाणा का किसान हमारे साथ है. ये आंदोलन ऐतिहासिक आंदोलन है.”
भारती किसान यूनियन (दकुंडा) के जनरल सेक्रेट्री जगमोहन सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी को गुरु पर्व की बधाई दी और कहा, ” हमारे 30 संगठन की मीटिंग हुई. मुंह में राम राम बगल में छुरी. अमित शाह फ़ोन पर बात कर रहे हैं, लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है. ये पंजाब का संघर्ष नहीं है. ये सभी का संघर्ष है . सभी की जो स्थिति है, हम जहां हैं वही रहंगे, और आगे कैसे बढ़ना है. आज देश के किसान अपने मन की बात सुनाने आए हैं.”