ग्वालियर की हेमलता बनी “मिसेज यूनिवर्स एक्सक्विजिट”।फिलिपींस की धरती पर बढ़ाया भारत देश का मान।97 देशों की महिलाएं हुईं प्रतियोगिता में शामिल।
संतोष सिंह तोमर
ग्वालियर। कहते हैं परिश्रम के साथ अगर दुआ भी हो तो सफलता कदम चूमती है। ग्वालियर की पचास वर्षीय हेमलता जैन के साथ भी कुछ ऐसा ही है। पिछले महीने 28 सितंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय मिसेज प्रतियोगिता’ में हिस्सा लेने हेमलता जब फिलिपींस जा रहीं थीं। तब उन्होंने भारत के 140 करोड़ लोगों के आशीर्वाद की बात की थी। बाकी परिश्रम उनका था। हेमलता भले ही मिसेज यूनिवर्स न बन पाई हों लेकिन ‘मिसेज यूनिवर्स एक्सक्विजिट’ का खिताब जरूर उन्होंने अपने नाम कर लिया। यह उनके व देश के लिए बड़ी उपलब्धि है।
प्रतियोगिता में कुल 97 देशों की महिलाओं ने हिस्सा लिया, जो सात दिन चली। एक अक्टूबर को भव्य स्वागत किया गया। पहले दिन फैशन शो के साथ परिचय का कार्यक्रम रहा। फिर क्वींस बाल ईवनिंग में सभी प्रतियोगियों ने खास तरह की पोशाक पहन रखी थी। यह अपने आप में भव्य एवं अनूठा चेरिटी ईवेंट था। जिसमें वूमन हिंसा के वीसीके लिए victullms के लिए डोनेशन दिया गया। फोरम डे पर हेमलता ने ऑरगन डोनेशन पर भाषण दिया। इसके साथ ही वीडियो प्रजेंटेशन भी दिया। जिसे बहुत सराहा गया। अपने भाषण में उन्होंने अंगदान पर बात करते हुए कहा कि अंगदान सबसे बड़ा महादान है। क्योंकि हम अपनी जिंदगी जी चुके होते हैं उसके बाद हमारे ही ऑर्गन दूसरों को नई लाइफ देने का काम करते हैं तो फिर इस महान कार्य में क्यों पीछे रहा जाए। उनकी इस सकारात्मक सोच ने निर्णायकों का दिल जीत लिया और वे मिसेज यूनिवर्स एक्सक्विजिट खिताब की हकदार बन गईं।
निर्णायक मंडल की टीम की सदस्य ने जब हेमलता के सिर पर ताज सजाकर “मिसेज यूनिवर्स एक्सक्विजिट” का खिताब प्रदान किया तो दुनियाभर की प्रतिभागियों ने खुले दिल से उनका स्वागत किया। इस खिताब के साथ ही जहां हेमलता ने ग्वालियर का मान बढ़ाया वहीं देश की जन सेवा की सोच और नारी सम्मान के प्रति उनके भाव को दुनिया को दिखाया।
हेमलता जैन ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी ट्रेनर मीनाक्षी माथुर को देते हुए बताया कि सुदूर विदेशी धरती पर प्रतियोगी के तौर पर उपस्थित होना मेरे लिए एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन मेरी ट्रेनर मिनाक्षी माथुर की उपस्थिति मेरे लिए वरदान साबित हुई। उन्होंने हर कदम पर मेरा हौसला बढ़ाया। जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और उसी की बदौलत मैं यह खिताब हासिल कर पाई। उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता ने मेरे अंदर एक नई नारी को जन्म दिया है जो आत्मविश्वास से परिपूर्ण है। अब में समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य कर अपने जिंदगी को सकारात्मक रूप में दूसरों की सेवा के लिए जीना पसंद करूंगी।