10 लाख रुपए तक की खरीदी एमएफपी पार्क के सीईओ कर सकेंगे
CEO of MFP Park will be able to purchase up to Rs 10 lakh
- निजी फर्म से खरीदी पर एमडी ने लगाई सशर्त रोक
भोपाल। लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक बिभाष ठाकुर ने वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र (एमएफपी पार्क) गड़बड़झाला पर नकेल कसने की कवायत तेज कर दी है। अब बिना टेंडर कोई भी निर्माण कार्य अथवा खरीदी नहीं की जाएंगी। इसके लिए ठाकुर ने वित्तीय अधिकारों में संशोधन करते हुए पार्क के सीईओ को ₹5लाख से बढ़कर अब 10 लाख रुपए कर दिए गए हैं।
संघ के प्रबंध संचालक बिभाष ठाकुर ने बताया कि अब एमएफपी पार्क के सीईओ को टुकड़ों-टुकड़ों में कार्य नहीं कराने की सख्त हिदायत दी गई है। अब अगर किसी एक ही कार्य को टुकड़े-टुकड़े में कराए जाएंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि 10 लाख रुपए से अधिक और 20 लाख रुपए तक खरीदी अथवा निर्माण कार्य कराने की अनुमति संघ के प्रबंध संचालक दे सकेंगे. इसी प्रकार 20 लाख रुपए से अधिक तक वित्तीय अनुमतियां संघ के प्रशासक एवं अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया के पास है।
समितियों से खरीदी करने पर जोर
संघ के एमडी ठाकुर ने एमएफपी पार्क के सीईओ अर्चना पटेल को निर्देशित किया है कि अब कोई भी रॉ मटेरियल प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों की एनओसी के बगैर निजी फर्म से नहीं खरीदे जाएंगे। यानि खरीदी में सबसे पहली प्राथमिकता वन उपज सहकारी समितियां को देना होगी। समितियां के इनकार के बाद ही टेंडर के जरिए निजी फर्म से खरीदी हो सकेगी। करीब 1000 वनौपज समितियां रजिस्टर्ड है। संघ ने एक पुस्तक तैयार की है जिसमें उल्लेख है कि कौन-कौन सी वनोपज कितनी मात्रा में एकत्रित की जाती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में खासतौर से महुआ और बहेड़ा की खरीदी वनोपज सहकारी समितियों से ही की जाएगी। खरीदी के पहले ही उत्पादन प्रबंधन की अध्यक्षता वाली कमेटी एक सूची तैयार करेगी कि किन-किन औषधीय के लिए कौन-कौन से रॉ मैटेरियल कितनी मात्रा में खरीदी जाना है। इनमें से कौन-कौन से रॉ मैटेरियल किन-किन वनोपज समितियों में उपलब्ध है।