घुवारा विद्युत वितरण केंद्र की मनमानी के चलते ग्रामीण हो रहे परेशान बिजली
Electricity department’s arbitrariness people suffering from heat
- सूर्य कि गर्मी के साथ – साथ घुवारा विधुत वितरण केंद्र ग्रामीणो कि बड़ा रहा परेशानी
- बिजली रहने के बाद भी मोटर नहीं चल पाता है। पंखा भी गर्मी से राहत दे पाने में असमर्थ है। उपभोक्ताओं को मोबाइल तक चार्ज करने में दिक्कत हो रही है।
छतरपुर। उपमंडल के लोगों को इन दिनों अघोषित बिजली कटौती और कम वोल्टेज की समस्या से जूझना पड़ रहा है घुवारा क्षेत्र के रामटौरिया ग्राम में कम वोल्टेज के चलते ग्रामीण परेशानी का सामना कर रहे हैं। आए दिन लगातार अघोषित बिजली कटौती और कम वोल्टेज की समस्या ने लोगों को परेशान करके रखा है।
ग्रामीणों का कहना है कि बिजली के वोल्टेज 100 के नीचे रहते हैं, जिससे गर्मियों के दिनों में सबसे अधिक परेशानी बुजुर्गों और छोटे बच्चों को उठानी पड़ रही है। इन सभी लोगों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द इलाके में बिजली की समस्या का समाधान किया जाए, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिल सके।
लोगों ने क्या कहा
रामटौरिया ग्राम पंचायत के रहवासी कमलेश, कन्हैया,कन्छेदी, गूपला , राहुल , मुकेश, बालचन्द, बलबोदी सहित मोहल्लेवासियों ने बताया कि ग्राम रामटौरिया में पिछले एक माह से वोल्टेज की भारी समस्या से जूझना पड़ रहा हैं। एवं 8 से 10 घंटे बिजली कि कटौती कि जा रही है। एक ओर जहां भारी गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है। वहीं दूसरी ओर लो वोल्टेज के कारण कूलर पंखे शो पीस मात्र बनकर रह गए हैं।
घर में लगे पंखे, कूलर, फ्रिज सहित अन्य बिजली के उपकरण काम करना बंद कर देते हैं। इससे ग्रामवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामवासियों का कहना है कि लो-वोल्टेज की समस्या निराकरण के लिए कई बार विद्युत विभाग से कहा गया, पर अभी तक समस्या का निदान नहीं हो सका। भीषण गर्मी में पारा 43 डिग्री से पार हो गया है। गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली आपूर्ति भी चरमरा गई है। इन दिनों लचर बिजली आपूर्ति ने उपभोक्ताओं की परेशानी गई है। तेज धूप व उमसभरी गर्मी में बिजली की आंख-मिचौनी से लोग व्याकुल हैं। दोपहर में बिजली की आपूर्ति बंद रहती है। वहीं रात में भी बिजली आपूर्ति सही ढंग से नहीं रह रही है। निर्बाध रूप से बिजली नहीं रहने से इन्वर्टर भी सही से काम नहीं कर रहा, जिससे और समस्या बढ़ी गई है। लोगों को पानी की समस्या भी झेलनी पड़ रही है।