बसपा इस उपचुनाव में दलित वोटों के बीच अपनी पैठ को एक बार फिर से साबित करे
लखनऊ
लोकसभा चुनाव में जीरो पर आउट हो चुकी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सामने उपचुनाव में अपना कुनबा बढ़ाने की एक बड़ी चुनौती आ गई है। पार्टी को प्रतिदिन घटते जनाधार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बसपा के लिए अपने प्रभाव को बचाने के लिए जरूरी हो गया है कि इस उपचुनाव में दलित वोटों के बीच अपनी पैठ को एक बार फिर से साबित करे। राजनीतिक जानकारों की मानें तो जिन नौ सीटों पर अभी उपचुनाव होने जा रहे हैं, उनमें से एक भी सीट पर बसपा का खाता नहीं खुला था। बसपा ने महज बलिया की रसड़ा सीट पर जीत दर्ज की थी। अब अगर 2022 के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो बसपा आंबेडकर नगर की कटेहरी सीट पर तीसरे नंबर पर आई थी। यहां उनके प्रत्याशी प्रतीक पांडेय को 58,186 वोट मिले। इस सीट पर सपा के लालजी वर्मा ने जीत दर्ज की थी।
मीरापुर विधानसभा में बसपा तीसरे स्थान पर रही थी। उसके उम्मीदवार को 23,733 वोट मिले थे। इस सीट पर रालोद के उम्मीदवार चंदन चौहान ने जीत दर्ज की थी। गाजियाबाद में भी बसपा तीसरे नंबर पर थी। यहां उसके उम्मीदवार को 32,554 वोट मिले थे। यहां पर भाजपा के उम्मीदवार अतुल गर्ग को जीत मिली थी। कुंदरकी विधानसभा में भी बसपा तीसरे स्थान पर रही। उसके उम्मीदवार को 42,645 वोट मिले थे। कानपुर के सीसामऊ सीट पर बसपा चौथे नंबर पर थी। इस सीट से पार्टी के उम्मीदवार को महज 2,891 वोट मिले थे। जबकि यहां से सपा के हाजी इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज की थी।
मैनपुरी की करहल सीट पर बसपा प्रत्याशी 15,643 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर था। यहां से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी। उनके सांसद चुने जाने बाद इस सीट पर चुनाव हो रहा है। इसी तरह मिर्जापुर की मझवां सीट पर भी बहुजन समाज पार्टी तीसरे नंबर पर आई थी। उसके उम्मीदवार को 52,825 वोट मिले थे। यहां से निषाद पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। खैर सीट पर बसपा दूसरे नंबर पर थी। पार्टी के उम्मीदवार को 64,996 वोट मिले थे। इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार अनूप प्रधान ने जीत दर्ज की थी। फूलपुर में 32,869 वोटों के साथ बसपा तीसरे स्थान पर रही थी। यह सीट भाजपा ने जीती थी।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उपचुनाव बसपा के सामने बड़ा मौका लेकर आया है। अकेले दम पर मैदान में उतरकर अपने कुछ सीटों पर उम्मीदवार भी उतारे हैं। उनके जो भी उम्मीदवार हैं वो जातीय समीकरण के सटीक हैं। नौ में से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर बसपा का जनाधार ठीक रहा है।
मझवां सीट पर बसपा कई बार जीत दर्ज कर चुकी है। इसी तरह मीरापुर और कटेहरी सीट बसपा के लिए ज्यादा मुफीद रही है। लेकिन वर्तमान समय में चुनाव दर चुनाव में मिली हार की वजह से उसकी हालत पतली है। बसपा को इस चुनाव में सिद्ध करना होगा। मत प्रतिशत बढ़ाकर जनाधार साबित करना होगा। इस चुनाव के जरिए ही बसपा दलित मतदाताओं का सही आकलन भी कर सकेगी। हालांकि, बसपा पहले उपचुनाव से दूरी बनाती थी। लेकिन इस बार बहुत पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने आगे कहा कि बिना किसी दल के साथ गठबंधन किए ही पार्टी अकेले दम पर मैदान में है। हालांकि, पार्टी के पास लीडरशिप का भी संकट है। इस कारण यह चुनाव उसके लिए बड़ी चुनौती है।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल कहते हैं कि उपचुनाव में हमारी पार्टी अकेले दम पर मैदान में है। हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर बहन जी के हाथों को मजबूत करें। चुनाव को लेकर लगातार नेताओं की छोटी बड़ी जनसभाएं चल रही हैं। हमने कटेहरी से अमित वर्मा मझवां से दीपू तिवारी, फूलपुर में शिव बरन पासी को उम्मीदवार बनाया गया है। बचे हुए नाम एक दो दिन में आ जाएंगे। जहां-जहां चुनाव है वहां चौपाल और जनसभाएं चल रही हैं।
बसपा सुप्रीमो ने कोऑर्डिनेटरों से अपने-अपने क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर कैंप करने का निर्देश दिया है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा मीडिया हमको लड़ाई में नहीं दिखाती है। जबकि हमारी तैयारी सभी दलों से बहुत पहले से है। कार्यकर्ता पूरी दम से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि चंद्रशेखर का मीडिया हौव्वा खड़ा कर रही है। ज्ञात हो कि यूपी में निर्वाचन आयोग द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार 18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर होगी। 28 अक्टूबर को नामांकन की जांच के बाद नाम वापसी की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर होगी। मतदान 13 नवंबर और मतगणना 23 नवंबर को होगी।