International Tiger Day 2024 : कहा ‘टाइगर है जंगल का असली राजा, मध्य प्रदेश के बाघों ने नया रिकॉर्ड बनाया’ सीएम डॉ. मोहन यादव
International Tiger Day 2024: Said ‘Tiger is the real king of the jungle, tigers of Madhya Pradesh made a new record’ CM Dr. Mohan Yadav
International Tiger Day 2024 : अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि असल मायने में बाघ जंगल का राजा होता है और मध्य प्रदेश इस मामले में ख़ुशक़िस्मत है कि यहाँ दुनियाभर के बाघों का एक बड़ा हिस्सा पाया जाता है। भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत,राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर, राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार सहित अनेक गणमान्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बाघों पर आधारित प्रदर्शनी का शुभारंभ कर अवलोकन भी किया। उन्होंने वन विभाग के तीन प्रकाशनों “विलेज रीलोकेशन: सतपुड़ा मॉडल”, “पेंच टाइगर: बिहेवियर एंड एक्टिविटीज” और “कान्हा की कहानियां” का विमोचन भी किया। सीएम ने विश्व बाघ दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि ‘हम सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश ‘टाइगर स्टेट’ अर्थात भारत के अधिकांश बाघों का घर है। मध्यप्रदेश ने अपनी इस उपलब्धि से इको टूरिज्म की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। इसलिए हमारी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है कि बाघों के संरक्षण को बढ़ावा दें, उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करें तथा पर्यावरण संतुलन की दिशा में सदैव कार्य करते रहें।’
‘भोपाल में रात में बाघ निकलते हैं विचरण पर’
सीएम ने कहा कि ‘बाघ नाम लेते ही रोमांच और आनंद आ जाता है। हम और सौभाग्यशाली हैं। कई राजधानियाँ हैं लेकिन भोपाल की कैपिटल सबपर भारी पड़ रही। यहाँ दिन में मनुष्य घूमते हैं, रात में बाघ घूमते हैं..कोई राजधानी ऐसी नहीं है जहां बाघों का ऐसा विचरण होता है। हम लोग अपनी अपनी टेरीटरी में अपना अपना आनंद लेते हैं। परमात्मा की कृपा है कि हमें बदलतो दौर में ये अनुभव भी हो रहा है। ये सुखद संयोग है और अच्छी बात भी है। हमारे यहाँ 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की स्थापना हुई थी।’ उन्होंने कहा कि बाघ के पक्ष में बहुत सारी बात है। हम इनकी संख्या में भी विशिष्ट है। टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में भारत के कुल बाघों के 20 प्रतिशत से अधिक बाघ हमारे यहाँ पाए जाते हैं। बाघ गणना 2022 के अनुसार मध्यप्रदेश में 785 बाघ हैं। हमें संख्या बढ़ाने की दिशा में और आगे बढ़ना है। अभी हमारे ऐसे कई हमें जंगल बुला रहे हैं। जहां आगे बढ़ना है। हमारे प्रदेश में 55 से 60 करोड़ राजस्व टूरिज़्म से आता है। बदलते दौर में हम चीतों का राज्य भी हो गए हैं।’
‘बाघ है जंगल का असली राजा’
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भले ही लोग कहते हैं कि शेर जंगल का राजा है लेकिन वो सिर्फ दिखने में ही विशाल है। उन्होंने कहा कि ‘बाघ के साथ बात करने का मज़ा अलग है। उसका अलग स्वभाव है। लोग शेर को जंगल का राजा बोलते हैं लेकिन ये अन्याय है बाघ के साथ। वो कमाने खाने में आलसी है। वो अपने बलबूते पर नहीं कमाता खाता है। शेर के लिए कोई और शिकार करता है। जो अपने बूते कमाने खाने का नहीं रखता वो कैसे राजा हो सकता है। हममें पुरुषार्थ और पराक्रम होना चाहिए, और ये टाइगर दिखाता है। उसमें पुरुषार्थ और पराक्रम है। इसलिए मुझे लगता है जंगल के राजा का ख़िताब टाइगर के नाम होना चाहिए।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के टाइगर नया रिकॉर्ड है। भोपाल के टाइगर और आगे निकल गए है। मध्यप्रदेश के लिए नया रिकॉर्ड बन गया है। आमतौर पर बाघ और मनुष्य एक दूरी पर रहते हैं लेकिन भोपाल के बाघ तो जैसे कहते हैं कि दिन में मनुष्य घूम लें, रात में वो घूम लेंगे। ये एडजस्ट करना भी एक रिसर्च का विषय हो गया है। दुनिया नें कहीं ऐसा नहीं होता जो अपने टाइगर कर रहे हैं। हमें टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है जो बेहद आनंद की बात है। इस अवसर पर उन्होंने कहा दिन कि हम बाघ और चीते के साथ अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए भी प्रयास कर रहे हैं।
बाघों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण दिन
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस, जिसे ग्लोबल टाइगर डे के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके प्राकृतिक आवासों को सुरक्षित रखना है। बाघ पृथ्वी पर सबसे अद्भुत और ताकतवर जीवों में से एक हैं। बाघों का संरक्षण केवल बाघों की रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि समग्र जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर, विभिन्न संगठन, सरकारें और सामुदायिक समूह बाघों के संरक्षण के लिए कार्यक्रम और जागरूकता अभियान आयोजित करते हैं। इन अभियानों में वन्यजीवों के महत्व, अवैध शिकार की रोकथाम और बाघों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने के उपायों पर जोर दिया जाता है। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट कहा जाता है क्योंकि यह राज्य भारत में सबसे अधिक बाघों की संख्या के लिए प्रसिद्ध है। प्रदेश के प्रमुख बाघ अभयारण्य जैसे कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा और संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान बाघों के प्रमुख निवास स्थान हैं। ये अभयारण्य न केवल बाघों की सुरक्षा करते हैं बल्कि अन्य वन्यजीवों और जैव विविधता को भी संरक्षित करते हैं।