हाईकोर्ट ने दिये जांच के आदेश ,स्कूल को कैसे मिल गई छात्रा के जन्म से पहले की फोटो
High Court orders investigation, how did the school get the photo of the student before her birth?
जितेन्द्र श्रीवास्तव विशेष संवाददाता
जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एक प्रकरण एमसीआरसी संख्या 52670/2024 की सुनवाई के दौरान अलग-अलग स्कूलों में अभियोक्ता की अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज होने का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। पुलिस थाना मऊगंज की उपनिरीक्षक सुश्री प्रज्ञा पटेल ने कोर्ट को बताया कि अभियोक्ता ने कभी भी कक्षा-1 में प्रवेश ही नहीं लिया था। शासकीय अधिवक्ता मानस मणि वर्मा ने कहा कि यह दस्तावेज केस डायरी में उपलब्ध है। वहीं, लोक अभियोजक नितिन कुमार गुप्ता ने कहा कि 12 जुलाई 2011 का दस्तावेज अर्थात् प्रवेश फार्म 07 जनवरी 2025 को केस की सुनवाई के समय केस डायरी में उपलब्ध नहीं था। यह गंभीर मामला है कि बिना कोई औचित्य दिए तथा वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लिए बिना केस डायरी में दस्तावेज कैसे जोड़े जा सकते हैं। आवेदक के अधिवक्ता शिव कुमार कश्यप ने कोर्ट को बताया कि सरस्वती ज्ञान मंदिर मऊगंज, जिला रीवा (तत्कालीन) से वर्ष 2016-17 की जो अंकतालिका प्रस्तुत की गई है, उसमें अभियोक्ता की जन्म तिथि 03 मई 2004 लिखी हुई है। जबकि अंकतालिका में अभियोक्ता की जो फोटो लगी है उस पर 10 जुलाई 2003 की तिथि अंकित है। इस पर जस्टिस विवेक अग्रवाल ने आदेशित किया है कि पुलिस अधीक्षक मऊगंज इस संबंध में जांच करेंगे कि विद्यालय को अभियोक्ता का दिनांक 10 जुलाई 2003 का फोटोग्राफ कैसे प्राप्त हुआ, जबकि उसका जन्म वर्ष 2004 में हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि, इस आदेश की प्रतिलिपि जिला शिक्षा अधिकारी रीवा को भी भेजी जाए ताकि सरस्वती ज्ञान मंदिर मऊगंज को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करते हुए उक्त विद्यालय के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जा सके। इस बीच उपनिरीक्षक प्रज्ञा पटेल ने आदर्श शिशु विद्यालय हाई स्कूल, मऊगंज के मूल अभिलेख को जब्त कर न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी को तय की गई है।