34 दागी आईएफएस 11 राज्य वन सेवा के अफसर की कुंडली मारकर बैठे हैं प्रमुख सचिव वन की बैठक में टारगेटेड अफसर का प्रकरण पर चलता मंथन

34 tainted IFS are sitting on the horoscope of 11 State Forest Service officers
34 tainted IFS are sitting on the horoscope of 11 State Forest Service officers. Brainstorming on the issue of targeted officer in the meeting of the Chief Secretary Forest.
उदित नारायण
भोपाल। अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल जंगल महकमे के सेवानिवृत्ति सहित 34 दागी आईएफएस और 11 राज्य वन सेवा के अधिकारियों के कुंडली मारकर बैठे हैं। यानी दागी अफसरों की जांच प्रतिवेदन अंतिम निर्णय के लिए अपर मुख्य सचिव वन के पास लंबित है। वे उस पर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। इसके कारण उन पर लगे आरोप के मामले में अफसर दोषी है अथवा नहीं, इस पर ऊहापोह की स्थिति बनी है। एसीएस को केवल एक लाइन का फैसला लेना है। इसके कारण सेवारत अधिकारी मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजर रहे हैं तो वहीं रिटायर्ड होने के बाद अफसर कार्यालय की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें से कुछ अवसर प्रमोशन की दहलीज पर खड़े हैं प्रशासन में बैठे अफसर की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। टीएल की बैठक में टारगेटेड अफसर का प्रकरण पर चलता मंथन और निर्णय किया जाता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महिला प्रताड़ना के आरोप में दोषी करार दिए गए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मोहन मीणा का मामला जुलाई 23 से शासन के पास निर्णय के लिए बेचाराधीन है। पिछले दिनों बैतूल दौरे पर गए वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में बताया कि मोहन मीणा के मामले में शासन को कार्रवाई करनी है। सूत्र बताते हैं कि एसपी बैतूल के मांगने पर वन विभाग से विपासा कमेटी कमेटी की रिपोर्ट उन्हें भेज दी है। इसी प्रकार बालाघाट सर्किल में पदस्थ एपीएस सेंगर पर वर्ष 2022 में आरोप है कि उन्होंने भंडारा क्रय नियम का उल्लंघन कर निम्न गुणवत्ता की सामग्री की खरीदी थी। आरोप का निराकरण किया बिना ही मैनेजमेंट कोटा से इन्हें बालाघाट सर्किल का मुखिया बना दिया गया। सेंगर ने स्वयं को बचाने के लिए टीकमगढ़ वन मंडल के बाबू और उनके ट्रांसफर के बाद प्रभार लेने वाले डीएफओ अनुराग कुमार को कसूरवार बता दिया है। उत्तर बैतूल वन मंडल में पदस्थ आईएफएस देवांशु शेखर की जांच प्रतिवेदन भी शासन के पास जून 24 से लंबित है। सूत्रों की माने तो जांच प्रतिवेदन में उन्हें क्लीन चिट दे दिया गया है और शासन को सिर्फ निर्णय करना है। खंडवा डीएफओ प्रशांत कुमार सिंह के खिलाफ भी जांच प्रतिवेदन निर्णय के लिए शासन के पास विचाराधीन है। वन मुख्यालय में पदस्थ भारत सिंह बघेल पर मैं 2006 में आरोप लगे थे। वन विभाग में 26 जून को निर्णय के लिए शासन के पास प्रस्ताव भेजे हैं पर निर्णय नहीं हो पाया। प्रदेश में सबसे सीनियर डीएफओ एवं 1994 बैच विश्वनाथ एस होतगी का प्रकरण भी अक्टूबर 23 से शासन के पास अनिर्णय की स्थिति में है। इसके अलावा बृजेंद्र श्रीवास्तव और नवीन गर्ग के मामले में राज्य शासन ऊहापोह में है।
ये आईएफएस रिटायर्ड हो गए
शासन द्वारा आरोपित अफसरों के मामले में टाइम लिमिट में निर्णय नहीं होने की स्थिति में अजीत श्रीवास्तव, आरपी राय, एम कालीदुरई, सुशील कुमार प्रजापति, इंदु सिंह गडरिया, ओपी उचाड़िया, आर एस सिकरवार, डीएस कनेश, निज़ाम कुरैशी, वीएस प्यासी और जीपी वर्मा सेवानिवृत हो गए।
रावसे के 11 अफसरों के मामले भी विचाराधीन
आईएफएस अफसर की तरह ही राज्य वन सेवा के करीब 11 अधिकारियों के मामले में शासन निर्णय नहीं कर पा रहा है। जबकि वन विभाग ने जांच करवा कर उसका प्रतिवेदन भी शासन को भेज दिया है। इनमें राज्य वन सेवा के कुछ अधिकारियों के मामले है, जो आईएफएस बनने की दहलीज पर खडे है। उनके प्रकरण में शासन द्वारा निराकरण नहीं किए जाने से उनका प्रशासनिक भाग्य के सूरज का उदय नहीं हो पा रहा है। दागी अफसर की सूची में शामिल राहुल मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने बगैर सामग्री प्राप्त किए सीधे प्रमाणक पर हस्ताक्षर कर दिए। वन विभाग ने 30 अप्रैल 24 को निर्णय के लिए शासन के पास भेजा तब से अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसी प्रकार कैलाश वर्मा, आरएन द्विवेदी, श्रीमती मनीषा पुरवार, आरएस रावत, सुधीर कुमार पाठक, योगेंद्र पारधे, मनोज कटारिया, मणि शंकर मिश्रा, अजय कुमार अवस्थी और प्रियंका चौधरी के मामले भी शासन के पास निर्णय के लिए लंबित है। प्रियंका चौधरी पर आरोप है कि वरिष्ठ अफसर को मोबाइल पर अशब्द भरे मैसेज करना और टेलीफोन पर गाली-गलौज करना है।