मध्यप्रदेश सरकार अब समुदाय के सहयोग से बनाएगी योजनाएं,मांगे सुझाव
Madhya Pradesh government will now make plans with the help of the community, asked for suggestions
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि लोकतंत्र तभी सही मायने में जीवंत है जब नागरिक भी शासन का हिस्सा बने। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए मप्र के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अपने खास आंतरिक अमले के माध्यम से जमीनी स्तर से विकास की योजना बनाने हेतु प्रबुद्धजनों से सुझाव मांगे हैं। सरकार की मंशा है कि नागरिकों के सुझाव एवं विचारों को शामिल कर विकास का रौडमैंप तैयार किया जाए।
वर्तमान समय में सरकार में समुदाय की भागिदारी स्वतंत्र रूप से न के बराबर है। राजनीतिक रूप से तो जनता का प्रतिनिधित्व हो रहा है लेकिन सामुदायिक रूप से सुशासन की दिशा में प्रगति हेतु जन सहभागिता का शासन के बीच भागीदारी का अभाव दिखता है।
विकास के इन बिन्दुओं पर नागरिक सहभागिता जरूरी
अधोसंरचना विकास
शासन द्वारा अधोसंरचना विकास के क्षेत्र में काफी प्रयास हो रहे हैं किंतु विकास कार्यो के टिकाऊपन एवं सतत विकास को लेकर सवाल उठते रहे है। अधोसंरचना के निर्माण से लेकर रख रखाव तक जन भागीदारी का अभाव है जो कहीं ना कहीं से सरकार के कार्यों एवं छवी पर प्रभाव डालते है। नगर-एवं ग्राम पंचायतों में अधोसंरचना के अंतर्गत आर्थिक विकास को लेकर पुट कम है। सरकार का मानना है कि स्थानीय विकास कार्य में जनता भी अपने सुझाव दे ताकि निर्माण कार्य मजबूत एवं पारदर्शी हो सके।
शिक्षा एवं कौशल क्षेत्र
ग्रामीण अंचलों में बड़ी संख्या में स्कूल भवनों का निर्माण हो रहा है। इसके बाद भी सरकारी स्कूलों में प्रवेश की स्थित कम है। इसके क्या कारण हो सकते है इसे समझने एवं जानने की आवश्यकता है। शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक का उपयोग कैसे किया जा सकता है इस पर भी सुझाव लेकर स्थानीय स्तर पर स्थानीय शालाओं को स्थानीय व्यापार व्यवस्था से जोड़कर विद्यार्थियों को कैसे स्वावलंबी बनाया जा सकता है इस दिशा में सरकार आगे बढ़ना चाहती है।
स्वच्छता एवं स्वास्थ्य
ग्रामीण अंजलों में स्वेच्छा से ग्राम की सफाई व्यवस्था लोग भूलते जा रहे हैं। वर्षाजनित बीमारी ,स्वास्थ्य केन्द्रों की दशा सुधारने को लेकर सामुदायिक भागिदारी क्या हो सकती है। यह विषय गंभीर हैं। ग्राम के कमजोर व्यक्तियों का चिंहांकन,मानसिक रोगी की पहचान एवं कंसल्टेंसी ,खुले में शौच पर नियंत्रण,दैनिक जीवन में स्वच्छता का महत्व,पर्यावरण की सुरक्षा,आपात स्थिति में पीने के पानी व्यवस्था,स्वच्छ पेयजल की निगरानी ,संक्रमण काल में दवा वितरण से लेकर टीकाकरण में समुदाय की भागीदारी पर सरकार ठोस कदम बढ़ाना चाहती है।
व्यवसाय एवं रोजगार
मप्र की पंचायतों की आर्थिक दशा पर मप्र के पंचायत, ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री तंज कस चुके हैं। ऐसी स्थिति में सरकार चाहती है कि नागरिकों के माध्यम से ऐसे स्थानीय रोजगार के साधनों को चिन्हित किया जाना चाहिए जिसमें स्थानीस कृषि उत्पादों की पहचान,परंपरागत खेती से हटकर खेती का विकास, मृदा परीक्षण,जैविक उत्पादों का प्रमाणन,डेयरी उद्योगों का विकास ,पैकेजिंग, देसी आटा चक्की का विकास, मसाला ,प्रसंस्करण,हथकरघा, हस्तशिल्प,बेकरी,लकड़ी के उत्पादों एवं मशरूम, कोषा एवं अन्य खादय पदार्थो के विषय में भी नागरिक आगे आएं एवं सरकार को बतायें की ये विकसित मप्र के निर्माण में कैसे सहायक बन सकते हैं।
शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन
सरकार योजनाएं तो खूब बनाती हैं लेकिन सही लोगों को इसका लाभ मिल पाता है या नहीं यह शक के दायरे में रहता है। सरकार चाहती है कि नागरिक बतायें कि सरकार ऐसा कौन सा तंत्र विकसित करे जिससे की सभी योजनाएं शत प्रतिशत जमीन तक पहुंच जाएं। योजनाओं के क्रियान्वयन में स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग एवं तकनीक के इस्तेमाल से कैसे पंचायतों में पारदर्शिता लाई जा सकती है यह स्थानीय नागरिक के माध्यम से सरकार जानने की कोशिश कर रही है।
पंचायती राज
ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र में अभी तक कई प्रथाएं एवं सामाजिक कुरीतियां,तानाबाना व्याप्त है। इन सब कारणों के चलते पंचायतों में प्रभावी विकास कार्य नहीं हो पाते हैं। पंचायत राज व्यवस्था में भी विकास का कोरम कागजों पर हो जाना दर्शाता है कि विकास कार्य हेतु समुदाय की भागीदारी नगण्य रही होगी। सरकार चाहती है कि ऐसा क्या किया जाए जिससे की स्थानीय नागरिकों की सहभागिता से योजनाएं बनाई जाए।
नागरिकों के माध्यम से मप्र सरकार एक सही दिशा में कार्य करती दिख रही है। अगर जनता भी सरकार के साथ भागीदारे के लिए सकारात्मक तरीके से कदम बढ़ाती है तो उम्मीद की जा सकती है कि विकसित भारत की दिशा में मध्य प्रदेश की धरती से एक गुणात्मक परिवर्तन होगा।