मध्यप्रदेश विधानसभा में 20 साल बाद भगवा रंग बिखेरेंगी, कांग्रेस विधायक रामसिया भारती.
After 20 years, the saffron color will adorn the Madhya Pradesh Legislative Assembly, Congress MLA Ramsiya Bharti to lead.
उमा की मलहरा सीट से जीतीं कांग्रेस की रामसिया; भगवा पहने विपक्ष में दिखेंगी
भोपाल! मध्यप्रदेश विधानसभा में 20 साल बाद भगवा कपड़े पहने एक और साध्वी नजर आने वाली हैं। फर्क इतना है कि इस बार ये साध्वी भाजपा से नहीं बल्कि कांग्रेस से हैं। हम बात कर रहे हैं, छतरपुर जिले की मलहरा विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की रामसिया भारती की। रामसिया भारती ने भाजपा प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह लोधी को मात दी है। 2003 में उमा भारती इसी सीट से चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं।
खास बात यह है कि रामसिया भारती ने अपना पूरा चुनाव भाजपा की स्टाइल में ही लड़ा। भाजपा के हिंदुत्व का जवाब अपने तरीके से दिया। उमा भारती की ही तरह रामसिया भारती ने भागवत कथाओं से अपनी सियासी जमीन मजबूत की और आस्था की डोर को थामे मतदाताओं तक पहुंचीं। चुनावी भाषण भी प्रवचन के अंदाज में दिया।
उमा की तरह टीकमगढ़ जन्मभूमि, छतरपुर को बनाया कर्मभूमि
माथे पर लाल तिलक के साथ भगवा वस्त्र पहने, रामचरितमानस और भागवत कथा में पारंगत रामसिया भारती की कहानी भी कम रोचक नहीं है। उमा भारती की तरह रामसिया भारती भी टीकमगढ़ की रहने वाली हैं। दोनों ने ही राजनीति की शुरूआत छतरपुर जिले की मलहरा विधानसभा सीट से की।
दूसरी समानता यह है कि दोनों ने ही बचपन से प्रवचन देना शुरू कर दिया था। इतनी समानता होने के बाद रामसिया भारती ने कांग्रेस की बजाए बीजेपी को क्यों नहीं चुना? इस सवाल का जवाब देते हुए वे कहती हैं- दादाजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। पिता भी लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े रहे। फिर मेरी राह कैसे जुदा हो सकती थी? रामसिया ने कहा- कांग्रेस का आइडिया ऑफ नेशन, बीजेपी के हिंदुत्व से कहीं ज्यादा बेहतर है।
भाजपा को उसके ही प्रचार की शैली में दी मात
चुनाव प्रचार के दौरान रामसिया भारती भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व का जवाब, उसकी ही शैली में देती नजर आईं।
भारती अपने भाषण की शुरूआत भारत माता की जय, भगवान श्री राम की जय, हनुमान जी महाराज की जय जैसे नारे लगाकर करतीं और अंत में केवल ‘कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद’ कहती थीं। वे अपनी रैलियों की शुरुआत भगवान राम के नाम और महाकाव्य रामचरितमानस के छंदों से करतीं, फिर हनुमान और कांग्रेस पार्टी के नेताओं की ओर बढ़ती थीं।रामसिया भारती ने विपक्षी भाजपा नेताओं की तुलना राक्षस पात्रों से करते हुए मतदाताओं को लुभाने का हर हथकंडा अपनाया। वे भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहती थीं कि बीजेपी धर्म, राम, गाय के नाम पर वोट मांगती हैं लेकिन भारतीयों के बीच वैमनस्य पैदा करती है। यह हिंदू धर्म के खिलाफ है और मैं इसे बदलने के लिए यहां आई हूं।
उन्होंने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बेरोजगारी, विकास और दलबदल का मुद्दा उठाया। ये भी कहा, ‘मैं यहां विश्वासघात का बदला लेने आई हूं।’ रामसिया भारती के राजनीतिक कौशल का ही कमाल था कि मतदान से एक दिन पहले बसपा प्रत्याशी लखन अहिरवार ने अपना समर्थन उन्हें दे दिया। इसी का नतीजा रहा कि भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद रामसिया भारती ये चुनाव जीतने में सफल रहीं।
मध्यप्रदेश की राजनीति में रामसिया भारती तीसरी साध्वी
12वीं पास 36 वर्षीय रामसिया भारती मध्यप्रदेश की राजनीति की तीसरी साध्वी हैं। प्रदेश की राजनीति में 20 साल पहले उमा भारती के रूप में साध्वी की एंट्री हुई थी। 2003 में उमा भारती इस सीट से चुनाव जीत गई थीं लेकिन 2008 के चुनाव में मलहरा की जनता ने उन्हें हरा दिया। दरअसल, उमा ने भाजपा छोड़कर भारतीय जनशक्ति पार्टी बना ली थी और वे इसी पार्टी से चुनाव लड़ी थीं। उमा भारती की बीजेपी में वापसी हुई मगर वे उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहीं।
मध्यप्रदेश की सियासत में दूसरी साध्वी के तौर पर प्रज्ञा ठाकुर की एंट्री हुई। मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में आरोपी बनाई गईं प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा ने भोपाल से लोकसभा का टिकट दिया। उन्होंने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को मात दी। अब रामसिया भारती के तौर पर तीसरी साध्वी राजनीति में आई हैं।