मालूम हो कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के वक्त 400 पार का नारा दिया था, मगर वह 230 सीटों पर सिमट गई: टीएमसी नेता
![Chandrashekhar became the District President of Unorganized Workers and Employees Congress.](https://saharasamachaar.com/wp-content/uploads/2024/09/WhatsApp-Image-2024-09-19-at-18.30.26-512x1024.jpeg)
Chandrashekhar became the District President of Unorganized Workers and Employees Congress.
नई दिल्ली
तृणमूल कांग्रेस के सासंद कल्याण बनर्जी का लोकसभा में मंगलवार को अलग अंदाज देखने को मिला। उन्होंने अपने अनोखे अंदाज से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। टीएमसी नेता ने बड़े ही मजाकिया अंदाज में भाजपा के 400 पार वाले नारे को लेकर तंज कसा। मालूम हो कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के वक्त 400 पार का नारा दिया था, मगर वह 230 सीटों पर सिमट गई। इसी 400 पार बाले नारे पर तंज कसते हुए कल्याण बनर्जी कित…कित…कित…कित…कित बोलने लगे। जैसे ही सदन में इस तरह की आवाज गूंजी, महुआ मोइत्रा समेत वहां मौजूद कई दूसरे सांसद जोर-जोर से हंसने लगे।
कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार, नफरत और बदले की भावना ने उनकी लोकप्रियता को कम कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री से विपक्ष के लिए कभी कोई नम्रतापूर्ण या मीठे शब्द नहीं सुने। विपक्ष के प्रति उनका रवैया इतना द्वेषपूर्ण क्यों है? प्रधानमंत्री के मुंह से कभी भी गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तारीफ नहीं सुनने को मिली। हमारा अनुरोध है कि पीएम विपक्ष की तरफ थोड़े विनम्र हो जाएं। समय आ गया है कि सत्तापक्ष आत्मनिरीक्षण करे। इस अहंकार, इस नफरत, इस बदले की भावना ने मोदी की लोकप्रियता को कम कर दिया है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में जनता से किए गए अपने वादे पूरे नहीं किए हैं।’
'एनडीए को करीब 48 प्रतिशत वोट मिले'
तृणमूल कांग्रेस सदस्य ने दावा किया कि इस चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए को जहां करीब 48 प्रतिशत वोट मिले, वहीं पूरे विपक्षी गठबंधन इंडिया को 51 प्रतिशत से अधिक वोट मिले हैं। उन्होंने कहा, ‘आज देश में अस्थिर सरकार है लेकिन मजबूत विपक्ष है। सत्तापक्ष को हर दिन, हर पल याद रखना होगा कि हम अस्थिर हैं और इंडिया गठबंधन ज्यादा मजबूत है। हम अब संसद में भी जोरदार तरीके से बोलेंगे और संसद के बाहर भी राजनीतिक लड़ाई चलेगी। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने दीजिए, डेढ़ वर्ष बाद यह सरकार नहीं रहेगी। आपातकाल की अवधि को छोड़ दें तो मौजूदा प्रधानमंत्री के अलावा किसी अन्य प्रधानमंत्री ने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयेाग इस तरह नहीं किया।'