Indore News: High Court said that sterilization of dogs is a big scam, people are afraid to even go out on the road.
इंदौर हाई कोर्ट ने शहर में बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या पर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया है। कोर्ट ने निगम द्वारा पेश किए गए नसबंदी के आंकड़ों को संदिग्ध बताते हुए इसे एक बड़ा घोटाला करार दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कागजी दावों और जमीनी हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर है।
नसबंदी अभियान पर न्यायिक जांच की चेतावनी
सुनवाई के दौरान प्रशासनिक जज विजयकुमार शुक्ला और जस्टिस बीके द्विवेदी की बेंच ने निगम के दावों पर सवाल उठाए। जब निगम ने कहा कि वे 2.39 लाख कुत्तों की नसबंदी कर चुके हैं, तो कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सड़कों पर बढ़ती कुत्तों की संख्या कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो अब तक हुए स्टरलाइजेशन अभियान की न्यायिक जांच कराई जाएगी।
बच्चों के सामाजिक विकास पर बुरा असर
माननीय न्यायाधीशों ने इस बात पर चिंता जताई कि कॉलोनियों में कुत्तों के डर से बच्चों का घर से बाहर निकलना बंद हो गया है। इससे उनका सामाजिक विकास प्रभावित हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि एक कुत्ते की नसबंदी पर दो हजार रुपए खर्च करना और फिर भी समस्या का जस का तस बने रहना एक गंभीर विषय है। कोर्ट के अनुसार, इंदौर अब आवारा कुत्तों का हब बनता जा रहा है।
सड़कों पर पैदल चलना और वाहन चलाना हुआ दूभर
कोर्ट ने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि रात के समय सड़कों पर निकलना खतरनाक हो गया है। कुत्तों के झुंड राहगीरों और दोपहिया वाहन चालकों पर हमला कर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। निगम के इस तर्क पर कि वे सूचना मिलने पर कार्रवाई करते हैं, कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि 25 नवंबर के निर्देशों के बावजूद शहर में कोई प्रभावी अभियान नजर नहीं आया है।
अगली सुनवाई 12 जनवरी को
हाई कोर्ट ने अब इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर को न्यायमित्र नियुक्त किया है। कोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया है कि अगली सुनवाई से पहले शहर के प्रमुख स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाने की प्रभावी कार्रवाई की जाए। मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को निर्धारित की गई है।