सेंगर, गौरव, गर्ग और अनुराग सहित आधा दर्जन से आईएफएस अफसरों को बचाने की कवायद तेज
Efforts to save more than half a dozen IFS officers including
Efforts to save more than half a dozen IFS officers including Sengar, Gaurav, Garg and Anurag have intensified
- लोकायुक्त की फटकार के बाद भी असलियत छुपाने में जुटा है विभाग
उदित नारायण
भोपाल । जंगल महकमे में आधा दर्जन से अधिक आईएफएस अफसरों के खिलाफ आरोप पत्र मंत्रालय एवं मुख्यालय के बीच झूल रहे हैं. दिलचस्प पहलू यह है कि लोकायुक्त की फटकार के बाद भी मुख्यालय के अफसर दागी अफसरों की असलियत छुपाने में जुटे हैं. हर पेशी में तरह-तरह की दलीले दी जा रही हैं पर विभाग के शीर्षस्थ अधिकारी दागी अफसरों पर कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं.
एपीएस सेंगर
वन संरक्षक एपीएस सेंगर बालाघाट सर्किल का वर्किंग प्लान बना रहे हैं और पिछले माह सर्किल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है. इनके खिलाफ 24 अगस्त 22 को राज्य शासन ने आरोप पत्र बनाकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुख्यालय सतपुड़ा को भेज दिया था. आज दिनांक तक आरोप पत्र जारी नहीं किया जा सका. अब उन्हें सर्किल में पूर्णकालिक रूप से पदस्थ करने की फाइल मूव हो रही है. सिंगर पर आरोप है कि टीकमगढ़ डीएफओ के पद पर रहते हुए भंडार क्रय नियमों की अनदेखी करते हुए ओरछा और टीकमगढ़ रेंज में टुकड़े-टुकड़े में सामग्री खरीदी की. दूसरा आरोप यह है कि इंदौर के एक ही व्यक्ति के दो अलग-अलग फर्म अमन इंटरप्राइजेज इंदौर और सोनल उद्योग इंदौर से जैन के जरिए चैन लिंक फेंसिंग की खरीदी की. जिस स्पेसिफिकेशन के आदेश जारी किए गए थे, इंदौर के दोनों ही संस्थाएं उस स्पेसिफिकेशन के चैन लिंक फेंसिंग का निर्माण नहीं करती है. सिंगर ने व्यापारियों को अवैधानिक रूप से उपकृत किया है. राज्य शासन ने उनके इस कृत्य को अखिल भारतीय सेवाएं ( अनुशासन एवं अपील ) नियम 1969 के नियम 8 के प्रधान अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है. सेंगर के खिलाफ कार्रवाई छोड़ अब प्राइम पोस्टिंग की तैयारी चल रही है.
गौरव चौधरी
2010 बैच के आईएफएस अधिकारी गौरव चौधरी पर विभाग खासा मेहरबान है. इनके खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू दोनों ही जांच एजेंसियों में जांच प्रचलित है. सीधी भर्ती के आईएफएस होने की बदौलत ही शीर्षस्थ अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं. लोकायुक्त संगठन ने वर्तमान में शहडोल में पदस्थ डीएफओ गौरव चौधरी के खिलाफ एक्शन लेने के आदेश दिए हैं. गौरव चौधरी जब डीएफओ सीधी के पद पर पदस्थ थे तब उनके खिलाफ ई-भुगतान, प्रमाणकों और बैंकर्स चेक में हेराफेरी कर आर्थिक अनियमितता करने के आरोप हैं. इसके अलावा सतना के एक एनजीओ को चेक से गलत भुगतान का मामला भी शामिल है. वर्ष 2019 से मामले की जांच लोकायुक्त संगठन कर रहा है. विभाग के द्वारा हर बार गौरव चौधरी के बचाने के लिए गोलमाल जवाब दिए जा रहे हैं. दिलचस्प पहलू यह है कि पिछले दिनों गौरव चौधरी मुख्यालय आए और शिकायत एवं सतर्कता शाखा के कर्मचारियों की जमकर क्लास ली कि उनके गड़बड़ियों से संबंधित दस्तावेज बाहर कैसे आ रहे हैं?
नवीन गर्ग
2015 बैच के आईएफ एस अधिकारी नवीन गर्ग वर्तमान में दक्षिण सागर में पदस्थ है. इसके पहले 13 सितंबर 19 से 9 फरवरी 2020 तक दक्षिण मंडल सागर के अतिरिक्त प्रभार में डीएफओ की ऐसे पदस्थ रहे. 9 सितंबर 20 को उन्हें दक्षिण सागर वन मंडल का पूर्णकालिक रूप से पदस्थ किया गया. गर्ग जब अतिरिक्त प्रभार में थे तब बीना बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना में कराए गए वृक्षारोपण में गड़बड़ी पाई गई. इसकी जांच वर्तमान पीसीसीएफ उत्पादन असीम श्रीवास्तव को सौंपी गई थी. असीम श्रीवास्तव ने अपनी जांच में वृक्षारोपण में 60717 पौधे कम पाए गए. इसके अलावा 16.13 हेक्टेयर क्षेत्र का घेराव कम पाया गया. डीएफओ गर्ग सहित कई कर्मचारियों को गड़बड़ी में दोषी पाया और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा भी की. राज्य शासन ने अखिल भारतीय सेवाएं (आचरण) नियम 1968 के प्रावधानों के नियम 3 मैं निहित प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है.
अजय यादव
जानकारी के अनुसार रीवा सर्किल में हुए बहुचर्चित आर्थिक अनियमितताओं को लेकर लोकायुक्त संगठन में एक दशक से सुनवाई चल रही है. इस बीच कुछ आईएफएस अफसर बड़े पदों पर प्रमोट होते हुए रिटायर्ड भी हो गए पर कोई उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं की गई. इसी मामले में लोकायुक्त संगठन ने अब अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अजय यादव के खिलाफ सख्त रवैया अपना लिया है पिछले दिनों हुई सुनवाई के दौरान लोकायुक्त संगठन में कार्रवाई करने की हिदायत दी है.
अनुराग कुमार
वल्लभ भवन में ओएसडी फॉरेस्ट के पद पर पदस्थ तत्कालीन छतरपुर डीएफओ के खिलाफ लोकायुक्त में मामला दर्ज है।
लोकायुक्त संगठन ने जांच की जिम्मेदारी एसपी सागर लोकायुक्त को दी गई है। लोकायुक्त संगठन ने वन विभाग को पत्र लिखकर खरीदी से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने के बार-बार निर्देश दिए जा रहे है किन्तु विभाग दस्तावेज उपलब्ध कराने में टालमटोल कर रहा है। मामला तब का है जब वे टीकमगढ़ के प्रभारी डीएफओ हुआ करते थे। चैन लिंक और वायरवेड की खरीदी में प्रमाणकों पर एसडीओ के हस्ताक्षर बिना डीएफओ अनुराग कुमार ने भुगतान कर दिया था। जब कुमार के खिलाफ गड़बड़ियों को लेकर शिकंजा कसा गया तब शासन में बैठे होने का नाजायज फायदा उठाते हुए कुमार वीडियो को छतरपुर पर दबाव बनाकर लीपा पोती करने में लगे हैं। इस पूरे प्रकरण में कुमार हर तरह से घिरे नजर आ रहे हैं और उनके खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत भी हो गई। कुमार ने न केवल नियमों को ताक पर रख कर अपने चेहती फर्म को भुगतान कर दिया बल्कि जीएसटी की चोरी भी की। विभाग ने उनके खिलाफ जांच वन संरक्षण अजय पांडे को दिया है। जांच अधिकारी द्वारा छतरपुर डीएफओ को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद गड़बड़ियों से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
वन विभाग में दोहरा मापदंड
जंगल महकमे में कार्रवाई करने की एकरूपता नहीं है. शीर्षस्थ अधिकारी कार्य विभाजन के नाम पर तबादले का खेल करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में दोहरा मापदंड अपना रहे हैं. मसलन, कार्य आवंटन के नाम पर तबादला करने पर ही 4 महीने पहले इसी आधार पर हरदा डीएफओ नरेश दोहर को निलंबित कर दिया गया था.