उत्तर प्रदेश में चौधराहट की जंग : योगी या मौर्य
Battle of Leadership in Uttar Pradesh: Yogi or Maurya
राजीव रंजन झा
लखनऊ ! केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली में जो पका रहे हैं , वह आश्चर्यजनक है । यूं तो पिछले एक साल से मौर्य और बृजेश पाठक दोनों ही दिल्ली में अमित शाह के दरबार में पड़े रहे हैं , लेकिन कार्यसमिति की लखनऊ बैठक में प्रकारांतर से योगी पर बरस कर उनके भाव पार्टी में और चढ़ गए हैं । मौर्य अब अमित शाह की मदद से योगी को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं । मौर्य ओबीसी कोटे से आते हैं और याद कीजिए कि यूपी में ओबीसी का वोट इस बार मोदी के बजाय सपा को गया ।
तो क्या यह केशव प्रसाद मौर्य के इशारे पर हुआ ?
मौर्य यूपी भाजपा के अध्यक्ष रहे हैं , संगठन पर उनका प्रभाव है , हालांकि 2022 में वे खुद अपनी विधानसभा सीट हार गए थे । एक सवाल यह भी कि क्या यूपी में बीजेपी को हरवाने के लिए केशव प्रसाद ने अखिलेश से सांठगांठ की और ओबीसी वोट इंडी गठबंधन को डलवा दिया ? क्या योगी को हटाकर खुद सीएम बनने के लिए भूपेंद्र चौधरी के साथ मिलकर यह खेल मौर्य ने खेला ? क्या योगी को मुख्यधारा से हटाने के लिए अमित शाह ने खुद ही मौर्य को मोहरा बनाया ?
याद आता है केजरीवाल का एक बयान
प्रचार के लिए जमानत पर बाहर आकर उन्होंने भाषण देते हुए कहा था कि चुनाव के बाद यूपी से योगी को हटा दिया जाएगा । तब सभी ने उनका उपहास उड़ाया था । अब लगता है कि बीजेपी में यदि भीतर कुछ पक रहा था तो केजरीवाल को कैसे पता था ? कल शाम मौर्य के साथ नड्डा और अमित शाह ने दो घंटों तक क्या बातचीत की ? क्या अमित शाह में चुनाव के बाद इतनी शक्ति बची है कि वे योगी को हटा सकें ? क्या केशव प्रसाद मौर्य में योगी की नाराजगी के साथ यूपी को संभालने की ताकत है ? लगता तो नहीं था , पर दिखाई कुछ और दे रहा है ।
यूपी के लिए योगी जरूरी हैं
सच कहें तो भाजपा के पास योगी के स्तर का दूसरा नेता नहीं है । उन्हें मोदी के बाद केंद्र में पीएम पद पर लाने की अटकलों में केवल इतना दम है कि योगी युवा संत नेता हैं । अन्यथा राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी अरसे से पीएम मैटीरियल के रूप में भाजपा के पास मौजूद हैं । खैर ! ये बातें अभी दूर की कौड़ी हैं चूंकि मोदी के पास अभी पांच साल सरकार चलाने का जनादेश मौजूद है ।
केशव प्रसाद को दिल्ली क्यों बुलाया गया
पीछे पीछे प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी दिल्ली क्यों आए , इसका खुलासा होने में अभी देर लगेगी । लेकिन एक बात समझ लीजिए । बीजेपी और देश की बहुसंख्यक जनता के लिए जैसे मोदी जरूरी हैं , वैसे ही यूपी के लिए योगी जरूरी हैं । चुनाव में बीजेपी बहुत जल चुकी है । ऐसे में योगी को छेड़ना आग से खेलने के समान है । बीजेपी आलाकमान लोकसभा चुनाव में काफी गंवा चुकी है । केशव प्रसाद मौर्य को ज्यादा हवा देना भाजपा के लिए एक और आत्मघाती कदम साबित हो सकता है ।
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