भ्रष्टाचार दुःख का कारण, दंड ही इसका निवारण.
Corruption is the cause of sorrow; punishment is the solution to its elimination.
काटनी होगीं भ्रष्टाचार की मजबूत होती जडे
महिला असिस्टेंट इंजीनियर करोड़ों के भ्रष्टाचार में फंसी…नगर निगम का अफसर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा
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…महिला सब इंस्पेक्टर का रिश्वत लेने का वीडियो वायरल…बाबू ने मांगी रिश्वत… रिश्वत लेने और भ्रष्टचार से जुड़े अनेक मामलों की ऐसी खबरें आए दिन समाचार-पत्रों की प्रमुख हेडलाइंस होती हैं। जिन्हें पढ़कर और सुनकर लगता है कि मानों आज भ्रष्ट आचरण वाले अधिकारी और कर्मचारी नियम विरुद्ध कार्य कर बनाई व्यवस्था को ध्वस्त कर तंत्र को दीमक की तरह चाट रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस पर पढ़िए मौजूदा परिवेश में जड़ जमाते भ्रष्टाचार की हकीकत को दर्शाती खास रिपोर्ट।
डॉ. केशव पाण्डेय
अंतराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस आज
भ्रष्टाचार@भ्रष्ट+आचार : भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुअ…आचार का मतलब आचरण… अर्थात भ्रष्टचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। जब कोई न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरुद्ध जाकर अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है।
मौजूदा दौर में भ्रष्टाचार एक जटिल सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्या है, जो सभी देशों को प्रभावित करती है। भ्रष्टाचार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर आर्थिक विकास को धीमा करता है और सरकारी अस्थिरता में योगदान देता है।
भ्रष्टाचार वर्तमान में एक नासूर बनकर समाज को खोखला करता जा रहा है। धर्म का नाम लेकर लोग अधर्म को बढ़ावा दे रहे हैं। दोषी व अपराधी धन के प्रभाव में स्वच्छंद घूम रहे हैं। धन-बल का प्रदर्शन, लूट-पाट, तस्करी आदि आम बात हो गई है। भ्रष्टाचार का समाज और राष्ट्र में व्यापक असर हो रहा है।
भ्रष्टाचार ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने से परहेज नहीं करता है। देश के भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।
सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश में आज भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं। दुनियाभर में पीढ़ियों के सामने भ्रष्टाचार एक सबसे बड़ी चुनौती है। यही चुनौती दुनिया भर के लोगों की समृद्धि और स्थिरता को खतरे में डाल रही है। क्योंकि आज अधिकांश लोग अवैध तरीकों से धन अर्जित करने की चाह में भ्रष्टाचार कर रहे हैं और निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ रही है।
यही वजह है कि भ्रष्टाचार का समाज के हर पहलू पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और यह संघर्ष और अस्थिरता के साथ गहराई से जुड़ रहा है। जो सामाजिक और आर्थिक विकास को खतरे में डालकर लोकतांत्रिक संस्थानों और कानून के शासन को कमजोर कर रहा है।
भ्रष्टाचार न केवल संघर्ष का कारण बनता है, बल्कि अक्सर इसके मूल कारणों में से एक है। यह कानून के शासन को कमजोर करके, गरीबी को बदतर बनाकर, संसाधनों के अवैध उपयोग को सुविधाजनक बनाकर और सशस्त्र संघर्ष के लिए वित्तपोषण प्रदान करके संघर्ष को बढ़ावा देता है और शांति प्रक्रियाओं को रोकता है।
हैरान करने वाली बात यह है कि देश का दिल कहे जाने वाला मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार के मामले में चौथे नंबर पर है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 2022 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 294 मामले पंजीबद्ध हुए थे।
प्रदेश में रिश्वत लेने के मामले सबसे ज्यादा हैं। इनमें लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के पास 257 मामले आए। ट्रेप के मामले में भी प्रदेश तीसरे पायदान पर है। अनुपातहीन संपत्ति के मामले में भी पिछले वर्ष 2022 में 17 मामले दर्ज हुए थे। इस मामले में प्रदेश का पांचवा नंबर है।
भ्रष्टाचार के बढ़ते संकट को दृष्टिगत रखते हुए संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी और शांति, सुरक्षा और विकास के बीच महत्वपूर्ण संबंध को उजागर करना चाहता है। इसके मूल में यह धारणा है कि इस अपराध से निपटना हर किसी का अधिकार और जिम्मेदारी है। प्रत्येक व्यक्ति और संस्था के सहयोग और भागीदारी से ही हम इस अपराध के नकारात्मक प्रभाव पर काबू पा सकते हैं। राज्य, सरकारी अधिकारी, सिविल सेवक, कानून प्रवर्तन अधिकारी, मीडिया प्रतिनिधि, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, शिक्षाविद, जनता और युवा सभी को समान रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ दुनिया को एकजुट करने में भूमिका निभानी होगी।
क्योंकि भ्रष्टाचार वह दीमक है जो अंदर ही अंदर देश को खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो यह दिखाता है व्यक्ति लोभ, असंतुष्टि, आदत और मनसा जैसे विकारों के वजह से कैसे मौके का फायदा उठा सकता है।
भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि भ्रष्टाचारियों को कठोर से कठोर दंड मिले।
यदि सतत विकास लक्ष्यों में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करना है तो भ्रष्टाचार को रोकना, पारदर्शिता को बढ़ावा देना और संस्थानों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। कह सकते हैं कि समाज व राष्ट्र की उन्नति और लोगों की तरक्की के लिए भ्रष्टाचार की मजबूत होती जड़ों को समूल काटना होगा।