बिना प्रभार दिए प्रशिक्षण पर गए आईएफएस से मांगा स्पष्टीकरण
भोपाल. जंगल महकमे में प्रशासनिक अराजकता का माहौल बनता जा रहा है. आलम यह है कि एक टीवीआईएफएस अधिकारी अपने पद का प्रभार किसी और अफसर को दिए बिना ही 2 महीने के प्रशिक्षण पर चले गए और विभाग प्रमुख और ‘प्रशासन-एक’ को पता ही नहीं चला. इस संदर्भ में जब प्रशासन-एक से सवाल किया तब जवाब मिला कि उनसे स्पष्टीकरण मांगा जा रहा हैं.
मामला होशंगाबाद सर्कल से जुड़ा हुआ है. वन विभाग ने 2008 बैच के आईएफएस अधिकारी पीएन मिश्रा की पदस्थापना वर्किंग प्लान अफसर होशंगाबाद के पद पर की है. वर्किंग प्लान में पोस्टिंग होने के बाद मिश्रा 28 अगस्त को प्रोफेशनल स्किल्स अपग्रेडेशन कोर्स (पीएसयूसी) की ट्रेनिंग में चले गए. यह प्रशिक्षण 2 महीने से अधिक समय का है, इसलिए प्रशिक्षण पर जाने से पहले उन्हें अपना कार्यभार किसी अन्य आईएफएस को सौंपना था. मिश्रा ने किसी दूसरे को कार्यभार सौंपे बिना ही प्रशिक्षण पर चले गए. इस संदर्भ में जब वन बल प्रमुख आरके गुप्ता और प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन-एक आरके यादव को उम्मीद थी कि प्रशिक्षण पर जाने से पहले अपने पद का प्रभार किसी अन्य को सौंप कर गए होंगे. जब उन्हें इस बात से अवगत कराया गया कि ऐसा नहीं हुआ है, तब प्रशासन-एक पीसीसीएफ यादव ने बताया कि विभाग उनसे स्पष्टीकरण मांगने जा रहा है.
आईएफएस इंडक्शन में नाम आने के बाद ही होता है प्रशिक्षण
विभाग में नियम स्पष्ट है कि आईएफएस में इंडक्शन होने के बाद पीएसयूसी की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य होती है. इस प्रशिक्षण के बाद ही कंफर्मेशन होता है. इस ट्रेनिंग के लिए दिसंबर 19 में ऑफर भी आया था किंतु इस बैच के आईएफएस अफसर महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ थे इसलिए ट्रेनिंग पर नहीं जाने के लिए कोई न कोई बहाना ढूंढ लिया और अपने मंसूबे पर कामयाब हो गए. वहीं 2019 बैच के प्रमोट आईएफएस प्रशिक्षण पर चले गए थे. विभाग में अंधेरगर्दी कहिए या फिर अपनों को उपकृत करने की पहल मिश्रा सहित कई अफसरों ने पीएसयूसी की ट्रेनिंग किए बिना ही न केवल कंफर्म हो गए बल्कि वन संरक्षक के पद पर प्रमोट भी हो गए.
इनका कहना
पीएन मिश्रा बिना कार्यभार सौंपे ट्रेनिंग पर गए हैं. यह नियम विरुद्ध है और हम उनसे स्पष्टीकरण मांगने जा रहे हैं.
आरके यादव, पीसीसीएफ प्रशासन-एक