February 3, 2025

ताल दरबार, कत्थक कुंभ, उज्जैन डमरू वादन, गीता पाठ और शास्त्रीय बैंड के बने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

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पांच गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड ने प्रदेश की संस्कृति और कला को दिलाई वैश्विक पहचान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मध्यप्रदेश की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का रचा जा रहा नया इतिहास : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

ताल दरबार, कत्थक कुंभ, उज्जैन डमरू वादन, गीता पाठ और शास्त्रीय बैंड के बने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश सांस्कृतिक अभ्युदय के नए युग में प्रवेश कर रहा है। आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के द्वारा स्थानीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का नया इतिहास रचा जा रहा है। सांस्कृतिक संवहन के क्रम में प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय खजुराहो नृत्य समारोह का स्वर्ण जयंती वर्ष और तानसेन समारोह का शताब्दी वर्ष का गौरवशाली आयोजन किया गया। हमारे देश में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परम्परा के गौरव को अक्षुण्ण बनाए रखने की परम्परा निरंतर विद्यमान रही है। सांस्कृतिक आयोजनों और धरोहरों को आज की पीढ़ी से जोड़ते हुए ताल दरबार, कथक कुंभ, उज्जैन डमरू वादन, गीता पाठ और शास्त्रीय बैंड में बने पांच गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड ने प्रदेश की संस्कृति और कला को वैश्विक पहचान दिलाई है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर में तानसेन समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन पर ग्वालियर किले की प्राचीर पर 'ताल दरबार' में 1282 तबला साधकों ने मध्यप्रदेश के शास्त्रीय संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई है। यूनेस्को द्वारा चयनित संगीत नगरी में राष्ट्रीयता का उद्घोष करते हुए कला साधकों ने प्रदेश के इतिहास, संस्कृति और संगीत की त्रिमूर्ति को 25 दिसंबर 2023 को पहली बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहों के कंदरिया महादेव मंदिर के विशाल प्रांगण में अन्तर्राष्ट्रीय खजुराहो नृत्य समारोह के दौरान 'राग बसंत' की लय पर 20 फरवरी 2024 को 1484 कथक नृत्य साधकों के थिरकते कदमों ने दूसरा गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड रच दिया। कथक कुंभ में हाथों में दीपक लेकर जब लय और ताल के साथ घुंघरू साधकों के कदम मिले तब भारतीय संस्कृति और परंपरा एक साथ मुस्कुरा उठीं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि पवित्र श्रावण मास में उज्जैन में भगवान श्रीमहाकालेश्वर चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी में, हाथी पर मनमहेश के रूप में और गरूड़ रथ पर शिव-तांडव स्वरूप में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले। उनका स्वागत करते हुए 5 अगस्त 2024 को महाकाल लोक के शक्तिपथ पर 1500 से अधिक डमरू वादकों ने एक साथ एक समय-समय में लयबद्ध डमरू वादन कर तीसरा विश्व कीर्तिमान रचा। यह सिर्फ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड नहीं था बल्कि बाबा महाकाल की नगरी से देश के आध्यात्मिक पुनरुत्थान का शंखनाद था।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म से लेकर मृत्यु तक अपनी लीलाओं और आदर्शों के माध्यम से समूचे समाज को प्रेरणा दी है। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और पवित्र धर्मग्रंथ "गीता" की कर्म पथ, भक्ति मार्ग और शांति का संदेश से जन जन को आलोकित करते हुए 1721 आचार्य और बटुकों ने इतिहास रच दिया। 11 दिसंबर 2024 को गीता जयंती के अवसर पर श्रीमद्भगवद गीता के तीसरे ध्याय कर्मयोग का सस्वर पाठ कर चौथा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का पावन कार्य किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में विद्यमान संगीत की लंबी प्राचीन विरासत की परंपरा को जीवंत रखते हुए तानसेन संगीत समारोह का गौरवशाली शताब्दी समारोह मनाया गया। स्वर सम्राट तानसेन को स्वराजंलि अर्पित करते हुए एक बार फिर ऐतिहासिक ग्वालियर किले के प्राचीर से शास्त्रीय बैंड के 546 कला साधकों ने 9 शास्त्रीय वाद्यों क्रमश: वायलेन, हारमोनियम, सारंगी, बांसुरी, सरोद, संतूर, शहनाई, पखावज, तबले पर समवेत प्रस्तुति कर पांचवॉ विश्व कीर्तिमान रच दिया। भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुर, लय और ताल को विश्व पटल पर अंकित करने का यह अनूठा संगीतमय प्रयास रहा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि यह विश्व रिकॉर्ड प्रदेश की उपलब्धियों का साधन मात्र नहीं है, अपितु भारत की सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक स्थापना का पुण्य प्रवाह है। प्रधानमंत्री मोदी के आध्यात्मिक-सांस्कृतिक अभ्युदय के संकल्प सि‌द्धि की दिशा में हमारी मध्यप्रदेश सरकार भी ठोस कदमों से आगे बढ़ रही है। मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासतों की ओर दुनिया भर से खिंचे चले आते संस्कृति और कला प्रेमी मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक अभ्युदय के अंतर्राष्ट्रीय संवाहक बन रहे हैं। निश्चित है आने वाले समय में मध्यप्रदेश न सिर्फ देश का सांस्कृतिक केंद्र बनेगा बल्कि सारथी बन देश को सांस्कृतिक अभ्युदय के नए युग में प्रवेश कराएगा।

 

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