सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जताई चिंता, अब 607 पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे

Foundation ceremony of Lions International Amla Sarthak concluded.
भोपाल
मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1,200 से ज्यादा पद खाली हैं. इसे लेकर सीएम डॉक्टर मोहन यादव की सरकार बेहद चिंतित है, क्योंकि इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है. ऐसे में अब सरकार ने विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों को भरने को लेकर कवायद शुरू कर दी है.
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की कैबिनेट ने तय किया है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में खाली पड़े 1,214 डॉक्टरों के पद में से आधे यानी 607 पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे. जबकि बाकी पदों को प्रमोशन से भरा जाएगा. इसके अलावा 46 हजार 491 पैरा मेडिकल के साथ तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पद भी नियमित/संविदा/ आउटसोर्स से भरे जाएंगे. सीएम मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ये फैसला लिया गया.
नगरीय विकास और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि नए स्वास्थ्य मानकों के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे. उसी के अनुसार डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के पद भरने की मंजूरी दी गई. इनमें से 18 हजार 653 पदों के लिए 343.29 करोड़ को मंजूरी दी गई है. बचे हुए 27 हजार 838 पद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से भरे जाएंगे.
हाई कोर्ट ने जताई चिंता
कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1214 पद खाली हैं, जो प्रमोशन से भरे जाने हैं, लेकिन इसके लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं. इनमें एनेस्थीसिया, महिला रोग, शिशु रोग, रेडियोलाजिस्ट, मेडिकल, अस्थि और सर्जरी एक्सपर्ट शामिल हैं. इस वजह से तय किया गया है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों के आधे पद सीधी भर्ती से भरे जाएं.
बता दें सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट भी चिंता जता चुका है. सरकार ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में स्वीकार किया था कि डॉक्टरों की कमी है. हालांकि, उसने इस कमी को दूर करने का वादा भी हाई कोर्ट से किया था.