जंगलों में अतिक्रमण रोकने पर वन माफिया का कहर, वन अमले पर जानलेवा हमला फिर भी पुलिस ने नहीं किया मामला दर्ज
Forest mafia wreaked havoc on forest encroachment, deadly attack on forest staff but police did not register a case
मध्य प्रदेश में जंगलों में अतिक्रमण करने वाले वन माफिया के हौसले अब इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले वन अमले पर भी हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र से वन अमले पर इसी तरह से कई प्राण घातक हमले करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
ताजा मामला निमाड़ के ही खंडवा जिले के गुड़ी वन परीक्षेत्र का है, जहां जंगल में किये जा रहे अतिक्रमण की जानकारी मिलते ही वन अमला हरकत में आया और उसे रोकने पहुंचा था। इस दौरान जंगल की जमीन पर जुताई कर रहा एक ट्रैक्टर चालक वन अमले को देख, उसका कल्टीवेटर जंगल में ही छोड़कर फरार हो गया।
वहीं जब वन अमला उस कल्टीवेटर को जब्त कर वापस लौट रहा था। इस बीच करीब 30 से 35 महिलाओं के झुंड ने वन अमले पर लाठी, पत्थरों और डंडों से हमला कर दिया और उन्हें वहां से भाग जानें, नहीं तो जान से मार देने की धमकियां देने लगा। यही नहीं, कुछ महिलाओं ने तो वन अमले के साथ झूमा झटकी कर वन कर्मचारियों की वर्दी तक फाड़ दी। हालांकि इसकी नामजद शिकायत पिपलोद थाना में शुक्रवार को करने के बावजूद भी पुलिस ने इसपर कोई एक्शन नहीं लिया।
निमाड़ के जंगलों में लगातार अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है और यहां की बेशकीमती वन संपदा का अतिक्रमणकारी जमकर दोहन कर प्रकृति के साथ ही शासन को आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रहे हैं। इन वन माफियाओं के खिलाफ पुलिस की पुख्ता कार्रवाई नहीं होने के चलते अब इस तरह की घटनाओं में लगातार इजाफा होते जा रहा है।
ऐसा ही मामला गुडी वन परिक्षेत्र में बीते गुरुवार को सामने आया, जब सभी दीपावली पर्व की खुशियां मना रहे थे, तब जिले के गुड़ी रेंज के रेंजर नरेंद्र सिंह और उनकी टीम सूचना मिलने पर अतिक्रमण रोकने बीट भिलाईखेड़ा के कक्ष क्रमांक 749 में नवाड की भूमि पर पहुंची थी। यहां टीम को देख मौके से जुताई कर रहा ट्रैक्टर चालक उसका कल्टीवेटर निकालकर भाग गया। टीम ने मौके से कल्टीवेटर को जब्त कर इस मामले में वन अपराध का प्रकरण दर्ज किया।
वन अमले पर इस तरह हुआ हमला
बताया गया कि जब्ती कार्रवाई के बाद जब वन अमला दो दलों में वापस लौट रहा था। इस बीच दोपहर करीब 2 बजे सरपंच टांडे की लगभग 30-35 महिलाओं ने पीछे रह गए वन स्टॉफ के परिक्षेत्र सहायक सरमेश्वर के शांतिलाल चौहान, परिक्षेत्र सहायक कोठा के पंजावराव पंडाग्रे, परिक्षेत्र सहायक आराखेडा के कैलाश लोवंशी सहित वन रक्षकों जितेन्द्र पगारे, मनोज तंवर और भरत भूषण मिश्र एवं सुरक्षा श्रमिक गनिया को घेर लिया।
यही नहीं, इन महिलाओं के झुंड ने इस वन अमले के साथ मारपीट की एवं धमकी देते हुए कहने लगी कि यहां से भाग जाओ नहीं तो जान से मार देंगे। इस दौरान महिलाओं के हाथों में दराती, पत्थर एवं लाठी डंडे भी थे। महिलाओं ने वन स्टाफ को डंडे से पीटा और वर्दी तक फाड़ दी। इस हमले में जितेन्द्र पगारे वन रक्षक की पीठ पर डंडे से पिटाई के निशान थे, तो वहीं मनोज तंवर के गले मे नाखून के निशान थे, जिसके फोटोग्राफ भी लिए गये।
वन अमले ने की थी नामजद शिकायत
वहीं इस पूरे मामले में गुड़ी रेंजर नरेंद्र पटेल ने बताया कि अतिक्रमणकारियों को रोकने पहुंचे वन अमले के साथ 31 अक्तूबर को हुई इस घटना की जानकारी एक शिकायत पत्र के जरिए उसी दिन संबंधित पिपलोद थाना पर दी गई थी। इसके बाद अगले दिन वन अमला एक बार फिर से हमला करने वाली महिलाओं की पहचान करने उस जगह पहुंचा था, जहां से कुछ महिलाओं के नाम मालूम चलने पर 1 तारीख को थाने पर उन महिलाओं के नाम बताते हुए इसकी लिखित शिकायत की गई थी। साथ ही पीड़ित स्टाफ के चोट के निशान एवं फटी वर्दी भी थाना प्रभारी पिपलोद को दिखाई गयी थी।
जांच के बाद ही हो सकेगा मामला दर्ज
इधर पिपलोद थाना प्रभारी एसएन पांडे का कहना है कि वन अमले के साथ महिलाओं के द्वारा मारपीट करने और वर्दी फाड़ने जैसी शिकायत को लेकर उन्हें आवेदन तो मिला है, जोकि अभी जांच में है। इसलिए अब तक इस मामले में किसी तरह की एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
हालांकि जब उनसे पूछा गया कि शासकीय कर्मचारियों के साथ हुई मारपीट को लेकर तीन दिन बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं करने का क्या कारण रहा? तब उन्होंने बताया कि अभी जांच जारी है, जिसके बाद ही मामला दर्ज हो पाएगा। वहीं इसको लेकर खंडवा डीएसपी अनिल चौहान ने बताया कि जानकारी मिली है कि फॉरेस्ट टीम पर हमला करने को लेकर शिकायत की गई है। इस मामले में पिपलोद थाने के द्वारा जांच की जा रही है।
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