ओम बिरला ने कहा- विधानसभा की तर्ज पर नगर निगमों में सदन को चलाने के लिए प्रक्रिया निर्धारित की जाना चाहिए
इंदौर
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को इंदौर नगर निगम मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि लोकसभा और विधानसभा की तर्ज पर नगर निगमों में सदन को चलाने के लिए प्रक्रिया निर्धारित की जाना चाहिए। एक घंटे का शून्य काल हो, जिसमें विविध मुद्दे उठाए जा सकें। पानी, बिजली, सीवरेज जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाए जाएं। ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे सदन पूरे दिन चल सके। सकारात्मक रूप से जनता से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा होनी चाहिए। जितना सुंदर इंदौर नगर निगम का सभागृह है, उतनी ही सुंदर इसकी कार्रवाई भी होना चाहिए। इस सदन को ऐसे आदर्श स्थापित करना चाहिए ताकि प्रदेश के अन्य नगरीय निकाय यहां आकर देखें और सीखें कि नगर निगम सदन की कार्रवाई कैसे चलती है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, निगमायुक्त शिवम वर्मा, सांसद शंकर लालवानी, महापौर परिषद सदस्य और पार्षदों के साथ-साथ निगम के अधिकारी भी मौजूद थे।
जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी चुनौती
बिरला ने कहा कि जलवायु परिवर्तन देश ही नहीं, विश्व में सबसे बड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम अभियान के माध्यम से दुनिया को दिशा दी है। कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जो 51 लाख पौधे रोपने का संकल्प लिया है, वह पूरे देश के लिए प्रेरणा का काम करेगा।
उम्र में छोटे हैं लेकिन मैंने उनसे बहुत सीखा है
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि बिरला लोकतंत्र के मंदिर के रखवाले हैं। वह उम्र में भले ही मुझसे छोटे हैं, लेकिन मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। हमने लोकसभा में गंभीरता, पवित्रता, निष्पक्षता देखी है। सांसदों का आचरण भी देखा है। हमने देखा है कि जब भी कोई सांसद बोलते हैं तो कोई शोर नहीं करता, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान कुछ विपक्षियों ने जमकर हंगामा मचाया। विजयवर्गीय ने बिरला से कहा कि आप हेड मास्टर हैं। आप सासंदों को बताएं कि वे सदन में कैसा व्यवहार करें। आप उनके लिए आदर्श हैं। आपका गुस्सा क्षणिक होता है। जहां जरूरत होती है, आप गुस्सा दिखाते हैं और जहां जरूरत होती है, मुस्कुरा देते हैं। सांसद आपके चेहरे को देखकर समझ जाते हैं कि आप क्या चाहते हैं। सांसदों को यह समझना चाहिए कि वे लोकतंत्र के सबसे बड़े सदन में बैठे हैं। उन्हें पूरा देश देखता है। नगरीय निकाय के सदन उन्हीं से सीखते हैं।
 
				 
                                             
                                             
                                             
															 
															