दुकानों पर एमआरपी से ज्यादा बेची जा रही शराब, रेट लिस्ट गायब, नियमों कायदे ताक पर, आबकारी विभाग और ठेकेदार मिलीभगत कर लगा रहे है शासन और जनता को चूना.
Alcohol is being sold in shops than the prescribed Maximum Retail Price (MRP), rate lists are missing, regulations are being violated, and there is collusion between the Excise Department and liquor vendors.
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Special Correspondent – Sahara Samachaar Katni.
कटनी । शराब ठेकेदारों और आबकारी विभाग की मनमानी के चलते ग्राहक ठगे जा रहे हैं शराब ठेकेदारों के द्वारा खुलेआम MRP से ज्यादा दाम पर शराब बेची जा रही है लेकिन आबकारी विभाग द्वारा जानकर भी अनजान बनने की कोशिश की जा रही है.
फ़ोन करने पर आबकारी विभाग के अधिकारी फ़ोन नहीं उठाते, यदि उठा भी ले तो कार्यवाही का अस्वासन दिया जाता है पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती. इस पूरे खेल से ऐसा प्रतीत होता है की आबकारी विभाग और ठेकेदारों के साठगांठ से करोड़ों रूपए की बंदरबाट हो रही है.
कटनी के अंतर्गत आने वाली गर्ग चौराहे और दुर्गा चौक शराब दुकानों में मनमाने दाम में प्रिंट रेट से ज्यादा कीमत में शराब बेची जा रही है आलम यह है की रिहायशी इलाको में शराब MRP पर ही शराब की बिक्री होती है. लेकिन यदि हम कटनी से बहार किसी भी तहसील या कस्बों में जहाँ आबकारी विभाग ने ठेके आबंटित किये है वह पर शराब को MRP से लगभग २०% से २५% पर शराब के सभी ब्रांडो की बिक्री की जा रही है. आबकारी अधिकारी और ठेकेदारों की मिली भगत से शासन एवं आम जनता को चूना लगाया जा रहा है. बिल मांगने पर ठेके पर बैठे सेल्समेन कहते है की हमारे यहाँ बिल नहीं दिया जाता।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार एक तरफ महंगी शराब तो दूसरी तरफ सरकार के आहता बंद होने के आदेश की भी धज्जियां उड़ाते हुए शराब की दुकान के पास में एक नहीं कई आहते मिल जायेंगे जहा रोजाना जमघट मचा रहता हैं। जानकारी के मुताबिक़ कटनी शहर की हर शराब दुकान के पास आराम से बैठ के पीने खाने की व्यवस्था मिल जाती हैं वही कुछ दुकानें ऐसी भी है जो शहर के मोहल्ले गली में खोली गई है । जिनके सामने रोज भीड़ होती है जिससे लोगो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बताया गया है कि इस मनमानी के चलते लोग परेशान हैं सुभाष चौक में शराब दुकान पर सरेआम महंगे रेट पर शराब बेची जा रही है मजे की बात तो यह है कि यहां से जिम्मेदार अधिकारी भी निकालते हैं लेकिन उनको कोई परवाह नहीं है और कुछ कदमों की दूरी पर आबकारी विभाग भी है लेकिन कार्यवाही के नाम पर नतीजा सिफर ही रहता है कई जगह तो सूचना बोर्ड भी गायब हैं जबकि रेट लिस्ट लगाना जरूरी होता है ताकि लोगों को एमआरपी का पता चल सके बताया जाता है कि ज्यादा कोई बात करता है तो शराब बेचने वाली लड़ाई झगड़े में उतारू हो जाते हैं इस वजह से उपभोक्ता नहीं बोलते हैं लेकिन बात चाहे जो हो गड़बड़ झाला हो रहा है.