पंचायत परिषद से निष्कासित सुबोधकांत सहाय , परिषद संविधान बदलने की तैयारी में…..
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मा० सदस्य गण एवं पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों , समाज सेवकों , पंचायती राज में रुचि रखने वाले विशेषज्ञ गण , पंचायती राज संस्थाओं,विद्वत जनों , एवं राजनीतिज्ञों की जानकारी के लिए उद्धृत कर रहा हूँ कि रजिस्ट्रार ,रजिस्ट्रार आफ सोसाइटीज पूर्वी दिल्ली के आदेश दिनांक -19-7-2016 द्वारा सुबोध कांत सहाय एवं बाल्मिकी प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में गठित अखिल भारतीय पंचायत परिषद के प्रबंध कारिणी समिति को विवादास्पद एवं अवैध घोषित कर दिया था उस आदेश को समाप्त करवाने और अपने को परिषद का अध्यक्ष उद्घोषित करवाने के लिए सुबोध कांत सहाय ने अपने पी ए अनिल शर्मा के द्वारा सिविल जज पूर्वी दिल्ली के न्यायालय में वाद संख्या 765/2017 दाख़िल करवाया था जिसमें में पारित आदेश के अनुक्रम में कि सुबोध कांत सहाय एवं उनके निजी सहायक अनिल शर्मा परिषद के संविधान के अनुसार ऑल इंडिया पंचायत परिषद के सदस्य नहीं हो सकते हैं तो अध्यक्ष एवं महामंत्री कैसे हो सकते हैं? इनको याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है, याचिका ख़ारिज कर दी गयी।
भाई सुबोध कांत सहाय जी एवं उनके निजी सहायक अनिल शर्मा जी स्वयंभू पदाधिकारी बन कर अखिल भारतीय पंचायत परिषद के नाम पर अपनी निजी दुकान चलाने एवं परिषद के आजीवन अध्यक्ष मंत्री बने रहने के उद्देश्य से अनधिकार , ग़ैर क़ानूनी ऑल इंडिया पंचायत परिषद के मूल संविधान में अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए अमूल चूल परिवर्तन ( संविधान बदलने ) की तैयारी में लगे हुए हैं।इस सम्बंध में हमने दिनांक 16 जून को पोस्ट प्रेषित किया था जो शत प्रतिशत सच साबित हुई है।
अखिल भारतीय पंचायत परिषद से दिनांक 18-2-2023 को अध्यक्ष मंडल द्वारा आजीवन निष्कासित किए जाने के पश्चात सुबोध कांत सहाय ने अवैध , ग़ैर क़ानूनी फ़र्ज़ी तथा कथिति संविधान संशोधन समिति का पत्र जारी किया है जिसमें ऐसे लोगों को सदस्य नामित किया है जिनका अखिल भारतीय पंचायत परिषद से कोई सम्बंध नहीं है और अपने पी ए अनिल शर्मा से प्रतिलिपियाँ उन तथा कथित लोगों को जारी करवाया है। आप सब की जानकारी के लिए उक्त पत्र , रजिस्ट्रार आफ सोसाइटीज के आदेश एवं सिविल जज पूर्वी दिल्ली के आदेश की प्रतिलिपियाँ जारी कर रह हूँ।
ज्ञातव्य है कि ऑल इंडिया पंचायत परिषद के संविधान में कुल तीन बार आंशिक संशोधन नियमानुसार किए गये हैं। प्रथम संशोधन 29जनवरी 1985 , द्वितीय 17 नवम्बर 1990 में एवं 2002 में किया गया था।वर्ष 2002 में एक मुख्य महामंत्री का पद सृजित किया गया था एवं वार्षिक संबद्धता तथा सदस्यता शुल्क में वृद्धि की गयी थी जो वर्तमान में लागू है।
त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों , पंचायती राज में रुचि रखने वालों, अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं , पंचायती राज विशेषज्ञों , विद्वत जनों से आग्रह है कि तथ्यों से अवगत हों और लोक नायक जयप्रकाश नारायण , बलवंत राय मेहता , लाल बहादुर शास्त्री , गुलज़ारी लाल नंदा , विनोदा नंद झा एवं डाक्टर लाल सिंह त्यागी द्वारा स्थापित संस्था ऑल इंडिया पंचायत परिषद की अस्मिता और उसके संविधान की रक्षा के लिए लाम बंद होकर सफ़ेद पोस क्षद्म राजनीतिक डाक्टर मनमोहन सिंह की कैविनेट के पूर्व मंत्री भू माफिया सुबोध कांत सहाय एवं उनके अन्य सहयोगीआपराधिक ,सजायाफ़्ता साथियों का पुर ज़ोर विरोध करें ।
जय पंचायती राज
शीतला शंकर विजय मिश्र
( लोक तंत्र रक्षक सेनानी)
मुख्य महामंत्री
ऑल इंडिया पंचायत परिषद