भिंड रेत खदान पर कलेक्टर, एसपी का छापा। अवैध रेत उत्खनन में लगे 20 डंपर और 1 जेसीबी जब्त।
ग्वालियर/ भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड जिले में बीती रात को पुलिस और जिला प्रशासन ने अवैध रेत खनन व परिवहन पर बड़ी कार्रवाई की है। कलेक्टर डॉ संजीव श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक मनीष खत्री को जिले में लगातार हो रहे अवैध रेत खनन और परिवहन की शिकायतें मिल रही थीं। शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन की टीम और पुलिस टीम लहार क्षेत्र की पर्रायच रेत खदान पर दबिश दी। यहां रेत से भरे खड़े वाहनों पर रॉयल्टी टोकन नहीं मिले। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने रेत से भरे 20 डंपरों और एक जेसीबी मशीन को जब्त कर लिया। जबकि अवैध रेत उत्खनन में लगी रेत माफिया गैंग पुलिस को आता देख नदी में कूदकर मौके से फरार हो गई। पुलिस अधीक्षक मनीष खत्री ने छापामार कार्रवाई के दौरान खुद मोर्चा संभाला। इस छापामार कार्यवाही से माइनिंग विभाग को दूर रखा गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भिंड कलेक्टर और एसपी को बुधवार की रात सूचना मिली रेत टेंडर कंपनी राघवेंद्र कुमार सिंह की सहायक एजेंसी पवार मेक द्वारा पर्रायच रेत खदान पर अवैध उत्खनन कराया जा रहा है। जबकि कंपनी के पास रेत डंप की परमिशन अमायन क्षेत्र में है। इस पर अफसरों ने टारगेट पर्रायच खदान मिशन तैयार किया। एसपी ने घेराबंदी को लेकर गोहद एसडीओपी, मेहगांव एसडीओपी और लहार एसपीडीओपी बुलाया। इसके साथ मालनपुर थाना, गोदह, गोहद चौराहा, अमायन और लहार थाना पुलिस फोर्स को साथ लिया। इसके बाद भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव व एसपी मनीष खत्री बुधवार की रात करीब साढ़े 12 बजे लहार थाना क्षेत्र की रेत खदान पर पहुंचे। प्रशासनिक अफसरों की गाड़ियां आता देख रेत माफिया वाहन छोड़कर भाग खड़े हुए। वे नदी में कूंदकर भागे और गांव में छिप गए। मौके पर प्रशासनिक अफसरों ने रेत के डंप, जेसीबी, बीस डंपर व उनके चालकों को पकड़ा तो इनमें से किसी के पास रॉयल्टी टोकन नहीं मिले। जिसके बाद अधिकारियों ने पकड़े गए डंपरों और जेसीबी मशीन को जब्त कर थाने में खड़े करवा दिया। पुलिस ने अधिकारियों के निर्देश पर मामला दर्ज कर लिया है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की ये दूसरी कार्रवाई है जब माइनिंग अफसर को साथ लिए बगैर रेत खदान पर कार्रवाई की है। इससे पहले गिरवाासा रेत खदान पर भी इसी तर्ज पर कार्रवाई की थी। दोनों जगह लहार एसडीएम नवीन शर्मा को अपने साथ लेकर पहुंचे। परंतु हर बार माइनिंग अफसर करीब एक घंटे बाद बुलाए गए। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारारा जिस तरीके से माइनिंग अफसर और माइनिंग विभाग को छापेमारी की कार्यवाही से दूर रखा जा रहा है, उसने अफसर को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है।