November 21, 2024

मध्यप्रदेश: 10 हाथियों के मरने की वजह आई सामने, मिलेट का फंगी कनेक्शन

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Madhya Pradesh: Reason for death of 10 elephants revealed, understand the fungal connection of millet

भोपाल: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले महीने 10 हाथियों की मौत का कारण कोदो में फफूंद संक्रमण बताया जा रहा है। हैदराबाद के ICRISAT के वैज्ञानिकों ने यह जानकारी राज्य सरकार को दी है। वन अधिकारियों का कहना है कि ICRISAT की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है।

तीन तरह के फंगस मिले

ICRISAT ने शुरुआती जांच में कोदो के नमूनों में तीन तरह के फफूंद – एस्परजिलस फ्लेवस, एस्परजिलस पैरासिटिकस और पेनिसिलियम साइक्लोपियम की मौजूदगी की पुष्टि की है। इन फफूंदों से साइक्लोपिआज़ोनिक एसिड नामक जहरीला पदार्थ पैदा होता है, जिसके सेवन से हाथियों की मौत होने की आशंका है।

फाइनल रिपोर्ट का इंतजार

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हमें ICRISAT की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है। उन्होंने पुष्टि की है कि हाथियों द्वारा खाए गए कोदो में ये फफूंद मौजूद थे। घटना की जांच के लिए, एमपी के अधिकारियों ने ICRISAT सहित पूरे भारत में 10 प्रयोगशालाओं में नमूने भेजे थे। ICRISAT, हैदराबाद स्थित एक गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठन है, जो विशेष रूप से अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में कृषि प्रणालियों को बेहतर बनाने में माहिर हैं।

बरेली से आ गई है रिपोर्ट

बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) ने भी अपनी विषाक्तता परीक्षा रिपोर्ट में पुष्टि की है कि कोदो में फफूंद विषाक्त पदार्थों, विशेष रूप से साइक्लोपिआज़ोनिक एसिड के कारण हाथियों की मौत हुई।

जहर की नहीं हुई थी पुष्टि

हाथियों के लीवर, किडनी, तिल्ली और आंतों सहित विभिन्न अंगों के नमूने विश्लेषण के लिए IVRI भेजे गए थे। परीक्षणों में साइनाइड, भारी धातुओं, या ऑर्गनोफॉस्फेट या पाइरेथ्रोइड जैसे सामान्य कीटनाशकों का कोई निशान नहीं पाया गया। हालांकि, सभी नमूनों में साइक्लोपिआज़ोनिक एसिड पाया गया, जिसकी सांद्रता 100 पार्ट्स प्रति बिलियन (ppb) से अधिक थी।

सात एकड़ में कोदो की खेती

हाथियों ने जिस कोदो की फसल को खाया था वह बांधवगढ़ के अंदर 7 एकड़ जमीन पर थी। असामान्य फफूंद वृद्धि के संकेतों के बावजूद, जांचकर्ताओं को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि उस क्षेत्र में कीटनाशकों का उपयोग किया गया था। स्थानीय किसानों ने भी ऐसे किसी भी रसायन के उपयोग से इनकार किया है।

हाथियों की मौत 29 अक्टूबर, 2024 को शुरू हुई थी। शुरुआत में फफूंद संक्रमण पर ही संदेह जताया गया था। अधिकारी अभी भी इस मामले की जांच कर रहे हैं, ताकि फंगस की पूरी सीमा और क्षेत्र के वन्यजीवों पर इसके प्रभाव को समझा जा सके।

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