March 10, 2025

मध्य प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय से और समय देने का अनुरोध करने का निर्णय लिया

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भोपाल

 यूनियन कार्बाइड (यूका) के रासायनिक कचरे का निष्पादन धार जिले के पीथमपुर में करने को लेकर उठे विवाद के बीच सरकार ने तय किया है कि हाईकोर्ट से इसके लिए समय मांगा जाएगा। सोमवार को मुख्य सचिव की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें जनभावनाओं का हवाला दिया जाएगा।

कहा जाएगा कि पहले लोगों को समझाया जाएगा और सहमति बनाकर ही कचरा जलाने का काम किया जाएगा। इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। धार के प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, अपर मुख्य सचिव डा. राजेश राजौरा को लोगों से संवाद करने का दायित्व दिया गया है। प्रशासन भी भ्रांतियों को दूर करने का काम कर रहा है।
भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर पूरी कार्रवाई हो रही है। इसको लेकर जो भ्रांतियां हैं, उन्हें पहले दूर किया जाएगा और इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

जब त्वचा रोग, पानी की गुणवत्ता और फसल खराब होने की जानकारी आई तो केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड और एम्स का दल भेजकर 12 गांवों में जांच कराई गई। यहां कहीं भी मापदंड से अधिक मात्रा में कोई चीज नहीं पाई गई। केंद्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट भी ऐसी ही हैं। हर राज्य में रासायनिक कचरे के निष्पादन के लिए एक स्थान नियत है।
कचरा मानकों के अनुसार पीथमपुर भेजा गया

पीथमपुर में यह काम हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट में जब यूनियन कार्बाइड के कचरे का मामला गया तो चार मार्च 2013 को निर्देश दिए गए कि 10 टन हिन्दुस्तान इन्सेक्टीसाइड लिमिटेड प्लांट केरल कोच्चि से रासायनिक कचरे के निष्पादन का काम प्रायोगिक तौर पर पीथमपुर में किया जाए।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2013 में सफलतापूर्वक ट्रायल किया गया। हाईकोर्ट जबलपुर ने तीन दिसंबर 2024 को राज्य शासन एवं राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को रासायनिक कचरा यूनियन कार्बाइड स्थल से पीथमपुर चार सप्ताह के भीतर सुरक्षित परिवहन करने के निर्देश दिए थे। इसके पालन में कचरा मानकों के अनुरूप भेजा गया।

जलाया जा चुका है 10 टन कचरा

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बताया कि हिन्दुस्तान इन्सेक्टीसाइड लिमिटेड प्लांट केरल कोच्चि के कचरे का सफलतापूर्वक निष्पादन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल 2014 को निर्देश दिए कि यूनियन कार्बाइड का 10 टन कचरा का पीथमपुर में ट्रायल रन किया जाए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2015 में सफलतापूर्वक ट्रायल रन किया।

बोर्ड द्वारा प्रायोगिक निपटान की सभी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की। इसमें यह सामने आया कि इस प्रकार के कचरे के निपटान से वातावरण कोई नुकसान होना स्पष्ट नहीं हुआ है। उसके बाद ही न्यायालय ने आगे बढ़ने और कचरे को नष्ट करने के निर्देश दिए।

इसके परिपालन में कचरे का परिवहन किया जा चुका है। अब इसे जलाने के लिए परिस्थितियों को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा। हाईकोर्ट के समक्ष सभी तथ्यों को रखा जाएगा।

कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी है

यूनियन कार्बाइड का 358 टन कचरा निकला है। इसमें 60 प्रतिशत से अधिक तो स्थानीय मिट्टी है। 40 प्रतिशत सेवन नेपथाल, रिएक्टररेसीड्यूस और प्रोसेस पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट है। सेवन नेपथाल रेसीड्यूस मूलतः मिथाइल आइसो साइनेट एवं कीटनाशकों के बनने की प्रक्रिया का सह-उत्पाद होता है।

इसका जहरीलापन 25 साल में लगभग पूरी तरह समाप्त हो जाता है। कचरे की निपटान की प्रक्रिया का गहन परीक्षण किया गया होगा। पीथमपुर में कचरे के निष्पादन की पूरी वीडियोग्राफी कराया जाएगी। निष्कर्ष को शपथ-पत्र के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।

कोई भ्रमित न हो, वैज्ञानिकों की देखरेख में होगी प्रक्रिया

मुख्य सचिव ने बताया कि किसी को भ्रमित नहीं होना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पर वैज्ञानिकों की देखरेख में सारा काम हो रहा है। यूनियन कार्बाइड का कचरा पहले निष्पादित किया जा चुका है, यह जानकारी कम ही लोगों को थी।

जब तथ्य सामने आए तो जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया गया। अधिकारियों के साथ भी वर्चुअली संवाद कर उन्हें भी तथ्यात्मक जानकारी दी जाएगी ताकि वे भी आमजन को वास्तविकता से अवगत करा सकें। सामाजिक संगठनों को भी विश्वास में लिया जाएगा ताकि कहीं कोई भ्रम की स्थिति न रहे।

कचरा निष्पादन में लगेंगे छह महीने

मुख्य सचिव के अनुसार, कचरा निष्पादन में छह माह का समय लगेगा। इसकी प्रक्रिया निर्धारित है। 800 से 1000 डिग्री पर कचरा जलाया जाता है। जो भी गैस निकलेगी, वो विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार मानकों के अनुरूप होगी। कचरा जलने के बाद जो राख बनेगी, उसे कैप्सूल में रखा जाएगा। इसकी भी प्रक्रिया निर्धारित है।

इतना विरोध होगा अंदाजा नहीं था

सूत्रों के अनुसार, सरकार को यह अंदाजा नहीं था कि कचरा जलाने को लेकर इतना विरोध होगा। यह बताया गया था कि लोगों को इस संबंध में जानकारी दी जा चुकी है पर जनभावनाओं का आकलन करने में चूक हुई।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार देर रात दोनों उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल, प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, स्थानीय विधायक नीना वर्मा, महाधिवक्ता, प्रमुख सचिव विधि, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों के साथ बैठक की।
यूका की भूमि के उपयोग पर फिलहाल विचार नहीं

मुख्य सचिव ने बताया कि फिलहाल यूका की भूमि के उपयोग को लेकर कोई विचार नहीं किया गया है। वहां स्मारक बनाया जाए या फिर ग्रीन एरिया विकसित करें या फिर अन्य उपयोग, सभी से विचार-विमर्श करके उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा।

दो बार कचरे का हो चुका निष्तारण, पैरामीटर मानक सीमा में 
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि 2014 में रामकी प्लांट में कचरे के निष्तारण का ट्रायल रन हो चुका है। इस पर  नीरी, आईसीटी और सीपीसीबी ने अध्ययन भी किया था। इस ट्रायल रन के लिए कोच्चि के हिन्दुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड से 10 मीट्रिक टन कचरा मंगाया गया था। वो कचरा भी  यूनियन कार्बाइड के कचरे की तरह था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। इसके बाद 2015 में भोपाल यूनियन कार्बाइड का 10 मीट्रिक टन कचरा जलाकर उसका निष्तारण किया गया था। इस पर सीपीसीबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया कि कचरे के निपटान का वातावरण पर कोई नुकसान नहीं हुआ।  आसपास के 12 गांवों के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया, जिसमें स्थिति सामान्य पाई गई थी और सभी रिपोर्ट के पैरामीटर मानक सीमा के अंदर थे।

 

कचरे को तेजी से जलाने कर रहे परीक्षण 
मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि यूनियन कार्बाइड के 358 मीट्रिक टन कचरे को पीथमपुर भेजा गया है, जिसमें 60 प्रतिशत स्थानीय मिट्टी और 40 प्रतिशत सेवन नेपथॉल रेसीड्यूस तथा अन्य कीटनाशक का अपशिष्ट है। इस कचरे को जलाने में लगभग 6 महीने का समय लगेगा। हालांकि, सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कचरे को तेजी से जलाने के लिए परीक्षण कर रहे हैं। यह प्लांट नया है। 

कचरा जलाने सहमति बनाने हर स्तर पर करेंगे प्रयास 
मुख्य सचिव ने कहा कि लोगों के बीच कचरा जलाने के बाद होने वाले नुकसान को लेकर गलतफहमियां फैली हुई हैं, जिन्हें दूर करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार के अधिकारी इंदौर और धार जिलों में जाकर लोगों को समझाएंगे और स्थानीय अधिकारियों को भी अब तक की सभी रिपोर्ट की जानकारी देंगे, ताकि स्थानीय लोगों की भ्रांतियों को दूर किया जा सके।

 

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