सीपीए ऑफिस से ‘एमबी बुक’ गायब, 2 साल से ठेकेदारों के भुगतान रुके
भोपाल. राजधानी परियोजना प्रशासन का पीडब्ल्यूडी में मर्ज होने के बाद से ठेकेदारों के लाखों रुपए का भुगतान रुक गया है. ठेकेदारों को बताया जा रहा है कि मेजरमेंट बुक (एम बुक) ऑफिस से गायब हो गई है. एमबी के बगैर एक ठेकेदार के ही 14 लाख 44हजार से अधिक की राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है. 2 साल के मैराथन प्रयास के बाद जब भुगतान नहीं हो पाया तब 16 अगस्त को ठेकेदार ने भुगतान के लिए सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की गई है.
ठेकेदार रविकांत त्रिपाठी को गुलमोहर कॉलोनी मास्टर प्लान के तहत सड़क बनाने के लिए 62 लाख 44 हजार 955 का वर्क आर्डर मिला था, जिनका एग्रीमेंट क्रमांक 131/DL/2018-19 है. इस एग्रीमेंट के तहत कार्यों का ब्यौरा और भुगतान का उल्लेख करने के लिए सब इंजीनियर संजय श्रीवास्तव ने मेजरमेंट बुक क्रमांक -1514 और 1521 जारी की. कार्य होने के साथ-साथ किस्तों में भुगतान भी होते गए. इस बीच राजधानी परियोजना प्रशासन का विलय लोक निर्माण विभाग मैं कर दिया गया. साथ ही सब इंजीनियर संजय श्रीवास्तव की सेवाएं उनके मूल विभाग पीडब्ल्यूडी को वापस कर दी गई. इस बीच ठेकेदार और सब इंजीनियर में किया गया मौखिक अनुबंध को लेकर मतभेद शुरू हो गए. यह मौखिक अनुबंध कुछ और नहीं बल्कि भुगतान से संबंधित सीपीए में चली आ रही परंपरा को लेकर है. भुगतान के संबंध में जब ठेकेदार रविकांत त्रिपाठी ने अपने दस्तावेज प्रस्तुत किए तब बाबुओं ने बताया कि आपका एमबी बुक ऑफिस में नहीं है इसलिए भुगतान नहीं हो सकता. त्रिपाठी का आरोप है कि एमबी बुक सब इंजीनियर संजय श्रीवास्तव ट्रांसफर के साथ ही अपने घर ले गए इसलिए ऑफिस में बुक नहीं मिल रही है. त्रिपाठी ने यह भी बताया कि एमबी बुक के लिए सूचना का अधिकार भी लगाया किंतु बुक नहीं दी गई.
अपील करने पर भी जानकारी नहीं दी जा रही है.
इनका कहना
एमबी बुक मैं क्यों लेकर आऊंगा. ऑफिस में ही रखी होगी. बाबुओं से संपर्क करेंगे तो मिल जाएगी.
संजय श्रीवास्तव, सब इंजीनियर