LATEST NEWS

देशभर में कुल 37.9 प्रतिशत महिलाएं फैमिली प्लानिंग का आपरेशन कराती हैं, पुरुष मात्र 0.3 प्रतिशत

0

नई दिल्ली

 नसबंदी कराने वालों की संख्या स्त्री और पुरुष दोनों में ही कम है, जबकि इस ऑपरेशन का कोई भी निगेटिव असर संबंधित व्यक्ति के शरीर पर नहीं पड़ता है. नसबंदी कराने के मामले में कनाडा के पुरुष सबसे आगे हैं, यहां 21.7 प्रतिशत पुरुष नसबंदी कराते हैं, जबकि महिलाओं की बात करें तो डोमिनिकन रिपब्लिक सबसे आगे है, यहां की 47 प्रतिशत महिलाएं नसबंदी कराती हैं.

जनसंख्या देश के लिए बड़ी समस्या बन सकती है, इस बात को देश के दूरदर्शी नेताओं ने पहले ही समझ लिया था, यही वजह थी कि भारत विश्व में पहला ऐसा देश बना जिसने 1952 में ही परिवार नियोजन की शुरुआत की. आजादी के वक्त भारत की जनसंख्या मात्र 36 करोड़ थी जो आज के समय में 144 करोड़ को पार कर गई है.

आजादी के बाद आरए गोपालस्वामी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी जिसमें यह कहा गया था कि जो स्थिति है उसमें प्रत्येक वर्ष देश की आबादी में 5 लाख नए लोग जुड़ जाएंगे. इसी रिपोर्ट के आधार पर देश में परिवार नियोजन की शुरुआत हुई. परिवार को सीमित करने के लिए कई तरीकों का ईजाद हुआ, जिनमें कुछ पुराने तरीके हैं और कुछ आधुनिक. इन तरीकों में से आपको किसे अपनना है यह आपकी मर्जी पर निर्भर है. सामान्यतौर पर परिवार नियोजन के लिए गोलियां, कंडोम या इसी तरह के अन्य अवरोधक उपकरण और नसबंदी या बंध्याकरण की शामिल है. कई लोग प्राकृतिक परिवार नियोजन का भी सहारा लेते हैं.
नसबंदी के फायदे क्या हैं?

Sterilization या नसबंदी एक सर्जरी है और जिसके जरिए एक स्त्री या पुरुष को प्रजनन करने से रोका जाता है. इसे परिवार नियोजन का सबसे सफल और कारगर उपाय माना जाता है. बावजूद इसके नसबंदी कराने वालों की संख्या स्त्री और पुरुष दोनों में ही कम है, जबकि इस ऑपरेशन का कोई भी निगेटिव असर संबंधित व्यक्ति के शरीर पर नहीं पड़ता है. नसबंदी कराने के मामले में कनाडा के पुरुष सबसे आगे हैं, यहां 21.7 प्रतिशत पुरुष नसबंदी कराते हैं, जबकि महिलाओं की बात करें तो डोमिनिकन रिपब्लिक सबसे आगे है, यहां की 47 प्रतिशत महिलाएं नसबंदी कराती हैं.

क्या कहते हैं नसबंदी के आंकड़े

NFHS-5 के आंकड़े बताते हैं कि पुरुष नसबंदी काफी कम कराते हैं, जबकि महिलाएं यह सर्जरी ज्यादा कराती हैं. देशभर में कुल 37.9 प्रतिशत महिलाएं फैमिली प्लानिंग का आॅपरेशन कराती हैं, जबकि पुरुषों में संख्या 0.3 प्रतिशत का है. वहीं बात अगर NFHS-4 की करें तो उसमें भी आंकड़ा 0.3 प्रतिशत का ही था, यानी कि पुरुषों की रुचि नसंबंदी में जरा भी नहीं बढ़ी है.

क्या कहते हैं झारखंड के आंकड़े

झारखंड के आंकड़ों को अगर देखें तो शहरी इलाकों में 37.3 प्रतिशत महिलाएं सर्जरी कराती हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 37.4 का है. एनएफएचएस 4 में यह आंकड़ा 31.1 था. उस लिहाज से इसे उत्साहित करने वाला आंकड़ा माना जा सकता है. वहीं पुरुषों की अगर बात करें तो आंकड़े में मामूली परिवर्तन दिखता है. शहरी इलाकों में 0.4 प्रतिशत पुरुष नसबंदी कराते हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 0.2 प्रतिशत है और कुल 0.3 प्रतिशत है. एनएफएचएस 4 में भी यह आंकड़ा 0.2 प्रतिशत ही था. यह आंकड़े यह बताते हैं कि नसबंदी को लेकर पुरुषों में कोई उत्साह नहीं है और वे परिवार नियोजन के इस तरीके को पसंद नहीं करते हैं.

बिहार के पुरुषों को पसंद नहीं नसबंदी

बिहार के शहरी पुरुषों की अगर बात करें तो मात्र 0.2 प्रतिशत ही नसबंदी कराते हैं, जबकि ग्रामीण पुरुषों में यह संख्या संख्या 0.1 प्रतिशत है. वहीं कुल आंकड़ा 0.1 प्रतिशत का ही है. जबकि अगर एनएफएचएस 4 की बात करें तो यह संख्या 0.0 प्रतिशत की दिखती है. झारखंड के मुकाबले में बिहार की महिलाएं भी नसबंदी और परिवार नियोजन के तरीकों पर कम भरोसा करती दिखती हैं. आंकड़े कहते हैं कि बिहार की मात्र 34.8 प्रतिशत महिलाएं बंध्याकरण कराती हैं, एनएफएचएस4 में आंकड़ा 20.7 का था. परिवार नियोजन के किसी भी तरीकों को अपनाने के मामले में भी बिहार पीछे है, यहां मात्र 55.8 प्रतिशत लोग ही इसका सहारा लेते हैं. एनएफएचएस 4 में आंकड़ा 24.1 प्रतिशत का था.

क्या कहते हैं डाॅक्टर

स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ पुष्पा पांडेय कहती हैं कि हमारे देश में पुरुष नसबंदी में रुचि नहीं लेते हैं उनके अंदर एक डर है कि यह उनकी मर्दानगी को प्रभावित कर सकता है. जबकि सच्चाई इससे बिलकुल अलग है. नसबंदी का इन बातों से कोई लेना-देना नहीं है. पुरुषों की सर्जरी बहुत आसान भी होती है, बावजूद इसके इतने साल बाद भी उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा सका है. महिलाओं में यह ऑपरेशन ज्यादा कठिन है, क्योंकि ज्यादातर महिलाएं डिलीवरी के समय तो यह सर्जरी कराती नहीं है, ऐसे में दोबारा उनका पेट खोलकर सर्जरी करना पड़ता है. यह कठिन प्रक्रिया है और इसमें समय भी ज्यादा लगता है. जबकि पुरुषों की सर्जरी बहुत ही आसान होती है, उन्हें रिकवरी में 24 घंटे लगते हैं और महिलाओं को 15 से 20 दिन.

पुरुष नसबंदी की क्या है सच्चाई

परिवार नियोजन कार्यक्रम से जुड़ी से गुंजन खलखो बताती है कि अगर केवल झारखंड की बात करें तो हमारी जो अपेक्षित उपलब्धि है उसके तहत पूरे झारखंड में प्रतिवर्ष हम 95 लाख स्त्री और पुरुष की नसबंदी करते हैं. इसमें पुरुषों की संख्या महज 1800 से दो हजार के बीच होती है. पुरुष सर्जरी क्यों नहीं कराते हैं उनमें जागरूकता का कितना अभाव है, यह बात तो है, लेकिन जरूरी यह है कि हम उन्हें प्रोत्साहित करें. अगर उनके मन में कोई भय या शंका है तो उसका निराकरण करें, आंकड़ों के आधार पर निगेटिव बात करना उचित नहीं है. इसका कारण यह है कि परिवार नियोजन के जो कार्यक्रम देश और राज्य में चलाए जा रहे हैं उनका प्रभाव बहुत ही पाॅजिटिव है. आज देश के शहरी इलाकों में टोटल फर्टिलिटी रेट दो से भी नीचे आ गया है हां ग्रामीण इलाकों में ही टोटल फर्टिलिटी रेट दो से ज्यादा है. कुल आंकड़ों मे यह दो से कम है.

पुरुष बंध्याकरण इसलिए भी नहीं कराते हैं क्योंकि आज के समय में परिवार नियोजन के कई तरीके मौजूद हैं, जो ज्यादा आधुनिक और सहज हैं. फैमिली प्लानिंग को लेकर आज के समय में इतने च्वाइस हैं कि आप किसी को सर्जरी के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं. जहां तक च्वाइस की बात करें तो सबसे ज्यादा पील्स और कंडोम ही इस्तेमाल होता है. इसके अलावा अंतरा इंजेक्शन जिसे हमने 2018 में 3000 के साथ लाॅन्च किया था वो आज दो लाख 90 हजार से अधिक हो चुका है.

छाया वीकली पील्स भी आज के समय में छह लाख को क्राॅस कर चुका है. काॅपर टी और ICUD को भी काफी पसंद किया जाता है. इस लिहाज से यह कहना है कि पुरुष नसबंदी नहीं करा रहे हैं और महिलाओं पर दबाव डाल रहे हैं, सही नहीं होगा. जिस भी क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार हुआ है वहां लोग अपने परिवार को बड़ा नहीं करना चाहते हैं, वे एक ही बच्चे से संतुष्ट हैं, जबकि जहां शिक्षा का अभाव है, वहां बच्चे ज्यादा है.

परिवार नियोजन पर लोगों की राय

एक बच्ची के माता-पिता शाम्भवी और शशांक ने बताया कि आज के समय में सबको अपने परिवार की चिंता है, कोई भी कपल एक से ज्यादा बच्चे नहीं चाहता है. वजह साफ है उसकी परवरिश और शिक्षा पर इतना खर्च आता है, कौन माता-पिता अपने बच्चे का भविष्य खराब करना चाहेगा. जहां तक बात स्टरलाइजेशन की है, तो कई और च्वाइस बाजार में मौजूद हैं,तो कोई सर्जरी की ओर क्यों जाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

slot server thailand super gacor

spaceman slot gacor

slot gacor 777

slot gacor

Nexus Slot Engine

bonus new member

olympus

situs slot bet 200

slot gacor

slot qris

link alternatif ceriabet

slot kamboja

slot 10 ribu

https://mediatamanews.com/

slot88 resmi

slot777

https://sandcastlefunco.com/

slot bet 100

situs judi bola

slot depo 10k

slot88

slot 777

spaceman slot pragmatic

slot bonus

slot gacor deposit pulsa

rtp slot pragmatic tertinggi hari ini

slot mahjong gacor

slot deposit 5000 tanpa potongan

mahjong

spaceman slot

https://www.deschutesjunctionpizzagrill.com/

spbo terlengkap

cmd368

368bet

roulette

ibcbet

clickbet88

clickbet88

clickbet88

bonus new member 100

slot777

https://bit.ly/m/clickbet88

https://vir.jp/clickbet88_login

https://heylink.me/daftar_clickbet88

https://lynk.id/clickbet88_slot

clickbet88

clickbet88

https://www.burgermoods.com/online-ordering/

https://www.wastenotrecycledart.com/cubes/

https://dryogipatelpi.com/contact-us/

spaceman slot gacor

ceriabet link alternatif

ceriabet rtp

ceriabet

ceriabet link alternatif

ceriabet link alternatif

ceriabet login

ceriabet login

cmd368

sicbo online live