वाटर फॉल, नर्मदा नदी और प्राचीन मंदिर…जबलपुर के भेड़ाघाट में मनाइए नए साल का जश्न

new year celebration in bhedaghatspectacular amidst marble valleys and sparkling waterfalls
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भेड़ाघाट ! जबलपुर के पास स्थित एक शांत और ऐतिहासिक स्थल है, जो संगमरमर की वादियों, धुआंधार जलप्रपात, और पवित्र नर्मदा नदी के लिए प्रसिद्ध है. यहां के प्राचीन मंदिरों और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करना हर पर्यटक के लिए अविस्मरणीय होता है. यह स्थल विशेष रूप से नए साल के जश्न या किसी भी खास अवसर पर शांति और सुकून का आनंद लेने के लिए सही है.
भारत में प्रकृति की अपार धरोहरें हर कोने में फैली हुई हैं, और मध्य प्रदेश का जबलपुर शहर इन धरोहरों का प्रमुख केंद्र है. अगर आप नए साल का जश्न प्रकृति के करीब और शांत वातावरण में मनाना चाहते हैं, तो जबलपुर का भेड़ाघाट और इसके आसपास के स्थल आपके लिए आदर्श स्थान हो सकते हैं.
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जबलपुर को ‘संस्कारधानी’ के नाम से भी जाना जाता है, और यह शहर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है. इस शहर के प्रमुख स्थल भेड़ाघाट, बरगी डेम, धुआंधार जलप्रपात, 64 योगिनी मंदिर, त्रिपुर सुंदरी मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल न केवल प्रकृति की मनमोहक सुंदरता का अनुभव कराते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास और पौराणिक कथाओं के महत्व को भी जीवित रखते हैं.

संगमरमर वादियों में नाव की सैर, रोपवे से धुआंधार का नज़ारा, और नर्मदा की लहरों का संगीत इस अनुभव को यादगार बना देंगे. इसके साथ बरगी डेम में क्रूज पर भी यात्रा कर सकते है.
धुआंधार जलप्रपात
भेड़ाघाट का प्रमुख आकर्षण धुआंधार जलप्रपात है, जहां नर्मदा नदी लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से गिरती है. गिरते हुए पानी से उठता झाग धुएं जैसा प्रतीत होता है, इसलिए इसे ‘धुआंधार’ नाम दिया गया. इसकी तुलना अक्सर नियाग्रा फॉल्स से की जाती है. रोपवे के जरिए इस जलप्रपात का दृश्य और भी रोमांचक बनता है.
संगमरमर की वादियां
भेड़ाघाट में संगमरमर के पहाड़ नर्मदा नदी के साथ दो किलोमीटर तक फैले हुए हैं. इन संगमरमर की चट्टानों में सफेद, गुलाबी, हरी, और काली रंगों की छटा देखने को मिलती है. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इन वादियों का दृश्य और भी मनोरम होता है.
बंदर कूदनी
संगमरमर की इन चट्टानों के बीच ‘बंदर कूदनी’ नामक स्थान है, जहां चट्टानों की निकटता के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि एक बंदर कूदकर इसे पार कर सकता है. यह स्थल कई पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है.
चौंसठ योगिनी मंदिर
यह 9वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर भेड़ाघाट के पहाड़ पर स्थित है. यह मंदिर शक्ति.पासना का केंद्र था और इसे तांत्रिकों की विश्वविद्यालय माना जाता है. मंदिर में चौसठ योगिनियों की मूर्तियां हैं, जो हरियाली लिए पीले बलुआ पत्थरों से बनी हैं. इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजाओं द्वारा किया गया था.
त्रिपुर सुंदरी मंदिर
भेड़ाघाट से कुछ दूरी पर स्थित त्रिपुर सुंदरी मंदिर कल्चुरी काल की उत्कृष्ट कृति है. यहां देवी के तीन रूप महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती की पूजा होती है. यह स्थान तीन शहरों की सुंदर देवियों के वास का प्रतीक है.
कुंभेश्वर महादेव मंदिर
लम्हेटा घाट पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने यहां लक्ष्मण के साथ शिव की आराधना की थी.
इंद्र गया
इंद्र गया वह स्थान है जहां इंद्रदेव ने अपने पिता की अस्थियों का विसर्जन किया था. यह स्थान आज भी धार्मिक कर्मकांडों के लिए प्रसिद्ध है.
लम्हेटा घाट
यह स्थान नर्मदा किनारे डायनासोर के अंडों के अवशेषों के लिए जाना जाता है. यहां डायनासोर के जीवाश्म मिलने के प्रमाण भी मिले हैं, जो इसे वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं.
भेड़ाघाट की फिल्मी पहचान
भेड़ाघाट के संगमरमर वादियों में कई फिल्मों की शूटिंग हुई है. यह स्थान भारतीय फिल्म उद्योग के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहा है. भेड़ाघाट में नाव यात्रा पर्यटकों के लिए विशेष अनुभव है. नाविक की रोचक कमेंट्री, जिसमें ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं का जिक्र होता है, सैर को और भी यादगार बनाती है.
नए साल का जश्न
नए साल के जश्न या किसी भी अन्य अवसर पर भेड़ाघाट एक अद्भुत पर्यटन स्थल है. यहां के प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थान परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए उपयुक्त हैं. भेड़ाघाट न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए एक अनमोल धरोहर है. इसकी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और पौराणिक कहानियां इसे विशेष बनाती हैं. यह स्थान न केवल देखने और महसूस करने का है बल्कि आत्मा को शांति और सुकून देने वाला है. यहां की यात्रा हर किसी को जीवन में एक बार अवश्य करनी चाहिए.