July 20, 2025

इजरायल ने ईरान पर शुरू किया हमला, तेहरान के परमाणु और सैन्य लक्ष्यों को बनाया निशाना, जानिए आखिर क्या वजह

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तेहरान 

इजरायल ने अब ईरान पर हमला करना शुरू कर दिया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल ने शुक्रवार, 13 जून की सुबह कहा कि उसने ईरान पर हमला किया है, और ईरानी मीडिया ने कहा कि ईरान की राजधानी तेहरान में विस्फोटों की आवाज सुनी गई. इजरायल की तरफ से ईरान पर हमला उस समय शुरू हुआ है जब ईरान और अमेरिका के बीच एक नए न्यूक्लियर डील पर पहुंचने के अब तक के प्रयास नाकाम साबित हुए हैं और पूरे मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा हुआ है. 

इजरायल को अब यह भी आशंका है कि उसके हमले के बाद तेहरान उसपर मिसाइल और ड्रोन हमला कर सकता है, इसी आशंका में इजरायल आपातकाल की घोषणा कर दी है. उसने अपने एयर स्पेस को भी पूरी तरह बंद कर दिया है. हालांकि इजरायल के हमले के बाद अमेरिका ने पूरी तरह से पल्ला झाड़ते हुए ईरान को मैसेज दे दिया है कि यह इजरायल की एकतरफा कार्रवाई थी, इसमें अमेरिका का कोई हाथ नहीं.
ईरान के परमाणु और सैन्य लक्ष्यों पर हमला

एक इजरायली सैन्य अधिकारी ने कहा कि इजरायल "दर्जनों" परमाणु और सैन्य लक्ष्यों पर हमला कर रहा है. अधिकारी ने कहा कि ईरान के पास कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री है. रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने एक बयान में कहा, "ईरान के खिलाफ इजरायल राज्य द्वारा पूर्वव्यापी हमले के बाद, तत्काल समय सीमा में इजराइल देश और इसकी नागरिक आबादी के खिलाफ एक मिसाइल और यूएवी (ड्रोन) हमले की उम्मीद है."

नाम न छापने की शर्त पर दो अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इजरायल ने ईरान पर हमले करना शुरू कर दिया है और ऑपरेशन में कोई अमेरिकी सहायता या भागीदारी नहीं थी. सीएनएन ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कैबिनेट बैठक बुलाई है.

ईरान के सरकारी टीवी ने कहा कि तेहरान में कई विस्फोट सुने गए और देश की वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) पूरी तरह अलर्ट पर है. दोनों देशों के अधिकारियों और उनके ओमानी मध्यस्थों के अनुसार, अमेरिकी और ईरानी अधिकारी रविवार को ओमान में तेहरान के बढ़ते यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम पर छठे दौर की वार्ता (न्यूक्लियर डील की वार्ता) करने वाले थे. लेकिन बातचीत में गतिरोध बनता दिख रहा है.

जानिए आखिर इजरायल ने ईरान पर क्यों किया इतना बड़ा हमला? 

 ईरान ने पुष्टि की है कि इजरायली हमले में नतांज परमाणु साइट तबाह हो गया है. नतांज वो जगह है जहां ईरान यूरेनियम इनरिचमेंट कर रहा था. यूरेनियम को इनरिच करने के बाद ही इससे परमाणु बम बनाया जाता है. 

यही नहीं इजरायल ने ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को मारने का दावा किया है. इजरायल ने ईरान के टॉप सैन्य कमांडरों को मार डाला है. इसके अलावा इजरायली सेना ने ईरान के बैलेस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को पंगु कर दिया है. 

इजरायल ने ईरानी एयर डिफेंस को भेदते हुए अपने फाइटर प्लेन तेहरान के आसमान में उतार दिए और अपने हमले को अंजाम दिया. 

लेकिन सवाल है कि इजरायल ने इतना बड़ा हमला क्यों किया? ये हमला इतना बड़ा है कि इसके आउट आफ कंट्रोल हो जाने की आशंका है और ये पूर्ण युद्ध में तब्दील हो सकता है. आखिर इजरायल ने इतना बड़ा, इतना घातक और इतना प्रचंड प्रहार क्यों किया. 

इसका जवाब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने एक वीडियो जारी कर दिया है.

बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, "दशकों से, तेहरान के तानाशाह बेशर्मी से खुलेआम इजरायल के विनाश का आह्वान करते रहे हैं.उन्होंने अपने नरसंहारक बयानों को परमाणु हथियार विकसित करने के कार्यक्रम के साथ समर्थन दिया है. हाल के वर्षों में, ईरान ने नौ परमाणु बमों के लिए पर्याप्त उच्च-संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन किया है. नौ,"

ईरान से किस बात का डर इजरायल को सताता है?

दरअसल इजरायल को डर सताता आ रहा है कि अगर ईरान ने परमाणु बम बना लिया तो ईरान की ये कामयाबी इजरायल के वजूद को ही खत्म कर सकती है. इसलिए इजरायल किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु बम हासिल होने नहीं देना चाहता है. अमेरिका भी यही चाहता है कि ईरान किसी भी हालत में परमाणु बम न बनाए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि ईरान परमाणु बम नहीं बना सकता है. अमेरिका किसी भी हालत में ईरान को परमाणु बम नहीं बनाने देगा. 

लेकिन ईरान इसे अपनी सुरक्षा के जरूरी बताता है और हर हाल में परमाणु बम बनाना चाहता है. इसके लिए ईरान इजरायल-अमेरिका से किसी तनाव को लेने पर आमदा है. हाल ही में ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने कहा था कि अमेरिका या इजरायल नहीं बताएगा कि हमें परमाणु कार्यक्रम रखना चाहिए या नहीं? खामेनेई ने कहा था कि अमेरिका हमारे परमाणु कार्यक्रम को कमजोर नहीं कर पाएगा और तेहरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्य को नहीं छोड़ेगा.

   ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से तनाव चला आ रहा है. ईरान द्वारा समर्थित हमास और हिजबुल्लाह जैसे समूहों के हमलों, खासकर 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले, ने तनाव को और बढ़ाया. ईरान का 1 अक्टूबर 2024 को इजरायल पर मिसाइल हमला भी इस जवाबी कार्रवाई का कारण बना. इजरायल का मानना था कि ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को नष्ट करना क्षेत्रीय स्थिरता और उसकी सुरक्षा के लिए जरूरी था. 

नेतन्याहू ने ईरान पर इजरायली हमले की वजह बताते हुए कहा कि इजरायल ने नाजी नरसंहार से सबक सीखा है और "फिर कभी ऐसा नहीं होगा" का संदेश दिया है, इजरायल ने कसम खाई कि उनका देश ईरानी शासन द्वारा किए गए परमाणु नरसंहार का शिकार नहीं बनेगा.

उन्होंने जोर देकर कहा, "इजराइल उन लोगों को कभी भी उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधन विकसित करने की अनुमति नहीं देगा जो हमारे विनाश का आह्वान करते हैं. आज रात इजरायल उन शब्दों को कार्रवाई के साथ समर्थन देता है."

इन खतरों को अगली पीढ़ी के लिए नहीं छोड़ सकते

नेतन्याहू ने कहा हमने ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम के केंद्र पर हमला किया. हमने ईरान के परमाणु हथियारीकरण कार्यक्रम के केंद्र पर हमला किया. हमने नतांज़ में ईरान की मुख्य संवर्धन सुविधा को निशाना बनाया. हमने ईरानी बम पर काम कर रहे ईरान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया. हमने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के केंद्र पर भी हमला किया.

पीएम नेतन्याहू ने ईरान पर हमले की वजह बताते हुए  कहा, "हम इन खतरों को अगली पीढ़ी के लिए नहीं छोड़ सकते, क्योंकि अगर हम अभी कार्रवाई नहीं करेंगे, तो अगली पीढ़ी नहीं आएगी."

कल्पना कीजिए 10000 मिसाइल…

नेतन्याहू ने यह भी दावा किया कि ईरान द्वारा पैदा परमाणु खतरे के अलावा वह अपने मिसाइल-विकास कार्यक्रम पर भी काम कर रहा है, जिसका लक्ष्य तीन वर्षों के भीतर 10,000 मिसाइलों का उत्पादन करना है.

पीएम नेतन्याहू ने इजरायल के अटैक को सही ठहराते हुए कहा, "कल्पना कीजिए कि 10,000 टन टीएनटी न्यू जर्सी के आकार के देश पर गिरे.

"यह एक असहनीय खतरा है. इसे भी रोका जाना चाहिए. ईरान अब इजरायल को नष्ट करने की नई योजना पर काम कर रहा है. आप देखिए, पुरानी योजना विफल हो गई. ईरान और उसके सहयोगियों ने इजरायल को रिंग ऑफ फायर से घेरने की कोशिश की और 7 अक्टूबर के भयानक हमले के साथ हम पर हमला करने की कोशिश की." 

इजरायली डिफेंस फोर्स ने भी ईरान पर हमले की वजह बताते हुए कहा कि सालों से ईरानी इजरायल के विनाश का आह्वान कर रहा था और ऐसी स्थिति में हमारे पास कोई विकल्प नहीं रह गया था. IDF के प्रवक्ता बीजी एफी डेफरिन ने कहा, “सालों से ईरानी शासन ने इजरायल देश के विनाश का आह्वान किया है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सक्रिय रूप से ठोस सैन्य अभियानों की योजना बनाई और उन्हें आगे बढ़ाया है. हाल के महीनों में खुफिया जानकारी से संकेत मिला है कि ईरान परमाणु हथियार हासिल करने से पहले से कहीं ज़्यादा करीब है."

IDF ने कहा, "आज सुबह, IDF ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लक्षित करते हुए पूर्वव्यापी और सटीक हमले किए, जिसका उद्देश्य निकट भविष्य में शासन की परमाणु बम विकसित करने की क्षमता को रोकना है. हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हम एक आसन्न और अस्तित्वगत खतरे के जवाब में काम कर रहे हैं. हम ईरानी शासन को परमाणु हथियार हासिल करने की अनुमति नहीं दे सकते, जो न केवल इजरायल के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है. यह ऑपरेशन हमारे यहां रहने के अधिकार, हमारे भविष्य और हमारे बच्चों के भविष्य के बारे में है.”

हम उस बिंदु पर हैं जहां से वापसी संभव नहीं 

IDF के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल EYAL ZAMIR ने ईरान पर हमले की वजह इजरायल के वजूद पर मंडराते खतरे को बताई. उन्होंने कहा, "आज रात ऑपरेशन 'राइजिंग लॉयन' शुरू किया, ताकि इजरायल स्टेट के खिलाफ ईरानी शासन से खतरों पर रणनीतिक हमला किया जा सके. हम किसी भी अन्य अभियान से अलग एक ऐतिहासिक अभियान के बीच में हैं. यह एक ऐसे दुश्मन द्वारा अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करने से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान है, जो हमें नष्ट करने पर आमादा है. हमने यह अभियान इसलिए शुरू किया क्योंकि समय आ गया है, हम उस बिंदु पर हैं जहां से वापसी संभव नहीं है. हम ऑपरेशन के लिए किसी और समय का इंतजार नहीं कर सकते, हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है.

इजरायल ने दर्दनाक नियति तैयार कर ली है- खामेनेई

ईरान ने इस इजरायली हमले से हुए नुकसान को स्वीकार किया है.  ईरानी सरकारी टेलीविजन ने पुष्टि की है कि देश के अर्धसैनिक बल रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी शुक्रवार को इजरायली हमले में मारे गए.

ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने भी माना है कि कई कमांडर, वैज्ञानिक मारे गए हैं. खामेनेई ने ट्वीट किया, "यहूदी शासन ने आज भोर में अपने शैतानी, रक्तरंजित हाथों से हमारे प्यारे देश में एक अपराध किया है. रिहायशी इलाकों को निशाना बनाकर इसने अपनी दुर्भावनापूर्ण प्रकृति को पहले से भी ज़्यादा उजागर किया है.

दुश्मन के हमलों में कई कमांडर और वैज्ञानिक शहीद हो गए हैं. उनके उत्तराधिकारी और सहयोगी बिना किसी देरी के अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे.

इस अपराध के साथ ही ज़ायोनी शासन ने अपने लिए एक कड़वी, दर्दनाक नियति तैयार कर ली है, जिसे उसे निश्चित रूप से देखना होगा." 

इस हमले के बाद ईरान ने इजरायल पर बड़े हमले की धमकी दी है. ईरान के सशस्त्र बलों के प्रवक्ता जनरल शेकरची ने सरकारी टेलीविजन पर कहा कि इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका को "एक जोरदार तमाचा" मिलेगा और ईरान के सशस्त्र बल तैयार हैं और जल्द ही जवाबी हमले करेंगे.

अमेरिका ने पहले ही संकेत दिया था- हमला होने वाला है

ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि ईरान पर इजरायली हमला "बहुत अच्छी तरह से हो सकता है" लेकिन शांतिपूर्ण समाधान की अपनी आशा दोहराई. अमेरिकी खुफिया ने संकेत दिया था कि इजरायल ईरान की परमाणु सुविधाओं के खिलाफ हमले की तैयारी कर रहा था, और अमेरिकी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इजरायल आने वाले दिनों में हमला कर सकता है.

इजरायल ने तेहरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के प्रयास में अपने लंबे समय से दुश्मन ईरान पर हमला करने पर लंबे समय से चर्चा की है.

एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया कि अमेरिकी सेना मिडिल ईस्ट में इमरजेंसी की स्थिति में क्या करेगी, इसकी पूरी योजना बना रही है, जिसमें यह संभावना भी शामिल है कि उसे अमेरिकी नागरिकों को निकालने में मदद करनी पड़ सकती है.
अमेरिका ने पल्ला झाड़ा

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका ईरान के खिलाफ इजरायल के हमलों में शामिल नहीं था, साथ ही उसने तेहरान से क्षेत्र में अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना नहीं बनाने का आग्रह किया. रुबियो ने एक बयान में कहा, "आज रात, इजरायल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की. हम ईरान के खिलाफ हमलों में शामिल नहीं हैं और हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता क्षेत्र में अमेरिकी बलों की रक्षा करना है."

उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट कर दूं: ईरान को अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना नहीं बनाना चाहिए."

 

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