असम में बहुविवाह पर लगेगा प्रतिबंध
ये कानून बनाने के लेकर सीएम की टिप्पणी तब आई है जब राज्य सरकार की ओर से गठित एक एक्सपर्ट पैनल ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
असम सरकार ने इस मुद्दे को देखने और 60 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए मई में गुवाहाटी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस रूमी फुकन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया था.
सरमा ने पत्रकारों से कहा, “मैंने रिपोर्ट अभी नहीं पढ़ी है. पैनल को यह समझने का काम सौंपा गया था कि क्या राज्य सरकार बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बना सकती है या नहीं. समिति ने हमें बताया है कि हमारे पास ऐसा अधिकार है, लेकिन कानून को अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति से मिलनी चाहिए, न कि राज्यपाल से.
यह विशेषज्ञ समिति इस बात का अध्ययन करेगी कि राज्य विधायिका के पास बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के अधिकार हैं या नहीं.
असम सरकार के अनुसार, यह समिति अगले छह महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करेगी.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले मंगलवार को बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए इस विशेषज्ञ समिति का गठन करने की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा था, “बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कानूनी विशेषज्ञों और विद्वानों वाली यह समिति भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के साथ-साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों की जांच करेगी.”
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उन्होंने यह भी कहा था, “हम यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड की ओर नहीं जा रहे हैं जिसके लिए एक राष्ट्रीय सहमति की आवश्यकता होती है, लेकिन असम में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के एक घटक के रूप में हम एक राज्य अधिनियम के माध्यम से बहुविवाह को असंवैधानिक और अवैध घोषित करना चाहते हैं.”
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देश की आजादी के बाद से यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड की मांग उठती रही है. लेकिन यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड से अलग असम सरकार राज्य में एक नया क़ानून लाकर जिस तर्ज पर बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रही है उसको लेकर सवाल उठ रहे हैं.
मुख्यमंत्री के इस बयान ने ख़ासकर निचले असम में बसे बंगाली मूल के मुसलमानों को चिंता में डाल दिया है.