मुख्यमंत्री पद के चार संभावित चेहरे सामने आए।
ग्वालियर। मध्य प्रदेश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से दिग्गज नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में अपने ही लोकसभा क्षेत्रों की विधानसभा सीटों से मैदान में उतारा है। जबकि इनमें से एक भी विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड में नजर नहीं आ रहे थे। इन दिग्गज नेताओं के नाम सामने आने के बाद से राजनीतिक गलियारों में हंगामा मचा हुआ है। भाजपा के इस फैसले को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। हर तरफ चर्चा है कि सत्ताधारी पार्टी को विधानसभा चुनाव में बड़े नेताओं को मैदान में उतारने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या पार्टी को 2018 के चुनाव परिणाम को दृष्टिगत रखते हुए हार का डर सता रहा है? जिसके चलते पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती या फिर भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरे को लेकर कोई कोई बड़ा दाव खेल रही है। खबर तो यह भी है कि भाजपा की अगली लिस्ट में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कुछ और भी दिग्गजों को मैदान में उतारा जा सकता है। इसका खुलासा भी बहुत जल्द ही चौथी लिस्ट आने के बाद हो जायेगा।
मध्य प्रदेश के चुनावों की रणभेरी बजने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और फग्गनसिंह कुलस्ते के तौर पर तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही जबलपुर के सांसद राकेश सिंह, सतना के सांसद गणेश सिंह, सीधी की सांसद रीति पाठक और नर्मदापुरम के सांसद उदय प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है। खबर है कि इनमें से एक भी दिग्गज नेता विधानसभा चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे लेकिन भविष्य की राजनीति परिस्थितियों के बारे में विचार करते हुए पार्टी के निर्णय का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। जबकि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तो खुलेआम कह भी चुके हैं कि टिकट मिलने से मेरा दिल खुश नहीं है। में चुनाव नहीं लड़ना चाहता था। अब सवाल ये उठता है कि टिकट के दावेदारों की लंबी कतार के बाबजूद ऐसी कौन सी मजबूरी है कि पार्टी को उन नेताओं को चुनाव मैदान में उतारना पड़ा जो लड़ने के लिए तैयार नहीं थे या लड़ना नहीं चाहते?
मुख्यमंत्री पद के चार चेहरे।
मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी पर भी खतरा मंडराता हुआ नजर आ रहा है। यहां खबर यह भी है कि मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों के तौर पर केंद्रीय मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नाम बहुत पहले से चर्चाओं में शामिल रहे हैं। इसके अलावा नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारे गए सांसद एवं केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और नवास विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते भी आदिवासी चेहरे के तौर पर मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं।
सिंधिया भी लड़ सकते हैं चुनाव।
भाजपा ने अब तक तीन सूची जारी की है। जिनमे कुल 79 उम्मीदवारों के नाम हैं। जिनमें केंद्रीय मंत्रियों सहित अन्य दिग्गज नेताओं के नाम सामने आने के बाद चौथी सूची को लेकर भी अटकलें लग रही हैं। प्रबल संभावना है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी विधानसभा चुनाव के अखाड़े में उतारा जा सकता है। इसके अलावा गुना से सांसद केपी यादव और झाबुआ-रतलाम सांसद गुमान सिंह डामोर, समेत कुछ और सांसदों को भी विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
शिवराज की बदल सकती है सीट।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सीहोर के बजाय उनकी कर्मस्थली एवं संसदीय सीट रहे विदिशा से विधानसभा चुनाव लड़ाने की चर्चा जोरों पर है। इस सीट पर 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुकेश टंडन को हराकर कांग्रेस के शशांक भार्गव ने कब्जा जमा लिया था। यह सीट भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।