November 21, 2024

लॉकडाउन के दौरान चंद्रमा के तापमान में 8-10 केल्विन की असामान्य गिरावट देखी गई

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नई दिल्ली/बेंगलुरु
भारतीय शोधकर्ताओं ने पाया है कि 2020 के वैश्विक कोविड लॉकडाउन का चंद्रमा तक प्रभाव पड़ा था। पीयर-रिव्यू मंथली नोटिस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी: लेटर्स में एक स्टडी प्रकाशित हुई थी। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को पता चला है कि अप्रैल-मई 2020 के सबसे सख्त लॉकडाउन के दौरान चंद्रमा की सतह के तापमान में असामान्य गिरावट देखी गई थी।

फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) के के दुर्गा प्रसाद और जी अंबिली ने 2017 और 2023 के बीच चंद्रमा के निकटवर्ती भाग पर छह विभिन्न स्थानों – ओशनस प्रोसेलारम के दो स्थान, मेरे सेरेनिटैटिस, मेयर इम्ब्रियम, मेयर ट्रैंक्विलिटैटिस और मेरे क्रिसियम पर रात्रि के समय सतह के तापमान का विश्लेषण किया। पीआरएल के निदेशक अनिल भारद्वाज ने कहा कि यह हमारे समूह का एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह काफी अद्वितीय है।

कैसे की स्टडी?
नासा के चंद्रयान (Lunar Reconnaissance Orbiter) के आंकड़ों का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि लॉकडाउन के महीनों में चंद्रमा के तापमान में अन्य वर्षों की तुलना में लगातार 8-10 डिग्री कम (8-10 केल्विन) हो गया था। प्रसाद ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हमने वास्तव में 12 सालों का डेटा विश्लेषण किया था, लेकिन अध्ययन में समानता बनाए रखने के लिए हमने सात सालों (2017 से 2023) का डेटा इस्तेमाल किया,लॉकडाउन वाले साल 2020 से पहले के तीन साल और उसके बाद के तीन साल।

शोधकर्ताओं का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान पृथ्वी से निकलने वाले विकिरण (Radiation) में कमी के कारण चंद्रमा का तापमान कम हुआ। चूंकि मानवीय गतिविधियों में काफी कमी आई थी, ग्रीनहाउस गैसों और वायुमंडलीय कणों (Aerosols) का उत्सर्जन भी कम हो गया, जिसके कारण पृथ्वी के वायुमंडल में कम गर्मी फंसी और वापस निकली।

तापमान में काफी बदलाव
शोधकर्ताओं ने विभिन्न स्थानों और वर्षों में तापमान में काफी बदलाव भी देखा। सबसे कम कुल तापमान 2020 में साइट-2 पर 96.2 K था, जबकि सबसे कम तापमानों में सबसे अधिक 2022 में साइट-1 पर 143.8 K था। आमतौर पर, 2020 में अधिकांश स्थानों पर सबसे ठंडा तापमान देखा गया, जबकि 2021 और 2022 में जब पृथ्वी पर मानवीय गतिविधियां फिर से शुरू हुईं, तब एक उल्लेखनीय तापमान बढ़ने का रुझान देखा गया।

के दुर्गा प्रसाद ने समझाया कि चंद्रमा पृथ्वी के विकिरण के चिन्ह का एक प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में कार्य करता है। इस अनूठी वैश्विक घटना ने हमें यह देखने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान किया कि पृथ्वी पर मानवीय गतिविधियों में बदलाव हमारे निकटतम खगोलीय पड़ोसी को कैसे प्रभावित कर सकता है।शोध पत्र में लिखा है कि चूंकि कोविड लॉकडाउन के दौरान चंद्रमा के रात्रि के समय सतह के तापमान में असामान्य कमी देखी गई है, इसलिए अन्य संभावित कारकों जैसे सौर गतिविधि और मौसमी प्रवाह विविधता के प्रभावों की भी जांच की गई है। परिणाम दर्शाते हैं कि इन कारकों में से किसी का भी अवलोकित हस्ताक्षर(Observed Signature) पर कोई प्रभाव नहीं है, इस प्रकार यह हमारे निष्कर्षों का समर्थन है कि यह केवल कोविड लॉकडाउन के कारण है।

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