GST के हर केस में गिरफ्तारी जरूरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाईं फटकार
Arrest is not necessary in every GST case, Supreme Court reprimands the Central Government
सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी एक्ट के प्रावधानों की संवधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि इस एक्ट यह नहीं कहता है कि छानबीन पूरी करने के लिए आपको गिरफ्तारी करनी जरूरी है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि जीएसटी एक्ट से संबंधित तमाम केसों में गिरफ्तारी जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी तभी होनी चाहिए जब गिरफ्तारी के लिए ठोस साक्ष्य और सामग्री मौजूद हो जिसके आधार पर दोषसिद्धी साबित की जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी एक्ट के प्रावधानों की संवधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए यह टिप्पणी की।
गिरफ्तारी तभी हो जब ठोस आधार हो- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि जीएसटी एक्ट यह नहीं कहता है कि छानबीन पूरी करने के लिए आपको गिरफ्तारी करनी जरूरी है। यह कानून का उद्देश्य नहीं है। आपको जीएसटी के हर मामले में गिरफ्तार करने की जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी तभी हो सकती है जब इसके लिए विश्वसनीय ठोस आधार हो। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
जीएसटी कानून में गिरफ्तारी के प्रावधानों पर सवाल
जीएसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों पर राजू से कई सवाल पूछने वाली पीठ ने कहा कि कानून ने खुद ही स्वतंत्रता को ऊंचे मुकाम पर रखा है। इसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अधिकांश गिरफ्तारियां जांच के दौरान की जाती हैं क्योंकि किसी मामले में जांच पूरी होने के बाद कोई गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी केवल संदेह पर आधारित नहीं है, यह उस समय की जाती है जब यह मानने के कई कारण हों कि यह किसी गंभीर अपराध के घटित होने का संकेत दे रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के तहत ‘विश्वास करने के कारण’ और ‘गिरफ्तारी के आधार’ के सवाल की जांच करेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि जहां जीएसटी अधिकारियों की मनमानी के कई मामले सामने आए हैं, वहीं करदाताओं की ओर से गलत काम करने के भी मामले हैं। पीठ ने कहा कि वह अपना फैसला देते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखेगी।