छतरपुर में वन-राजस्व सीमा विवाद की आड़ में हो रही है वन भूमि पर खेती-बाड़ी
- फारेस्ट के अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
Farming is being done on forest land in Chhatarpur under the cover of forest revenue border dispute.
छतरपुर। छतरपुर वन मंडल में वन-राजस्व सीमा विवाद की आड़ में वन भूमि पर खेती-बाड़ी का कारोबार बढ़ रहा है। गंभीरजनक यह है कि खेती करने की जानकारी फील्ड के कर्मचारियों ने डीएफओ और सीएफ को दी पर वे कार्रवाई करने की बजाय उन्हें तब तक खेती वन व्यवस्थापन की कार्यवाही पूर्ण नहीं हो जाती है।
छतरपुर वनमंडल के गहरवार वनखंड स्थित ग्राम पिपौराखुर्द के शिम्भु रजक, ब्रजलाल रजक, घनश्याम रजक और रामबाई वन भूमि की 1. 70 हेक्टेयर में खेती कर रहें है। इस मामले में एसडीओ राजस्व को पत्र क्रमांक / मा.चि./2023/2743 दिनांक 1सितम्बर 2023 के तारतम्य में सीएफ छतरपुर कार्यालय ने लेख किया है कि भूमि खसरा नं0 740, 741, 757, 758 एवं 759 एकत्र रकबा 2 हेक्टेयर ग्राम पिपौराखुर्द वनखण्ड गहरवार के अंदर स्थित है। वन व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा वन व्यवस्थापन की प्रक्रिया के दौरान कुछ खसरों को निजी भूमि माना जाकर वन सीमा से बाहर करने के आदेश प्रसारित किये गये है। जब तक वन व्यवस्थापन अधिकारी अथवा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा कार्यवाही पूर्ण नहीं की जाती तब तक तत्कालीन वन व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा जारी आदेशों के अनुसार शिम्भु रजक, बृजलाल रजक, घनश्याम रजक और रामबाई रजक की भूमि भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-4 (1) के अंतर्गत संरक्षित वन में शामिल निजी स्वामित्व की है। अतः तत्कालीन वन व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा जारी आदेश में उल्लेखित व्यक्तियों की बाहर की गई भूमियों को वन सीमा से बाहर मानते हुए खसरा नं0 741, 757, 758 एवं 759 कुल रकबा 1.70 हेक्टेयर में वन व्यवस्थापन होने तक कृषि कार्य की अनुमति सीएफ के हस्ताक्षर से जारी आदेश में दी गई है।
डीएफओ की भूमिका की संदेहास्पद
वन भूमि पर खेती-बाड़ी के कारोबार में डीएफओ की भूमिका भी संदेहास्पद है। छतरपुर सीएफ कार्यालय में प्रस्तुत दस्तावेजों और अभिलेखों के परीक्षणोपरांत पर सीएफ के द्वारा डीएफओ को बार-बार लेख करने के उपरांत भी प्रकरण का निराकरण नहीं किया जा रहा है। यही नहीं, डीएफओ कार्यालय द्वारा चाहे गये मानचित्र एवं 1974 में निर्वनीकृत वन भूमि के मानचित्र प्रदाय न किये जाने की स्थिति में सीएफ छतरपुर ने आवेदकों 1.70 हे. में कृषि कार्य की अनुमति प्रदान कर दी है । जारी आदेश में यह कहा गया है कि यह अनुमति वन व्यवस्थापन की कार्यवाही पूर्ण होने तक प्रभावी होगी।
अदालत के फैसले के भरोसे हैं अफसर
वन विभाग की छतरपुर रेंज कार्यालय के पास हो हमा बीट के कक्ष क्रमांक पी-619 वन्य प्राणी विचरण क्षेत्र है। इसी जंगल से सागर-कानपुर हाईवे निकला है। यहां वन विभाग विभाग की करीब 20 एकड़ जमीन पर इम्तियाज अली द्वारा अतिक्रमण किया गया है। इस अतिक्रमण के खिलाफ वन विभाग ने जुलाई 2023 में पीओआर क्रमांक 526 दर्ज किया गया है। साथ ही वन विभाग भोपाल के द्वारा की गई जांच में भी अतिक्रमण पाया गया था। सीसीएफ उड़नदस्ता भी जांच कर चुका है, लेकिन वन विभाग के अधिकारी अतिक्रमण नहीं हटा रहे हैं। वन विभाग ने अतिक्रमणकारी इम्तियाज अली के खिलाफ अदालत में चालान प्रस्तुत कर दिया है और अब हुए इंतजार कर रहे हैं की अदालत फैसला करेगा कि काबिज भूमि वन भूमि है अथवा नहीं। चर्चा है कि पूर्व में छतरपुर में डीएफओ रहे आईएफएस अधिकारी से इम्तियाज अली से अच्छे संबंध रहे हैं और उन्हीं के कार्यकाल में उसने वन भूमि पर कब्जा कर खेती कर रहा था।
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