नायब तहसीलदार ने मांगी 50 लाख की रिश्वत, कलेक्टर ने की सख्त कार्रवाई

Naib Tehsildar demanded a bribe of 50 lakhs, Collector took strict action
इंदौर | मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में जमीन के फौती नामांतरण के बदले 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगे जाने का बड़ा मामला सामने आया है। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने तत्काल प्रभाव से संबंधित पटवारी को निलंबित कर दिया है और नायब तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी पर विभागीय जांच बैठा दी गई है।
क्या है पूरा मामला?
मल्हारगंज तहसील के जाख्या क्षेत्र में स्थित 31 हजार वर्गफुट जमीन का फौती नामांतरण करवाने के लिए वैभव, पिता अशोक, ने वकील राहुल दवे के माध्यम से आवेदन दिया था। आरोप है कि पटवारी ओम त्रिपुरेश मिश्रा ने पहले वकील से, फिर सीधे वैभव से संपर्क कर 50 लाख रुपये की मांग की। यह रकम नायब तहसीलदार के लिए बताई गई थी और आश्वासन दिया गया था कि रकम मिलते ही नामांतरण दो दिन में हो जाएगा।
जब वैभव ने रिश्वत देने से इनकार किया और पूरे घटनाक्रम की जानकारी वकील को दी, तब वकील ने कलेक्टर से सीधे संपर्क कर सभी साक्ष्यों सहित पूरी बात बताई।
कलेक्टर का त्वरित एक्शन
कलेक्टर आशीष सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत पटवारी को निलंबित कर दिया और एसडीएम निधि वर्मा को मामले की जांच सौंपी। साथ ही, नायब तहसीलदार त्रिपाठी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
बढ़ता भ्रष्टाचार और जमीनों की आसमान छूती कीमतें
इंदौर में जमीन की बढ़ती कीमतों के साथ नामांतरण, बटांकन और सीमांकन जैसे मामलों में भ्रष्टाचार भी तेजी से बढ़ा है। आम नागरिकों को बिना लेन-देन के वैध कार्यों में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
शिकायतों का भंडार, संवाद केंद्र से खुल रही पोल
कलेक्टर द्वारा शुरू किए गए संवाद केंद्र पर लगातार शिकायतें मिल रही हैं, जिनमें कई पटवारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की पुष्टि हो चुकी है। इस केंद्र से आवेदकों से सीधे संपर्क कर यह जाना जा रहा है कि उनसे रिश्वत तो नहीं मांगी गई।
अंतिम निर्णय रिपोर्ट के बाद
एसडीएम निधि वर्मा की जांच रिपोर्ट के बाद दोषियों के खिलाफ अंतिम कार्रवाई तय की जाएगी। कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि “नामांतरण भी होगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
इस खबर से जुड़ी हर अपडेट के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े रहें।