पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नर्सिंग परीक्षा का परिणाम शीघ्र जारी करने के संबंध में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को लिखा पत्र।
Former Chief Minister Digvijay Singh wrote a letter to Chief Minister Dr. Mohan Yadav
Former Chief Minister Digvijay Singh wrote a letter to Chief Minister Dr. Mohan Yadav regarding the soon release of the results of the nursing examination.
मध्यप्रदेश में हुए नर्सिंग घोटाले की जांच की चपेट में अब दूसरी परीक्षाएं भी आने लगी हैं। मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल ने गत वर्ष जुलाई में सम्पन्न चार वर्षीय नर्सिंग कोर्स की परीक्षा का विगत एक वर्ष से परिणाम घोषित नहीं किया है। परिणाम स्वरूप 60 हजार से अधिक परीक्षार्थी अपने भविष्य को लेकर सशंकित है। वे रिजल्ट घोषित करने की मांग को लेकर मंडल के दफ्तर की और मंत्री बंगले के चक्कर लगा रही है।
नर्सिंग छात्राओं के प्रतिनिधिमंडल ने अवगत कराया है कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल द्वारा शासकीय नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश के लिये सत्र वर्ष 2022-23 हेतु प्रवेश परीक्षा में विलंब करते हुए ये परीक्षा जुलाई 2023 में आयोजित कराई गई थी, परन्तु परीक्षा परिणाम आज दिनांक तक जारी नही किये गये है। सत्र वर्ष 2022-23 के कुल 1860 पदों में से 810 पद संचालक चिकित्सा शिक्षा (डी.एम.ई.) और 1050 पद संचालक स्वास्थ्य सेवाएं (डी.एच.एस.) के लिये भर्ती कराई गई थी। जिसमें 66000 अभ्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। इसमें अनारक्षित वर्ग से 400 रूपये एवं आरक्षित वर्ग से 200 रूपये शुल्क लिया गया था, इस प्रकार कर्मचारी चयन मण्डल को करोड़ों रूपये राशि भर्ती परीक्षा के शुल्क के रूप में प्राप्त हुई और जुलाई 2023 में इसकी परीक्षा कराई गई। विगत एक वर्ष से अभ्यार्थी इंतजार कर रहे है। कर्मचारी चयन मण्डल इसके परिणाम घोषित नही कर रहा है।
इसमें डी.एम.एस. से सम्बद्ध 18 नर्सिंग कॉलेजों में 1050 पद खाली रह गये और नर्सिंग का कोई भी कोर्स संचालित नही हो सके। इसी प्रकार डी.एम.ई. से सम्बद्ध 06 मेडिकल कॉलेजों में भी 810 पदों पर नर्सिंग का कोर्स करने के लिये प्रवेश नही हो सका। वैसे तो जो ये वर्ष 2022-23 का सत्र था जो विलंब करके 2023 में किया गया । जुलाई 2023 में परीक्षा के बाद एक साल बाद 2024 में अभी तक परिणाम नही घोषित किया गया है। परिणाम नही आने से 66000 अभ्यार्थी नियमित डी.एम.ई. और डी.एच.एस. के चक्कर लगा रहे है। परन्तु उनकी सुनवाई नही हो रही है। इनका भविष्य धूमिल हो रहा है। ये अभ्यार्थी विगत तीन वर्ष से लाल फीताशाही का शिकार बन रहे है।
नर्सिंग काउंसिल ने शासन द्वारा संचालित 24 नर्सिंग कॉलेजों के लिये मान्यता नही दी। नर्सिंग घोटाला निजी कॉलेजों के मान्यता के संबंध में हुआ था लेकिन इसकी गाज शासन के कॉलेजो पर भी पड़ गई। म.प्र. में चल रही नये पुराने 666 कॉलेजों में भारी अनियमितता पाये जाने के बाद उच्च न्यायालय से सी.बी.आई. की जांच चल रही है। इन जांचों के चलते शासन द्वारा संचालित नर्सिंग कॉलेज को शून्य वर्ष घोषित किया गया है। इस तरह के निर्णय से एक
तरफ तो नर्सिंग कोर्स का संचालन रूक गया वहीं हजारों बच्चों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है।
नर्सिंग कॉलेजों से शिक्षित और प्रशिक्षित नर्सें नहीं मिलने से प्रदेश के अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों का भी काम प्रभावित हो रहा है। अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त नर्सिंग परीक्षा का परिणाम शीघ्र जारी करने के संबंध में संबंधितों को समुचित निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें, ताकि कॉलेजों में प्रवेश मिल सके और निर्धारित अवधि में छात्रायें अपना कोर्स पूरा कर सकें।